Haryana News: पानीपत की परी रानी ने संघर्ष से रची सफलता की कहानी, जानें कैसे खड़ा किया व्यवसाय
नरेन्द्र सहारण, पानीपत : मैं परी रानी…आयु 39 वर्ष है। गांव आट्टा में सामान्य से परिवार (पिता लघु किसान) में जन्मी। छह बहनों और दो भाइयों के साथ पली-बढ़ी। बस पली-बढ़ी। शिक्षा तो मात्र कक्षा छह तक ही जैसे-तैसे पूरी हो चुकी थी। तेरह बसंत पार होते ही चौदहवें में प्रवेश किया तो स्वजन ने विवाह के बंधन में बांध दिया। परी रानी को अभी उड़ना है, किसी ने भी नहीं सोचा। बाल विवाह कानूनी जुर्म है, समाज पर कलंक है, ऐसे शब्द कभी किसी से सुने नहीं। सुन भी लेती तो भी स्वजन के फैसले का विरोध करने का उस उम्र में साहस नहीं था। खैर, जो बीती उसे सहा।
जीवन से संघर्ष किया और जीती भी। सिलाई सीखी, अपने सिले सूटों को पहन विभिन्न इंटरनेट साइट्स पर माडलिंग कर नवाचार अपनाया और आत्मनिर्भरता की सीढ़ी चढ़ती चली गई। आज मेरे सिले हुए परिधान अमेरिका, जर्मनी व कनाडा समेत कई देशों में पहुंच रहे हैं। मेरे जानने वाले कहते हैं कि ट्रेडर्स, एक्सपोर्टर और माडल…ये सारे गुण अन्य बिजनेस वूमेन से मुझे अलग बनाते हैं। पांच करोड़ रुपये सालाना आफलाइन-आनलाइन व्यवसाय, इंटरनेट पर आठ लाख से अधिक फालोअर्स को देखती हूं तो आगे और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
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कभी मांग कर सूट पहनती थी
जैसा कि मैंने बताया बहुत सामान्य परिवार में जन्म लिया था। तन ढकने के लिए ठीक से कपड़े तक नहीं मिलते थे। परिवार-रिश्तेदारों की लड़कियों के पुराने कपड़े मांग कर अनेकों बार पहने। शादी के कुछ माह बाद गर्भवती हुई, उस समय पति की दी हुई प्रताड़ना बहुत कष्ट देती थी। प्रसव से पहले मैं अपने मायके आकर रहने लगी थी। स्वजन ने गर्भपात का दबाव बनाते हुए दूसरी शादी की सलाह भी दी। गर्भ में पल रहे अंश को मैं बड़ा होते देखना चाहती थी, इसलिए स्पष्ट मना कर दिया। हां, इस दौरान मैंने गांव में ही सिलाई करना सीख लिया था। 200 रुपये मासिक फीस थी, मैं टेलर मास्टर को 100 रपये ही दे पाती थी। मायके में सीखी सिलाई, ससुराल में बहुत काम आई।
आर्थिक-मानसिक संघर्ष का दौर
पति की दी शारीरिक प्रताड़ना के साथ आर्थिक-मानसिक संघर्ष का दौर शुरू हो चुका था। तब मैंने आसपास की महिलाओं के सूट-सलवार सिलने शुरू किए। सिलाई फीस भी 20 से 50 रुपये मिलते थे। महिलाएं कपड़े सिलाई कराने के लिए आने लगी तो मैंने कुछ रेडिमेड सूट भी घर पर लाकर रख लिये। मेरे सूट महिलाओं को खूब पसंद आते, हौसला बढ़ता गया। फिर मैंने अनस्टिच कपड़े रखने शुरू कर दिए। महिलाओं-लड़कियों की डिमांड के अनुसार डिजायनदार सूट सिलने लगी। आसपास ही नहीं, दूसरी कालोनियों से भी महिलाएं कपड़े सिलाई कराने और खरीदने आने लगी थी। यह वह दौर था जब पति से अलग होने का समय आ गया था।
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नवाचार अपनाया तो बढ़ा बिजनेस
पति से तलाक हो चुका था। बेटा विनय और बेटी परिशा को साथ लेकर फिर से मायके में आकर रहने लगी थी, लेकिन कब तक? इस सवाल का उत्तर ढूंढ़ा तो सेक्टर-23, टीडीआइ में आकर किराये के घर में रहने लगी। यहीं मार्केट में परी रानी नाम से स्टोर खोल लिया। अब मैं अपने सिले सूट पहनकर यू-ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी इंटरनेट साइट्स पर रील अपलोड कर माडलिंग करने लगी। डिजायनदार परिधानों में डांस की क्लिप भी साझा की । इसमें रैंप वाक से लेकर डांसिंग शामिल रहा। इसका परिणाम यह हुआ कि देश-विदेश से डिजायनदार कपड़ों के फोन काल और मैसेज आने लगे। जैसे-जैसे फालोअर्स बढ़े तो आर्डर भी बढ़ते ही गए। आफलाइन से कई गुना अधिक बिजनेस आनलाइन करने लगी।
कारीगरों को डिजायन देती हूं
मेरे स्टोर में छह लोगों का स्टाफ है। इनमें से तीन तो सिलाई के कार्य में लगे रहते हैं। मैं अपना डिजायन कारीगरों को देती हूं। कारीगर डिजायनदार कपड़े सिलाई करते हैं। मैं खुद भी सिलाई करती हूं। कुछ काम बाहर से कराया जाता है। अपनी आत्मनिर्भरता से अधिक इस बात की संतुष्टि है कि 20 से अधिक लोगों को रोजगार दे रही हूं। बेटा विनय 24 साल का हो चुका है, कक्षा 12 तक पढ़ाई पूरी करने के बाद स्टोर पर अकाउंटेंट का काम संभालने लगा है। बेटी अभी छह साल की है, पढ़ रही है। इंटरनेट पर वीडियो , खासकर डांस की रील साझा करती है। उसके भी एक लाख से अधिक फालोअस नहीं हैं।
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कंपनियां बतौर माडल लगाती हैं मेरा फोटो
मैं सिलाई किए परिधानों के अलावा अनस्टिच कपड़े भी बेचती हैं। फीमेल कपड़ों में ही डील करती हूं। जिन कंपनियों से मैं माल लेती हूं, वे अब पैकिंग करते समय मेरा फोटो बतौर माडल लगाने लगी हैं। सीधे शब्दों में कहूं तो परी रानी सूट के नाम से बेचे जाते हैं। इंटरनेट साइट्स पर परी रानी सर्च करेंगे तो मैं माडलिंग करती दिख जाऊंगी। मेरे स्टोर से हर दिन रोजाना 100 से 150 सूट बाहर निकलते हैं।
सिंगल मदर के लिए बड़ी चुनौती
माता-पिता इतने सक्षम नहीं हैं कि आर्थिक मदद कर पाते। पति से तलाक लिया तो अपने दो बच्चों के अलावा कुछ नहीं मांगा। सिंगल मदर के लिए बिजनेस को बढ़ाना, दो बच्चों को पालना बड़ी चुनौती है। दूसरे शहरों से थोक में माल लाना, आर्डर बुक करना व तैयार कर पहुंचाना जैसे तमाम काम करने पड़ते हैं। साथ में दोनों बच्चों को भी संभालना होता था, अब तो बच्चे बड़े हो गए हैं। यही चुनौतियां आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। व्यवसाय बढ़े, स्टाफ और बढ़े इसके लिए नवाचारों पर फोकस रखती हूं। खासकर, नए-नए डिजायन के लेडीज परिधान तैयार करने पर फोकस रहता है।
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