Haryana Cabinet Expansion: जानें क्यों रुका हरियाणा में मंत्रिमंडल का विस्तार, दिनभर चला बैठकों का दौर; असमंजस में सरकार

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Cabinet Expansion: हरियाणा के नये मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर शनिवार का दिन बेहद उतार-चढ़ाव और भाग-दौड़ भरा रहा। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें शुक्रवार रात 11 बजे से आरंभ हुई थी, जो शनिवार शाम तीन बजे तक तब तक चलती रही, जब तक केंद्रीय चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं कर दिया। पूरे दिन की कसरत और इंतजार के बाद भी शनिवार को मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया। लोकसभा चुनाव का शेड्यूल घोषित होते ही मंत्री बनने की आस लगाए बैठे विधायक निराश हो गए और अपने परिवार तथा समर्थकों के साथ वापस विधानसभा क्षेत्रों में लौट गए। कुछ विधायक उम्मीद में अभी भी चंडीगढ़ में डटे हुए हैं।
शनिवार को दिनभर चली भागदौड़
नायब सिंह सैनी की सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार शनिवार को होना तय था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से शुक्रवार की रात को हुई मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मुलाकात के बाद यह तय हो गया था। रात को ही राजभवन को इसकी सूचना दे गई थी। जिन विधायकों को मंत्री बनाया जाना था, उनमें से कुछ के पास संदेश चले गए थे तो कुछ को सिर्फ चंडीगढ़ पहुंचकर इंतजार करने के लिए बोला गया था, लेकिन पूरे दिन मंत्रियों के नाम फाइनल करने पर ऐसा पेंच फंसा, जो शाम तक भी नहीं निकल सका।
ऐसे चली गहमागहमी
मंत्रियों के नाम तय करते समय जातीय संतुलन साधने में तो परेशानी आई ही, साथ ही केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की पसंद-नापसंद, पूर्व गृह मंत्री अनिल विज की नाराजगी और मंत्री नहीं बनने की भनक के बाद नाराज हुए निर्दलीय विधायकों की एकजुटता ने मंत्रिमंडल विस्तार की गाड़ी को जाम कर दिया। कुछ भाजपा विधायकों ने भी पूरे दिन लाबिंग चलाई। अब चूंकि चुनाव आचार संहिता लग चुकी है तो ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना हाल-फिलहाल नजर नहीं आ रही है। हालांकि चुनाव आचार संहिता के दौरान भी मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है, लेकिन इसके लिए हरियाणा सरकार खासकर राज्यपाल को केंद्रीय चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ेगी।
इंतजार करने के बाद दिल्ली-हैदराबाद चले गए राज्यपाल
शनिवार शाम तक जब हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया तो राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय दिल्ली के लिए रवाना हो गए, जहां से उन्हें हैदराबाद जाना था। 13 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ पांच मंत्रियों कंवरपाल गुर्जर, पंडित मूलचंद शर्मा, रणजीत सिंह चौटाला, जेपी दलाल और डा. बनवारी लाल ने शपथ ली थी। इसी दिन तय हो गया था कि मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। क्योंकि कैबिनेट में न तो कोई पंजाबी है, न वैश्य और न ही यादव व राजपूत समाज का कोई प्रतिनिधि है।
दिनभर इस तरह से चली शपथ ग्रहण की अटकलें
मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच शनिवार को पूरे दिन राजनीतिक गलियारों में हलचल रही। मंत्री पद की शपथ ले लिए पहले 11 बजे का समय बताया गया। फिर 11.30 बजे की आवाज निकली। इसके बाद दोपहर 1 बजे, फिर 1.30 बजे, इस अवधि तक भी मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ तो फिर कहा गया कि 2 बजे होगा। नहीं हुआ तो 2.30 की आवाज आई। तीन बजे जब केंद्रीय चुनाव आयोग की प्रेस कान्फ्रेंस आरंभ हो गई तो सब शांत और निराश होकर बैठ गए। हालांकि यह समय किसी अधिकारिक एजेंसी ने नहीं दिया था।
राजभवन तक आई पांच गाड़ियां वापस लौट गई
शनिवार सुबह साढ़े 11 बजे मंत्री कार सेक्शन की पांच गाड़ियां राजभवन पहुंची थी, लेकिन वे तुरंत गेट से ही वापस लौट गई। गृह विभाग के सचिव-।। महावीर सिंह राजभवन पहुंचे। सीएम और पूर्व सीएम के बीच काफी देर तक बैठकें चलती रहीं। मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद पहले मुख्यमंत्री आवास पर नायब सिंह सैनी से मिले। इसके बाद वे राजभवन आए और काफी देर रुकने के बाद वापस लौट गए। फिर गुरुग्राम के भाजपा विधायक सुधीर सिंगला राजभवन पहुंचे और बयान दिया कि पूर्व गृह मंत्री अनिल विज नाराज हैं, जिन्हें जल्दी ही मना लिया जाएगा।
अनिल विज की नाराजगी भी बड़ा कारण बनी
पूर्व गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज 12 मार्च से ही नाराज चल रहे बताए जाते हैं। चर्चा है कि नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से अनिल विज खुश नहीं हैं। 12 मार्च को भी मंत्रियों की सूची में विज का नाम था, लेकिन बताया जाता है कि नाराजगी स्वरूप अनिल विज ने शपथ नहीं ली थी और चले गए थे। शनिवार को भी उन्हें मंत्री बनाया जाना था। अनिल विज ने अपनी नाराजगी से जुड़े सवाल पर अंबाला में कहा कि 12 मार्च को मुख्यमंत्री की शपथ होने के बाद से अभी तक उनसे किसी ने कोई बात नहीं की है। इस दौरान वे विधानसभा में विश्वास मत के लिए भी पहुंचे थे। न तो मैं नाराज था और न ही नाराज हूं।
निर्दलीयों के दबाव की संभावना से इन्कार नहीं
शनिवार को मंत्रिमंडल विस्तार में जिन विधायकों के नाम आए, वे सभी भाजपा के थे। वर्तमान में सरकार छह निर्दलीय और सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा के समर्थन से चल रही है। जब निर्दलीय विधायकों को यह पता लगा कि उनका नाम कैबिनेट के लिए नहीं है तो उन्होंने सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया। दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान व नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर ने सीएम आवास में मुख्यमंत्री से मुलाकात की। पृथला के विधायक नयनपाल रावत पिछले कई दिनों से चंडीगढ़ में डटे हुए हैं। कुछ भाजपा विधायक हैं,, जिन्हें यह भनक लगी कि उनके नाम मंत्रिमंडल विस्तार में नहीं हैं तो उन्होंने लाबिंग की, जिसका हश्र विस्तार टलने के रूप में सामने आया।
केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत को लेकर भी हुई हलचल
भाजपा गलियारों में चर्चा है कि सीएम नायब सैनी नांगल चौधरी से विधायक डा. अभय सिंह यादव को मंत्रिमंडल में लेना चाहते थे, लेकिन राव इंद्रजीत सिंह को यह पसंद नहीं था। दो साल पहले जब मनोहर कैबिनेट का विस्तार हुआ था, तब अभय यादव के नाम का राव इंद्रजीत ने विरोध किया था। उस समय इंद्रजीत के विरोध के चलते अभय यादव के स्थान पर ओमप्रकाश यादव को मंत्रिमंडल में शामिल करना पड़ा था। इस बार इंद्रजीत सिंह ने अभय सिंह का तो विरोध किया ही, साथ ही ओपी यादव को भी कैबिनेट मंत्री बनाने की बात कही।
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