Loksabha Election 2024: मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट को लेकर उद्धव गुट और कांग्रेस आमने सामने

मुंबई, BNM News : Loksabha Election 2024: शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता संजय राउत इन दिनों राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन में सीटों का समझौता न हो पाने पर रोज टिप्पणियां करते रहते हैं। रविवार को उन्हीं की पार्टी ने उत्तर-पश्चिम मुंबई सीट पर एकतरफा प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस को चिढ़ाने का काम कर दिया। इसके बाद उस सीट से कांग्रेस के दावेदार संजय निरुपम ने अपने एक्स एकाउंट पर शिवसेना (उद्धव गुट) पर जमकर भड़ास निकाली। संजय निरुपम दो बार शिवसेना से राज्यसभा के और दो ही बार कांग्रेस से लोकसभा के सांसद रह चुके हैं। इसमें से एक बार 2009 में वह उत्तर-पश्चिम मुंबई की सीट से चुनकर संसद में पहुंचे थे। लेकिन, प्रबल मोदी लहर के कारण 2014 और 2019 में उन्हें इसी सीट से हार का मुंह देखना पड़ा। तब भाजपा के साथ गठबंधन में अविभाजित शिवसेना उम्मीदवार गजानन कीर्तिकर ने यहां से जीत दर्ज की थी।

अमोल कीर्तिकर को बनाया अपना उम्मीदवार

 

पिछले वर्ष शिवसेना में फूट पड़ने के बाद गजानन कीर्तिकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का दामन थाम लिया था। संजय निरुपम को उम्मीद थी कि इस बार यह सीट महाविकास आघाड़ी के सीट समझौते में कांग्रेस के हिस्से में आएगी और वह यहां से फिर से चुनाव लड़ेंगे। बताया जाता है कि यह सीट कांग्रेस के पास रखने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं ने उद्धव ठाकरे से बात भी की थी। इसके बावजूद शिवसेना (उद्धव गुट) ने शनिवार देर शाम इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट में जा चुके वर्तमान सांसद गजानन कीर्तिकर के पुत्र अमोल कीर्तिकर को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। शिवसेना में विभाजन के बाद पिता गजानन तो शिंदे गुट में चले गए थे, लेकिन पुत्र अमोल उद्धव के साथ ही बने रहे थे।

संजय निरुपम ने खूब खरी-खोटी सुनाई

 

चूंकि शिवसेना (उद्धव गुट) ने महाविकास आघाड़ी में सीटों का समझौता होने से पहले ही सिर्फ इसी एक सीट पर उम्मीदवार घोषित किया है, इसलिए इसे उसका कांग्रेस को चिढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है। इसी चिढ़ में कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने अपने एक्स एकाउंट पर शिवसेना (उद्धव गुट) को खूब खरी-खोटी सुनाई। निरुपम ने इसी कड़ी में शिवसेना (उद्धव गुट) द्वारा घोषित उम्मीदवार पर कोविड महामारी के दौरान हुए खिचड़ी घोटाले में कमीशन खाने का आरोप भी लगा दिया है। उन्होंने सवाल किया है कि क्या ऐसे उम्मीदवार के लिए कांग्रेस और शिवसेना के कार्यकर्ता प्रचार करेंगे। दूसरी ओर शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता आनंद दुबे इस तर्क के साथ इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किए जाने को सही ठहराते हैं कि पिछले दो चुनावों से उनका ही उम्मीदवार इस सीट से जीतता आ रहा है। इसलिए, इस बार भी महाविकास आघाड़ी के सीट बंटवारे में इस सीट पर उसका ही दावा बनता है।

संजय राउत जिन प्रकाश आंबेडकर एवं उनकी पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के मविआ के साथ होने का दावा करते आ रहे हैं, वही प्रकाश आंबेडकर कई बार शिवसेना (उद्धव गुट) एवं कांग्रेस के बीच 10 सीटों पर सीट समझौता न हो पाने की बात उजागर कर चुके हैं। अब उनका दावा सही भी साबित होता दिख रहा है।

 

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