2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद पुलिस ने मुख्तार पर कसा था शिकंज
वाराणसी बीएनएम न्यूज़: इंटरस्टेट गैंग 191 का सरगना मुख्तार अंसारी 25 अक्टूबर, 2005 से जेल में निरुद्ध था। पुलिस उसके गिरोह के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही थी। उसके सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। मुख्तार का गिरोह 14 अक्टूबर, 1997 को गाजीपुर जिले में रजिस्टर्ड हुआ था। 29 नवंबर, 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद पुलिस ने मुख्तार पर शिकंजा कसना शुरू किया।
पुलिस ने मुख्तार अंसारी गिरोह व सहयोगियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए आय के स्रोत को भी बंद किया। गिरोह के 292 सहयोगियों को चिह्नित किया और इनके खिलाफ विभिन्न थानों में 160 मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। गिरोह के पास मौजूद 175 शस्त्र लाइसेंस को निरस्त कर दिया गया। गिरोह के 164 सदस्यों के विरुद्ध गैंगस्टर व छह के विरुद्ध एनएसए के तहत कार्रवाई की गई थी। गिरोह से जुड़े पांच बदमाशों को अलग-अलग स्थानों पर हुई मुठभेड़ में मार गिराया। मुख्तार व उसके गिरोह की लगभग 318 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है, जबकि 287 करोड़ से अधिक की संपत्ति ध्वस्त व अवैध कब्जे से मुक्त हो चुकी है। पुलिस ने गिरोह के 215 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार को बंद कराया है तो गिरोह की मदद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी जारी है।17 माह में आठ मामलों में मिल चुकी थी सजा : मुख्तार को बीते 17 माह में आठ मामलों में कोर्ट से सजा सुनाई जा चुकी थी। मुख्तार के खिलाफ लंबित 65 मुकदमों में से 20 में अदालत में सुनवाई चल रही थी।
मुख्तार के खिलाफ सजा का सिलसिला 21 सिंतबर 2022 को शुरू हुआ था
-लखनऊ के आलमबाग थाने में 2003 में जेलर को धमकाने में पहली बार सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा।
-23 सितंबर, 2022 को लखनऊ में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई।
-15 दिसंबर, 2022 को गाजीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में दस वर्ष की सजा हुई।
-29 अप्रैल, 2023 को गाजीपुर में ही दर्ज गैंगस्टर एक्ट के एक अन्य मामले में दस वर्ष की सजा हुई।
-पांच जून 2023 को अदालत ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय हत्याकांड में उम्रकैद। यह फैसला 32 वर्ष बाद आया था। मुख्तार के खिलाफ हत्या का यह पहला मामला था जिसमें उसको दोषी ठहराया गया था।
-27 अक्टूबर, 2023 को गाजीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के ही मामले में दस वर्ष कारावास की सजा मिली।
-13 मार्च को विशेष अदालत ने फर्जीवाड़ा कर बंदूक का लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
आज वाराणसी में होनी थी सुनवाई
मुख्तार अंसारी के खिलाफ तीन वर्ष पहले मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) में दर्ज मुकदमे की सुनवाई वाराणसी के विशेष अदालत में हो रही थी। हाई कोर्ट के आदेश पर गाजीपुर न्यायालय में लंबित मुकदमे को यहां स्थानांतरित किया गया था। जिलाधिकारी के दो शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त करने के बाद शस्त्र को जमा नहीं करने पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ नौ अप्रैल 2021 को मुहम्मदाबाद थाना में मुकदमा दर्ज किया गया था। उक्त मामले की पत्रावली विशेष अदालत में पेश की गई थी। इसकी सुनवाई शुक्रवार को दोपहर बाद होनी थी।
1996 से लगातार पांच चुनावों में मिली थी एकतरफा जीत
अंसारी मऊ सदर से 1996 से लगातार पांच चुनावों में एकतरफा जीत हासिल करता रहा। 2005 से ही वह जेल में रहकर सारी गतिविधियां संचालित करता था। मुख्तार की जन्मस्थली भले ही गाजीपुर की युसुफाबाद थी, लेकिन कर्मस्थली मऊ को बना लिया था। मुख्तार 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार के तौर पर उतरा और सदर से जीत हासिल की थी। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2002 व 2007 में चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 2012 में कौमी एकता दल का गठन करके चुनाव मैदान में उतरा और जीत हासिल कर चौथी बार जीत का रिकार्ड बनाया। भाजपा की लहर में भी उसने 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा से जीत हासिल की थी। वर्ष 2022 के चुनाव में बेटे अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा और चुनाव की रणनीति भी तैयार की। गाजीपुर और मऊ के लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव में भी उसका खासा दखल था। इसी दौरान चार दशक से मुख्तार पर न्याय का चाबुक भी लगातार चलता रहा।