Kidney Racket: अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़, 15 गिरफ्तार; दिल्ली, हरियाणा, गुजरात समेत कई राज्यों में थे सक्रिय

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः दिल्ली में अंतरराज्यीय अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का अंतरराज्यीय सेल, क्राइम ब्रांच की टीम ने भंडाफोड़ किया है। सरगना समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में सक्रिय थे।

आरोपियों के कब्जे से स्टाम्प, विभिन्न अधिकारियों की मुहर, विभिन्न अस्पतालों और प्रयोगशालाओं के खाली कागजात, किडनी प्रत्यारोपण के रोगियों और दाताओं की जाली कागज फाइलें और अन्य महत्वपूर्ण जाली आईडी दस्तावेजों सहित बहुत सारी आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है। बताया जा रहा है कि इनके पास से 34 फर्जी टिकट, 17 मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, नौ सिम, एक लग्जरी कार, 1,50,000 रुपये, मरीजों/प्राप्तकर्ताओं और डोनर के जाली दस्तावेज और फाइलें बरामद की गई हैं।

दिल्ली क्राइम ब्रांच के मुताबिक, 5 राज्यों के अलग अलग अस्पतालों में अवैध तरीके से हुई किडनी ट्रांसप्लांट हो रहे थे। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किडनी ट्रांसप्लांट किया जा रहा था। इससे पहले 9 जुलाई को क्राइम ब्रांच ने एक किडनी रैकेट पकड़ा था. तब 30 बांग्लादेशी नागरिकों समेत 7 लोग गिरफ्तार किए गए थे

 नोएडा निवासी संदीप आर्या है सरगना

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे रैकेट का सरगना नोएडा निवासी संदीप आर्या है। संदीप आर्या पब्लिक हेल्थ में एमबीए है और दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, इंदौर व वडोदरा के अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर था। संदीप आर्या व उसके साले उत्तराखंड निवासी देवेंद्र झा को गोवा के एक फाइव स्टार होटल से पकड़ा गया, देवेंद्र दसवीं पास है, वह संदीप आर्या के सहायक के रूप में कार्य करता था और उसके कहने पर मरीजों से पैसे लेता था।

पुलिस ने इन लोगों को किया गिरफ्तार

पुलिस ने  अन्य आरोपी लखनऊ निवासी सुमित उर्फ विजय कश्यप को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, सुमित ग्रेजुएट है, किडनी दान करने के दौरान संदीप के संपर्क में आया, वह किडनी बेचने के इच्छुक व्यक्ति को किडनी रिसीवर की लाइफ स्टाइल और पर्सनालिटी से मेल बैठाने का काम करता था, ताकि किसी को शक न होने पाए। आगरा निवासी पुनीत कुमार के पास हास्पिटल मैनेजमेंट की डिग्री है, वह किडनी बेचने वाले के फर्जी दस्तावेज तैयार करता था, ताकि उसे रिसीवर का रिश्तेदार साबित किया जा सके, वर्तमान में वह आगरा के एक अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर के तौर पर काम कर रहा था।

दिल्ली निवासी तेज प्रकाश ने संदीप के जरिये मोहाली के एक अस्पताल से अपनी पत्नी का किडनी ट्रांसप्लांट कराया था, बाद में वह संदीप को किडनी बेचने वाले व्यक्ति उपलब्ध कराने लगा था। दिल्ली निवासी रोहित खन्ना उर्फ नरेंद्र विभिन्न किडनी डोनर वाट्सएप ग्रुपों से जुड़ा हुआ था, जैसे ही कोई किडनी दान करने की इच्छा जताता था, वह उस व्यक्ति को संदीप से मिलवा देता था।

इन राज्यों में फैला था गिरोह का जाल

दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इंटरस्टेट किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश कर 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया. साथ ही 34 नकली स्टैंप, 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 9 सिम कार्ड, 1 लग्जरी कार, 1,50,000 रुपए, डोनर और पेशेंट के फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं.  ये रैकेट दिल्ली एनसीआर, पंजाब, हरियाण, मध्य प्रदेश और गुजरात में एक्टिव था. इस गैंग के कुछ सदस्य फर्जी दस्तावेज बनाकर अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के तौर पर नौकरी ले लेते थे.

इससे उन्हें किडनी पेशेंट्स की जानकारी मिल जाती थी. साथ ही पेशेंट्स के टेस्ट भी करवा लेते थे ताकि सही डोनर मिल सके. डोनर्स को तलाशने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया करते थे. अभी तक इस मामले में किसी डॉक्टर की भूमिका सामने नहीं आई है. इस गिरोह के मास्टरमाइंड संदीप आर्य है जो अन्य अस्पतालों में एक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर है. एक ट्रांसप्लांट कराने के 35 -40 लख रुपए लेता है. संदीप, देवेंद्र, विजय, पुनीत, हनीफ, चीखा, तेज प्रकाश और रहित वर्मा को गिरफ्तार किया है.

कुछ दिन पहले हुआ था एक और गिरोह का पर्दाफाश

इससे पहले किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह से जुड़ी नामी अस्पताल की डॉक्टर विजया कुमारी भी पकड़ी गई थी. गिरोह का मास्टरमाइंड बांग्लादेशी नागरिक रसेल भी जसोला विहार से पकड़ा गया था. रिसीवर और डोनर दोनों बांग्लादेशी नागरिक थे. नोएडा के एक नामी अस्पताल में विजया कुमारी ने 15 से ज्यादा किडनी अवैध तरीके से ट्रांसप्लांट की थी. इस गिरोह से जुड़े लोग 4 से 5 लाख में किडनी लेते थे और 25 से 30 लाख में बेचते थे. किडनी रैकेट में अब तक कुल 15 गिरफ्तार हो चुके हैं.

नोएडा के अस्पताल में हो रही थी सर्जरी

जिस किडनी रैकेट के तार बांग्लादेश से जुड़े थे. उसमें पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, उसमें जिस अस्पताल में ये सर्जरी हो रही थी, वो नोएडा का बड़ा अस्पताल है. इस गिरोह के पर्दाफाश के बाद अस्पताल और डॉक्टर पर सवाल खड़े रहे हैं. लोगों के लिए डॉक्टर किसी भगवान से कम नहीं है. लेकिन जब भी कोई ऐसी खबरें सुनता है तो उसका भरोसा डॉक्टर से उठ जाता है. देशभर में अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जब डॉक्टर पैसे के लिए ईमान बेच बैठते हैं.

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