भदोही से रमेश बिंद का कट सकता है पत्ता! भाजपा और सपा से इन्हें टिकट मिलने की संभावना, जानें- क्या है समीकरण
भदोही, BNM News: लोकसभा चुनाव में इस बार पीएम मोदी की सीट वाराणसी से सटी हुई भदोही-प्रयागराज सीट पर सबकी नजर टिकी है। भदोही की सीमा प्रयागराज और वाराणसी से लगती है। ये लोकसभा सीट फिलहाल भाजपा के कब्जे में है। रमेश बिंद भदोही के मौजूदा सांसद हैं। 2019 में उन्होंने बसपा के रंगनाथ मिश्र को हराया था। 2019 में 10,39,390 वोट पड़े थे। रमेश बिंद को 5,10,029 वोट मिले थे। रंगनाथ मिश्र के खाते में 4,66,414 वोट आए। भाजपा सूत्रों की मानें तो इस बार सांसद रमेश बिंद का टिकट कट सकता है। रमेश बिंद के स्थान पर पार्टी नए नाम पर विचार कर रही है। भदोही से टिकट पाने के लिए वाराणसी के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा, रंगनाथ मिश्रा, गोरखनाथ पांडेय, विरेंद्र सिंह मस्त सहित कई नाम जोर लगा रहे हैं।
भाजपा किसे बनाएगी उम्मीदवार
इस बार भाजपा यहां से हैट्रिक मारने की तैयारी कर रही है। हालांकि, अभी तक उसने या किसी दूसरी पार्टी ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। लेकिन लिस्ट में रमेश चंद बिंद का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। इस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। हालांकि, इनका टिकट अभी कंफर्म नहीं है। भाजपा से वीरेंद्र सिंह के नाम की भी चर्चा है। ये बलिया से मौजूदा सांसद हैं। फिलहाल दोनों ही जगह से इनका नाम वेटिंग लिस्ट में है।
विपक्षी गठबंधन किसे देगा मौका?
माना जा रहा है कि गठबंधन से यहां समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार खड़ा हो सकता है। इसमें सीमा मिश्रा का नाम सबसे आगे चल रहा है। सीमा मिश्रा 2014 के चुनाव में भदोही लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी भी रही हैं। इनके पिता बाहुबली नेता विजय मिश्रा हैं, जो चार बार भदोही से विधायक रहे। सीमा मिश्रा पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं। हालांकि, 2017 में सपा ने विजय मिश्रा का भदोही की ज्ञानपुर सीट से टिकट काट दिया था, तो विजय मिश्रा निषाद पार्टी से मैदान में उतरे और चौथी बार विधायक बने। पार्टी से बगावत करने के मामले में सपा ने सीमा मिश्रा और विजय मिश्रा दोनों को बाहर कर दिया था। अब सीमा मिश्रा की सपा में वापसी हो गयी है। माना जा रहा है कि सपा की ओर से उनका टिकट लगभग पक्का है। सपा से प्रोफेसर बी पांडेय का नाम भी चर्चा में है। ये चित्रकूट विकलांग विश्वविद्याल के पूर्व कुलपति रहे हैं। एक समाजसेवी और शिक्षाविद के तौर पर इनका क्षेत्र में काफी नाम है। महेंद्र बिंद का नाम भी लिस्ट में चल रहा है। ये हाल ही में सपा में शामिल हुए हैं। चूंकि, भदोही में बिंद समुदाय का वोट काफी मायने रखता है। लिहाजा सपा महेंद्र बिंद को यहां से उतार सकती है। लेकिन इनका भी टिकट अभी वेटिंग में ही है।
भदोही लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें
भदोही लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें तीन भदोही, ज्ञानपुर और औराई भदोही जिले में हैं। दो प्रतापपुर और हंडिया विधानसभा क्षेत्र प्रयागराज जिले में आते हैं। भदोही पहले बनारस का हिस्सा हुआ करता था। सत्तर के दशक कालीन बनाने की विधा ने इस शहर को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलायी। कोई ऐसा गांव या मुहल्ला नहीं जहां पर कालीन का काम न होता हो। कालीन यहां की पहचान में समाया हुआ है। पिछले दो बार से भदोही सीट भाजपा के पास है। हालांकि विधानसभा चुनाव में पांच में से तीन सीटें जीत कर सपा ने चौंकाया है और अगले लोकसभा चुनाव में कड़ा मुकाबला देने की चुनौती दे दी है।
पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा
भदोही लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इन पांच में से तीन सीटों पर सपा ने कब्जा जमा लिया। एक सीट पर भाजपा और एक सीट पर भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने जीत हासिल की है। प्रतापपुर विधानसभा सीट पर सपा की विजमा यादव को जीत मिली थी। हंडिया विधानसभा सीट पर भी सपा के ही हाकिम लाल बिंद और भदोही विधानसभा सीट पर सपा के जाहिद बेग को सफलता मिली है। ज्ञानपुर विधानसभा सीट पर निषाद पार्टी के विपुल दुबे जीते हैं। औराई (सुरक्षित) सीट पर भाजपा के दीनानाथ भाष्कर को जीत मिली है।
सपा-बसपा ने दी थी कड़ी टक्कर
पिछले लोकसभा चुनाव में मिले वोटों की बात करें तो भाजपा को सपा-बसपा गठबंधन से कड़ी टक्कर मिली थी। भाजपा रमेश चंद बिंद को 5 लाख 10 हजार 29 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के रंगनाथ मिश्र को 4 लाख 66 हजार 414 वोट मिले। कांग्रेस के रमाकांत यादव को 25 हजार 604 वोट ही मिले थे। रमाकांत यादव अब सपा में है और आजमगढ़ की फूलपुर सीट से विधायक हैं। इससे पहले 2014 के चुनाव में भी भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त को 4 लाख 3 हजार 695 मत मिले थे। बसपाके राकेश धर त्रिपाठी को 2 लाख 45 हजार 554 और सपा की सीमा मिश्रा को 2 लाख 38 हजार 712 मत मिले थे।
2009 से पहले मिर्जापुर-भदोही के नाम से सीट
2008 में भदोही सीट अस्तित्व में आई। 2009 में यहां पहला लोकसभा चुनाव हुआ। इससे पहले यहां के लोग मिर्जापुर-भदोही के नाम से मौजूद सीट के प्रत्याशियों को वोट देते थे। मिर्जापुर-भदोही सीट पर सबसे पहले 1952 और 57 में कांग्रेस के जॉन एन विल्सन यहां से सांसद बने। 1962 में श्याम धर मिश्र ने सीट जीती। 1967 में जनसंघ के वंश नारायण सिंह को जीत मिली। अगले चुनाव में कांग्रेस के अजीज इमाम ने सीट छीन ली। इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में यहां भी जनता पार्टी ने जीत हासिल की और फकीर अली अंसारी सांसद चुने गए।
1980 में इंदिरा गांधी ने वापस की तो कांग्रेस की वापसी हुई और अजीज इमाम फिर से जीते। अगले साल उपचुनाव में कांग्रेस के ही उमाकांत ने सीट जीती। 1984 में उमाकांत दोबारा सांसद बने। वीपी सिंह की लहर में 1989 में जनता दल के युसूफ बेग सांसद चुने गए। राममंदिर आंदोलन में सीट भाजपा के पाले में आ गई और वीरेंद्र सिंह सांसद बने। 1996 में मुलायम सिंह यादव ने फूलन देवी को यहां से उतारा और वह सांसद बनीं।
दो साल बाद ही दोबारा चुनाव हुआ और भाजपा के वीरेंद्र सिंह ने यह सीट छीन ली। एक साल बाद 1999 में फूलन ने भी बदला लिया और सपा की झोली में दोबारा यह सीट आ गई। फूलन के बाद 2022 में रामरति बिंद सांसद बने। 2004 के चुनाव में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा को लोगों ने चुनकर संसद में भेजा।
सबसे ज्यादा पिछड़ों की संख्या
भदोही जिला 1015 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस जिले की आबादी 1,578,213 है। कुल आबादी में 807099 पुरुष और 771114 महिलाएं हैं। भदोही लोकसभा क्षेत्र में पिछड़ों की संख्या सबसे अधिक है। उसके बाद ब्राह्मण, दलित, अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में सभी दलों की नजर पिछड़ी जाति के वोटरों पर रहती है। अलग अलग जातियों की संख्या की बात करें तो ब्राह्मण 3 लाख 15 हजार, बिंद 2 लाख 90 हजार, दलित 2 लाख 60 हजार, मुस्लिम 2 लाख 50 हजार, यादव 1 लाख 40 हजार, ठाकुर एक लाख, मौर्या 95 हजार, पाल 85 हजार, पटेल 75 हजार, वैश्य एक लाख 40 हजार और अन्य करीब डेढ़ लाख हैं।
भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्शन