भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी से पार्टी नेता ने पूछा, हमें कब मिलेगा न्याय
कानपुर, BNM News : कानपुर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुरानी बातें ही दोहराईं। नौ मिनट के संबोधन में आइएनडीआइए का जिक्र तक नहीं किया। उनके संबोधन के दौरान ही मंच के पास खड़े एक पार्टी नेता ने चिल्लाकर न्याय मांगा। राहुल से नहीं मिलने देने की टीस लिए दिव्यांगों ने उनके जाते ही मुर्दाबाद के नारे लगाए। स्थानीय मुद्दों का जिक्र न कर कहा, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में कमजोरों की अनदेखी की गई। प्रधानमंत्री की सामाजिक समरसता की बातों को दिखावा बताया। राहुल गांधी के स्वागत में दो किमी में जितने होर्डिंग-बैनर लगे थे, उससे भी कम भीड़ जुटी।
भारत जोड़ो न्याय यात्रा में दिखा बिखराव
50 जगह स्वागत से कांग्रेसियों ने ताकत दिखाई पर बिखराव दिखा, इससे राहुल के चेहरे के भाव कई बार बदले। जनसभा में उन्होंने कहा कि पहले निकाली भारत जोड़ो यात्रा में उनके उत्तर प्रदेश और बिहार न आने पर सवाल किए गए थे, तभी वह आज यहां पहुंचे हैं। वह बोले, नफरत के बाजार में वह मोहब्बत की दुकान लेकर आए हैं। नफरत की वजह लोगों से पूछी तो पता चला कि पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक व आदिवासी हैं तो कुछ भी कर लीजिए, न्याय नहीं मिलेगा। उनके इतना बोलते ही मंच के पास खड़े अल्पसंख्यक विभाग के कानपुर देहात के पूर्व जिलाध्यक्ष शकील अहमद जोर से चिल्लाए-हमें न्याय कब मिलेगा। वर्षों से आपका झंडा उठा रहे, बड़े नेता कभी आप तक नहीं पहुंचने देते, राहुल ने उनको सुना और कुछ देर रुके पर कोई प्रतिक्रिया न देकर संबोधन जारी रखा।
यात्रा के बीच रायबरेली के आधा दर्जन नेताओं ने छोड़ा हाथ
रायबरेली: राहुल गांधी की न्याय यात्रा के दौरान पार्टी के गढ़ रायबरेली में बड़ी संख्या में कांग्रेसियों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। चुनावी लिहाज से पार्टी के लिए यह बड़ा झटका है। पार्टी छोड़कर जाने वाले अधिकांश नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। 2019 में लोक सभा चुनाव जीतने के बाद सांसद सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता से दूरी बना ली। प्रियंका और राहुल गांधी के भी यहां पार्टी के पदाधिकारियों से दूर रहने के कारण कार्यकर्ता आहत हैं। पार्टी छोड़ने वालों का कहना है कि चुनाव के दौरान जनता सवाल करती है कि किसके लिए वोट मांग रहे हो, उनके लिए जो कभी आते ही नहीं। कार्यकर्ताओं से मिलने का भी समय शीर्ष नेतृत्व के पास नहीं है। पार्टी हाईकमान के उपेक्षित रवैये से क्षुब्ध होकर रायबरेली के सात पदाधिकारियों सहित 40 कार्यकर्ताओं ने पार्टी से नाता तोड़ लिया।