धनंजय सिंह बिगाड़ सकते हैं जौनपुर का सियासी समीकरण, भाजपा ने कृपाशंकर सिंह को उतारा, अब निगाहें सपा-बसपा पर

जौनपुर, BNM News: उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट इस समय चर्चा का विषय बना है। यहां से भाजपा ने कृपा शंकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, दूसरी तरफ जिले में पकड़ रखने वाले धनंजय सिंह भी चुनाव की तैयारियां कर रहे हैं। पहले माना जा रहा था कि वे नीतीश कुमार की पार्टी से प्रत्याशी बन सकते हैं लेकिन नीतीश खुद एनडीए में शामिल हो गए जिससे यह संभावना खत्म हो गई। जौनपुर की सीट इस वक्त हॉट सीट बन गई है और धनंजय सिंह फैक्टर लोकसभा का सियासी समीकरण बदल सकता है।

राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि धनंजय सिंह एनडीए और पीडीए दोनों का खेल बिगाड़ सकते हैं। जौनपुर लोकसभा सीट पर धनंजय सिंह की मजबूत पकड़ है। अगर वे मैदान में उतरते हैं तो जौनपुर का चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा। वहीं, यह भी देखना होगा कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी किसे जौनपुर से टिकट देती हैं।

बीते दिनों धनंजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भी जौनपुर से चुनाव लड़ने का एलान किया। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि वे किसी दल से चुनाव में उतरेंगे या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। जौनपुर से अगर धनंजय सिंह चुनाव लड़ते हैं तो क्या समीकरण बनेंगे, किसका खेल बिगड़ेगा और कौन यह मुकाबला जीतेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

धनंजय सिंह जौनपुर में कितने मजबूत हैं

धनंजय सिंह 2002 चुनाव में पहली बार राजनीति में आए। उनके ऊपर तब बाहुबली का ठप्पा लगा हुआ था। इलाके में दहशत भी थी। लेकिन धीरे-धीरे वह उस छवि से दूर निकलते चले गए। अब तक वह और उनकी पत्नी ने मिलकर पांच चुनाव लड़े हैं। इसमें से तीन में जीत दर्ज की है। इलाके के लोग मानते हैं कि धनंजय सिंह भले ही क्षत्रिय हैं लेकिन उन पर किसी विशेष वोट बैंक का ठप्पा नहीं लगा है।

धनंजय सिंह ने 2002 में पहली बार रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2007 में JDU के टिकट पर चुनाव जीते। मगर, 2008 में धनंजय जेडीयू छोड़कर बसपा में चले गए। 2009 लोकसभा चुनाव में बसपा से पहली बार जौनपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। इससे पहले यहां सपा, भाजपा और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है।

एनडीए और पीडीए की राह में रोड़ा बनेंगे धनंजय

जानकारों का मानना है कि धनंजय सिंह को आस थी कि वह इस वक्त जेडीयू में अच्छे पद पर हैं, ऐसे में जेडीयू के एनडीए में शामिल होने से उन्हें गठबंधन की तरफ से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। लेकिन भाजपा ने कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारकर सारे कयासों पर पानी फेर दिया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर धनंजय को किसी दूसरी पार्टी से या फिर निर्दलीय लड़ते हैं तो वह एनडीए के साथ-साथ पीडीए का खेल भी बिगाड़ेंगे।

क्षत्रीय वोटों में सेंध लगा सकते हैं धनंजय

एनडीए ने जौनपुर से मुंबई में कांग्रेस सरकार में रहे गृह मंत्री कृपा शंकर सिंह काे टिकट दिया है। कृपा शंकर सिंह राजनीति में शुरू से ही मुंबई में सक्रिय रहे हैं। वह बस जौनपुर के एक ठाकुर नेता के तौर पर तो जाने जाते हैं लेकिन कोई ऐसा जुड़ाव नहीं है। क्षेत्र में उन्हें भाजपा के नेटवर्क का फायदा मिल सकता है। अगर धनंजय चुनावी मैदान में उतरते हैं तो ठाकुर वोटों में सेंध लग सकती है। 2019 में धनंजय सिंह चुनाव तो नहीं लड़े लेकिन अपनी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष जरूर बनाया। इसके साथ ही वह लगातार जौनपुर के लोगों से मिलते जुलते रहे और मदद भी करते रहे। ऐसे में दूसरे कैंडिडेट की छवि के मुकाबले धनंजय मैदान में जरूर मजबूत दिखाई देंगे।

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