भारत की वित्त मंत्री इतनी ‘गरीब’ की चुनाव लड़ने के लिए नहीं है पैसे! जानें- निर्मला सीतारमण के पास कितनी है संपत्ति

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः केंद्रीय वित्त मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेता निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) क्या वाकई में इतनी गरीब है कि चुनाव नहीं लड़ सकती?  आज के चुनाव में इतने पैसे खर्च हो रहे है कि सामान्य आदमी के बस में चुनाव लड़ना नामुमकिन है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा चुनाव लड़ने संबंधी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि उनके पास लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024)लड़ने के लिए ‘उस तरह का जरूरी फंड’ नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने का विकल्प दिया था। एक कार्यक्रम के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक हफ्ते या दस दिन तक सोचने के बाद मैंने जवाब दिया… शायद नहीं। मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए उस तरह का पैसा नहीं हैं, चाहे वो आंध्र प्रदेश हो या तमिलनाडु। जीतने लायक अलग-अलग मानदंडों का भी प्रश्न है… क्या आप इस समुदाय से हैं या आप उस धर्म से हैं? क्या आप इस से हैं? मैंने कहा नहीं, मुझे नहीं लगता कि मैं ऐसा करने में सक्षम हूं।

बताया क्यों नहीं है फंड

उन्होंने कहा कि मैं बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मेरी दलील स्वीकार कर ली। इसलिए मैं चुनाव नहीं लड़ रही हूं। जब उनसे पूछा गया कि देश की वित्त मंत्री के पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त फंड क्यों नहीं है? तो उन्होंने कहा कि भारत की संचित निधि उनकी निजी निधि नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा वेतन, मेरी कमाई और मेरी बचत मेरी है, भारत की संचित निधि नहीं।

उम्मीदवारों के लिए करूंगी प्रचारः सीतारमण

सत्तारूढ़ भाजपा ने 19 अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी लोकसभा चुनावों में कई मौजूदा राज्यसभा सदस्यों को मैदान में उतारा है। इनमें पीयूष गोयल, भूपेन्द्र यादव, राजीव चन्द्रशेखर, मनसुख मंडाविया और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। सीतारमण कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि वह अन्य उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगी। उन्होंने कहा कि मैं कई मीडिया कार्यक्रमों में भाग लूंगी और उम्मीदवारों के साथ जाऊंगी – जैसे कल मैं राजीव चंद्रशेखर के प्रचार के लिए जाऊंगी। मैं प्रचार अभियान में रहूंगी।

वित्त मंत्री के पास इतनी संपत्ति

देश के खजाने का हिसाब-किताब रखने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास बाकी कैबिनेट मंत्रियों के मुकाबले बहुत कम सं​पत्ति है। चार साल पहले (2020) उन्होंने जब अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था तो पता चला कि मोदी कैबिनेट में वह सबसे कम संपत्ति वाली मंत्रियों में से एक हैं। उस समय उनके पास करीब 1.34 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। उनके पास अपने पति के साथ संयुक्त हिस्सेदारी के रूप में 99.36 लाख रुपये कीमत का एक मकान है। इसके अलावा उनके पास करीब 16.02 लाख रुपये कीमत की एक गैर कृषि भूमि भी है।

वित्त मंत्री के पास कार नहीं, बजाज का स्कूटर है

वित्त मंत्री के पास उनके अपने नाम में कोई कार नहीं है। उनके पास एक बजाज चेतक ब्रैंड का एक पुराना स्कूटर है जिसकी कीमत तब करीब 28,200 रुपये आंकी गई थी। उनकी कुल चल संपत्ति करीब 18.4 लाख रुपये की है। देनदारी के रूप में उनके उपर 19 साल तक का एक लोन, एक साल का ओवरड्राफ्ट और 10 साल का मॉर्टगेज लोन है।

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सभी दलों ने चुनावी बॉन्ड को भुनाया

वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को यह भी कहा कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं। इस मामले में किसी को कुछ भी कहने का नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि यह सब वैध और कानून के मुताबिक था। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी बॉन्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर, चुनावों के वित्तपोषण के लिए बेहतर प्रणाली लाने को लेकर और अधिक चर्चा की जरूरत है। सीतारमण ने यहां समाचार चैनल टाइम्स नाऊ के सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि कानून को सुप्रीम कोर्ट ने अब खारिज कर दिया है। लेकिन इसे संसद में पारित किया गया था और बॉन्ड उस समय के कानून के अनुसार खरीदे गए थे। उन्होंने कहा कि इसे संसद द्वारा पारित किया गया था और कानून के आधार पर, बॉन्ड सभी दलों ने खरीदे और भुनाए। हर किसी ने सभी से चंदा प्राप्त किया है, चंदा देने वालों ने हर दल को चंदा दिया।

जो दल अब कह रहे हैं, उन्होंने भी बॉन्ड के जरिए पैसे लिए

सीतारमण ने कहा कि जो दल अब कह रहे हैं कि ये घोटाला है, उन्होंने भी बॉन्ड के जरिए पैसे लिए थे। आखिर किसी को बोलने का क्या नैतिक अधिकार है क्योंकि यह तब कानून के अनुसार था… यह सब वैध तरीके से हुआ। यह पहले की तुलना में एक बेहतर कदम था। यह पूछे जाने पर कि इस संबंध में नई सरकार क्या कर सकती है, उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि व्यवस्था को कैसे बेहतर बनाया जाए। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड प्रणाली अब भी पिछली व्यवस्था से बेहतर थी। हम अब पुरानी स्थिति में हैं। हमें इस संदर्भ में बहुत कुछ करने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना संविधान के तहत सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है। वित्त मंत्री ने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के छापे और बॉन्ड खरीद के बीच संबंध के आरोपों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि छापे उन कंपनियों पर भी हुए हैं जिन्होंने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भाजपा को चंदा नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि ईडी की छापेमारी अब भी होती है, इससे उन्हें (कंपनियों को) कोई छूट नहीं मिल जाती।

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