JNU में अगले सत्र से तीन नए अध्ययन केंद्र की होगी शुरुआत, अकादमिक परिषद की बैठक में लगी मुहर
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 2025-26 के सत्र से तीन नए हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्रों की शुरुआत होगी। हाल में हुई अकादमिक परिषद की बैठक में इस पर मुहर लग गई है। तीनों अध्ययन केंद्र से विद्यार्थी परास्नातक की डिग्री और पीएचडी कर सकेंगे। इनमें दाखिले कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के जरिये होंगे।
तीनों अध्ययन केंद्रों में शुरुआत में 20-20 सीटों पर मिलेंगे दाखिले
तीनों अध्ययन केंद्र संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान में शुरू किए जाएंगे। संस्थान के डीन प्रो. ब्रजेश कुमार पांडेय ने बताया कि सीयूईटी परास्नातक की परीक्षाएं हो चुकी हैं। अगले सत्र से परीक्षा देने वाले छात्र यहां प्रवेश ले पाएंगे। शुरुआत में तीनों केंद्रों में 20-20 सीटें होंगी। इसके बाद इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के प्रयासों से ही तीनों केंद्रों की स्थापना की गई है। प्राचीन भारतीय परंपरा में शोध कार्यों को बढ़ावा देने का प्रयास जेएनयू प्रशासन कर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रगतिशील प्रविधानों में शिक्षण-अधिगम और अनुसंधान में नवाचार लाने के लिए ये तीनों केंद्र बनाए गए हैं।
इनके लिए अलग से इंफास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा
शुरुआत में संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान में इनकी शुरुआत होगी। इसके बाद इनके लिए अलग से इंफास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिंदू अध्ययन केंद्र के तहत प्राचीन भारतीय साहित्य, वेद, उपनिषद, गीता के भाग, ऐसी ज्योतिष विद्या जो भारतीय गणितीय पद्धति का प्रतिनिधित्व करती है। लीलावती, आर्यभट्ट, चरक और सुश्रुत की आयुर्वेद संहिता का अध्ययन कराया जाएगा। साथ ही अर्थशास्त्र की तंत्रयुक्ति, मीमांसा का अधिकरण, भारतीय प्रबंधन, पाणिनी और वाद परंपरा, शास्त्रार्थ की विधियां, अर्थ निर्धारण, शक्ति व प्रकृति का सिद्धांत, सौंदर्य लहरी, कश्मीर का शैव दर्शन, आयुर्विज्ञान, विधि शास्त्र इसके पाठ्यक्रम में शामिल हैं। विशेष रूप से सिख ज्ञापन परंपरा को इसके पाठ्यक्रम में रखा गया है, उनके पद्य भी पढ़ाए जाएंगे।
प्रो. पांडेय ने बताया कि बौद्ध अध्ययन केंद्र में मूल साहित्य त्रिपिटक, पाली व्याकरण, थेरवाद या स्थिरवाद, बौद्ध दर्शन के प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत, क्षणिकवाद, चार शाखाओं के सिद्धांत, शून्यवाद और बौद्ध धर्म में मोक्ष की अवधारणा को इसके पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा। जैन अध्ययन केंद्र में जैन तत्व मीमांसा, कर्म सिद्धांत, पुर्नजन्म सिद्धांत, जैन गणितीय पद्धति और ज्योतिष, प्राकृत भाषा का इतिहास एवं व्याकरण, सम्यक दर्शन, पंच महाव्रत और जैन तीर्थंकरों का इतिहास इसके पाठ्यक्रम में शामिल होगा। प्रो. पांडेय ने कहा संस्कृत स्कूल में हिंदू अध्ययन, बौद्ध अध्ययन और जैन अध्ययन भारत की विविधता में एकता को समझने का मार्ग बनेगा और भारतीय मानस को जानने में सहायक होगा।
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