तुलसी और कबीर के करुणा व दया के भाव पर विश्वविद्यालयों में भी हो अमल: प्रो. योगेश सिंह

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज: DU News: दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह (Pro. Yogesh Singh ) ने कहा कि तुलसी और कबीर ने बहुत ही सहज ढंग से जो बातें कही हैं, वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। तुलसी और कबीर के करुणा और दया के भाव पर विश्वविद्यालयों में भी अमल किया जाना चाहिए। यह बातें प्रो. योगेश सिंह ने बुधवार को डीयू के कन्वेंशन हाल में प्रो. अनिल राय (Pro. Anil Rai ) की लिखित पुस्तक ‘भक्ति संवेदना और मानव मूल्य’ के विमोचन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि कही।
विषम काम में व्यक्ति देता है अपनी सर्वोत्तम प्रस्तुति
कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने पुस्तक की विषयवस्तु के संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा कि लेखक ने हिंदी साहित्य के मध्यकाल (भक्तिकाल) पर अधिक लेखन इस पुस्तक में किया है। यह काल भारत की पराजय का काल था, भारत की गुलामी का काल था। उस काल में भी तुलसीदास, संत कबीर और सूरदास जैसे कवि भक्ति काव्य में रचनाएं कर रहे थे। कुलपति ने कहा कि वह देश का विषम काल था और जब परिस्थितियां विपरीत होती हैं तो व्यक्ति अपनी सर्वोत्तम प्रस्तुति देता है। यही कारण है कि उस काल में तुलसीदास कृत रामचरितमानस जैसी कालजयी रचनाओं का लेखन हुआ। उन्होंने कहा कि राम ने तुलसी को बनाया और तुलसीदास ने राम को भारत के घर-घर में स्थापित कर दिया।
करुणा के भाव को कम करता है श्रेष्ठता का भाव
प्रो. योगेश सिंह ने पुस्तक के शीर्षक “भक्ति संवेदना और मानव मूल्य” पर कहा कि मानव जीवन से संवेदना निकाल देने पर जीवन ऐसा हो जाता है जैसे बिना पानी के मिट्टी रेत बन जाती है। कुलपति ने शिक्षा जगत में श्रेष्ठता के भाव को लेकर कहा कि यह भाव करुणा के भाव को कम करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक को हर रोज समय की तुला पर तुलना होता है। अगर आपको पढ़ाने में आनंद आता है तो यही शिक्षक होने का सुख है। इसलिए शिक्षकों के चेहरे पर तनाव अच्छा नहीं लगता।
कुछ रिसर्च पेपर और कुछ भाषणों का संकलन है यह पुस्तक
विमोचन समारोह में दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, डीन आफ कालेजेज प्रो. बलराम पाणी और रजिस्ट्रार डा. विकास गुप्ता ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के आरंभ में प्रो. हरेन्द्र सिंह ने पुस्तक के बारे में विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की। उसके बाद लेखक प्रो. अनिल राय ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रो. अनिल राय ने जानकारी देते हुए बताया कि इस पुस्तक में उनके कुछ रिसर्च पेपर और उनके कुछ भाषणों का संकलन है। कार्यक्रम के समापन पर दौलतराम कालेज की प्राचार्य प्रो. सविता रॉय ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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