National Seminar: श्याम लाल कॉलेज में 24 को आयोजित हो रही पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, आप भी ले सकते हैं भाग

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। National Seminar: दिल्ली विश्वविदयालय से संबंद्ध श्याम लाल कॉलेज (Shyam Lal College) के हिंदी विभाग ने 24 अप्रैल को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘गांधी और हिन्दी साहित्य’ (Gandhi And Hindi literature) विषय पर आयोजित है। यह संगोष्ठी गांधी स्टडी सर्किल, आईक्यूएसी एवं दिल्ली विश्वविदयालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही है। इसके लिए गूगल फार्म में पंजीकरण कराना होगा। इसमें सारांश भेजने की अंतिम तिथि 19 अप्रैल है। आलेख भेजने की अंतिम तिथि 22 अप्रैल है। आलेख भेजने का ईमेल hindidept@shyamlal.du.ac.in है। पूर्ण आलेख या शोध आलेख लगभग 2500 से 5000 शब्दों तक होना चाहिए। आलेख हिंदी फांट यूनिकोड में होना चाहिए। संगोष्ठी में भाग लेने वालों की अर्हता में महाविद्यालय छात्र, शोध छात्र और प्राध्यापक एवं विद्धत समाज है। इसमें महाविद्यालय छात्र के लिए पंजीकरण शुल्क 200 रुपये, शोध छात्र के लिए 400 रुपये और प्राध्यापक एवं विद्धत समाज के लिए 500 रुपये है। संगोष्ठी के आयोजकों में प्राचार्य प्रो. रबी नारायण कर, गांधी भवन के निदेशक प्रो. केपी सिंह, आईक्यूएसी की निदेशक प्रो. कुशा तिवारी, गांधी स्टडी सर्किल के संयोजक एवं राजनीति विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. सीताराम कुंभर, संगोष्ठी के संयोजक और विभाग के प्रभारी डॉ. राजकुमार प्रसाद हैं। इसके आयोजक सदस्यों में डॉ. नंद किशोर, डॉ. प्रभात शर्मा, डॉ. राकेश कुमार मीणा, डॉ. सुजाता, डॉ. सत्यप्रिय पांडेय, डॉ. समरेंद्र कुमार, डॉ. अमिताभ कुमार, डॉ. लक्ष्मी विश्नोई, डॉ. अवनीश मिश्र, डॉ. हनुमत लाल मीणा, डॉ. रमेश कुमार बर्नवाल, डॉ. सुमन, डॉ. निधि मिश्रा और रश्मिता साहू शामिल हैं।

मुख्य विषय के अतिरिक्त कुछ उप विषय सुझाए जा रहे हैं, जिन पर प्रतिभागी आलेख भेज सकते हैं-

1- गांधी का चिंतन और हिंदी
2- गांधीवादी मूल्यबोध और हिंदी साहित्य
3- गांधीवादी चिंतन पर भक्ति साहित्य का प्रभाव
4- भक्ति साहित्य में रामराज्य की अवधारणा और गांधी के रामराज्य की परिकल्पना
5- गांधी और सामाजिक आंदोलन
6- गांधी और हिंदी पत्रकारिता
7- गांधी दर्शन और आधुनिक हिंदी कविता
8- गांधी और हिंदी कथा साहित्य
9- गांधी और हिंदी नाटक
10- गांधी और राष्ट्रभष हिंदी का प्रश्न
11- गांधीवादी राष्ट्रवाद और हिंदी साहित्य
12- गांधी और स्त्री प्रश्न
13- गांधीवादी अछूतोद्धार और हिंदी साहित्य
14- हिंदी साहित्य में गांधीवादी चरित्र और नायक
15-गांधी और हिंदी सिनेमा

एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘गांधी और हिन्दी साहित्य’ के बारे में

 

20वीं सदी के भारतीय समाज और राजनीति को अपने मौलिक विचार और दार्शनिक चिंतन से सर्वाधिक प्रभावित गांधी ने किया। औपनिवेशिक भारत के मुक्ति-संग्राम में उनका योगदान अप्रतिम और अविस्मरणीय है। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक हैं, साथ ही आधुनिक भारत के महान विचारक और चिंतक भी। कर्म, आचरण और विचार के बीच एकसूत्रता और अभिन्नता उन्हें सार्वकालिक महान राजनेता बनाती है। उनके चिंतन का मूल बिन्दु –स्वराज, सत्य और अहिंसा है। वे एक ऐसे स्वराज की परिकल्पना करते हैं जो भौतिक भी है और आध्यात्मिक भी। इसी स्वराज के लिए उन्होंने राजनीतिक आंदोलन चलाया और ब्रिटिश उपनिवेशवाद के साथ ही साथ भारतीय आंतरिक समाज और मनोजगत में मौजूद उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष किया। उपनिवेशीकरण की यह प्रक्रिया व्यक्ति और समाज से लेकर पर्यावरण तक व्याप्त है। वे ‘स्वराज’ को हासिल करने के लिए अहिंसा और सत्य को टूल्स की तरह इस्तेमाल करते हैं और व्यक्ति के भीतर ‘आत्मबल’ को प्रतिष्ठित करते हैं। यह ‘आत्मबल’ नीतिगत है और ‘पशुबल’ के प्रतिरोध में खड़ा है। भारतीय समाज दर्शन, चिंतन और साहित्य में सत्य और अहिंसा की मौजूदगी पहले से ही थी लेकिन गांधी ने इसका राजनीतिक इस्तेमाल किया और अपने अनूठे प्रयोग से देश की स्वाधीनता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांधी के ‘स्वराज’ और ‘रामराज’ में अभिन्नता है। यह सत्यमार्ग व अहिंसा के रास्ते ही हासिल किया जा सकता है।

हिन्दी साहित्य पर सर्वाधिक प्रभाव महात्मा गांधी का पड़ा

गांधी के चिंतन का प्रभाव इतना व्यापक रहा कि इसने न सिर्फ समाज विज्ञान को प्रभावित किया बल्कि मानविकी को भी। वे खुद मध्यकालीन संत कवियों से प्रभावित रहे और आधुनिक हिन्दी साहित्य को व्यापक रूप से प्रभावित किया। द्विवेदी युग से लेकर स्वातंत्रयोत्तर हिन्दी साहित्य की अधिकांश विधाओं और रचनात्मक लेखन पर गांधी के सिद्धांत का प्रभाव पड़ा। आधुनिक विचारक, चिंतक, राजनेता और समाजकर्मी के रूप में हिन्दी साहित्य पर सर्वाधिक प्रभाव उनका ही पड़ा। मैथिलीशरण गुप्त, सियारामशरण गुप्त, माखन लाल चतुर्वेदी, सरदार पूर्ण सिंह, रामनरेश त्रिपाठी, प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान, निराला, पंत, जैनेन्द्र, दिनकर, बच्चन, भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर फणीश्वर नाथ रेणु आदि हिन्दी के शीर्षस्थ लेखक गांधीवाद से प्रभावित रहे। कहना न होगा, राष्ट्रीय संगोष्ठी का यह विषय वर्त्तमान समय और समाज में पुनर्पाठ के लिए चुनौतीपूर्ण भी है और प्रासंगिक भी।

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Tag- National Seminar, Gandhi and Hindi Literature Shyam Lal College, Delhi UniverSity, DU News

 

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