Punjab and Haryana High Court: तलाक लेकर हुआ गलती का अहसास, साथ रहने के लिए दोबारा करनी पड़ेगी शादी

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Punjab and Haryana High Court: पति-पत्नी ने वैवाहिक विवाद के चलते फैमिली कोर्ट में आपसी सहमति से तलाक ले लिया, लेकिन बाद में उनको अपनी गलती का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने साथ रहने के रहने के लिए फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को रद करने की पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से गुहार लगाई। हाई कोर्ट ने उनकी अपील को खारिज करते हुए कहा कि वे दोबारा विवाह कर सकते हैं, लेकिन तलाक का आदेश रद नहीं हो सकता।

कोर्ट की अवमानना और झूठी गवाही के बराबर होगा

हाई कोर्ट ने माना कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी के तहत आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के खिलाफ अपील इस आधार पर स्वीकार्य नहीं होगी कि युगल फिर से पति-पत्नी के रूप में साथ रहना चाहता है। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा ने कहा कि पक्षकारों को बाद में अपने शपथ पत्र वापस लेने और सुलह की इच्छा जताने की अनुमति देना, यह कहकर कि उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है और अब वे साथ रहना चाहते हैं, कोर्ट की अवमानना और झूठी गवाही के बराबर होगा। इसके अतिरिक्त यह व्यवहार कोर्ट के अधिकार को कमजोर करेगा। इसकी कार्यवाही का अपमान करेगा और इसके निर्णय का मजाक उड़ाएगा।

फिर से विवाह करने की अनुमति

पीठ ने कहा कि चूंकि अब पक्षों को अपनी गलती का अहसास हो गया है और वे साथ रहना चाहते हैं, इसलिए अधिनियम की धारा 15 के अनुसार उन्हें फिर से विवाह करने की अनुमति है। अधिनियम में उन पक्षों के पुनर्विवाह पर कोई रोक नहीं है, जिन्होंने तलाक लिया है। हाई कोर्ट संगरूर के तलाकशुदा पति-पत्नी की अपील पर सुनवाई कर रहा था। दोनों ने संगरूर फैमिली कोर्ट द्वारा उनकी आपसी सहमति से दिए गए तलाक को रद करने की हाई कोर्ट से अपील की थी। नाबालिग बेटी की अभिरक्षा पत्नी को दी गई थी। तलाक की डिक्री में कहा गया था कि पक्षकार कोर्ट में दिए गए अपने बयानों से बंधे रहेंगे।

नाबालिग बच्चे के कल्याण के लिए उठाया कदम

अपीलकर्ताओं (दंपती) के वकील ने दलील दी कि आपसी सहमति से तलाक की डिक्री प्राप्त करने के पश्चात अपीलकर्ताओं को अपनी गलती का अहसास हो गया है। अब वे नाबालिग बच्चे के कल्याण के लिए साथ रहना चाहते हैं, क्योंकि उनके तलाक ने नाबालिग बच्चे को सबसे अधिक प्रभावित किया है। सभी पक्षों को सुनने के पश्चात कोर्ट ने इस प्रश्न पर विचार किया कि क्या अधिनियम की धारा 13-बी के अंतर्गत आपसी सहमति से विवाह को समाप्त करने के विरुद्ध अपील की जा सकेगी, जबकि तलाक आपसी सहमति से है। सीपीसी की धारा 96(3) के तहत पक्षों की सहमति से न्यायालय द्वारा पारित तलाक के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती। हाई कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अधिनियम की धारा 15 के प्रविधान के अनुसार, जब विवाह तलाक की डिक्री द्वारा विघटित हो जाता है और डिक्री के खिलाफ अपील का कोई अधिकार नहीं होता है या अपील प्रस्तुत की गई है, लेकिन खारिज कर दी गई है तो किसी भी पक्ष के लिए फिर से विवाह करना वैध होगा।

 

VIEW WHATSAAP CHANNEL

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

 

You may have missed