Haryana Assembly Election 2024: हर बार दक्षिण हरियाणा बनता रहा सरकार की धुरी, इस बार जानें कौन मारेगा बाजी

राव इ्रंद्रजीत सिंह और भूपेंद्र हुड्डा
नरेन्द्र सहारण, रेवाड़ी : Haryana Assembly Election 2024: विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा होते ही सियासी माहौल पूरी तरह से गरम हो गया है। दक्षिण हरियाणा में आने वाली विधानसभा की सीटों के दावेदार भी सभी कार्यक्रम छोड़ टिकट के लिए भागदौड़ करने में लग गए। दक्षिण हरियाणा के सोनीपत, फरीदाबाद, पलवल, तथा अहीरवाल क्षेत्र में आने गुरुग्राम, रेवाड़ी तथा नारनौल- महेंद्रगढ़ जिले में 29 विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि इन्ही सीटों से जीतने वाले विधायक पांच साल तक प्रदेश सरकार के लिए धुरी बने रहे। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दल इन सीटों पर अपने उम्मीदवार काफी मंथन के बाद उतारेंगे। दोनों की पार्टी की ओर से सर्वे भी प्रथम स्तर पर कराया जा चुका है। दूसरे स्तर पर चल रहा है।
सोनीपत में कांग्रेस का प्रर्दशन ठीक रहा
पिछले विधानसभा चुनाव में देखे तो सोनीपत जिले में कांग्रेस का प्रर्दशन ठीक रहा था। यहां छह सीट में से चार सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। सोनीपत, गोहना, बड़ौदा तथा खरखौदा सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। जबकि राई और गन्नौर पर भाजपा की झोली में गई थी। यहां के बाद दिल्ली के करीबी अन्य जिलों में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया था। गुरुग्राम की पटौदी, गुड़गांव तथा सोहना सीट भाजपा की झोली में गई थी। बादशाहपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राकेश दौलताबाद ने जीत दर्ज की थी। राकेश (दिवंगत हो चुके )भी प्रदेश सरकार को ही समर्थन देते रहे थे। फरीदाबाद जिले की छह सीट में से एनआइटी सीट पर ही कांग्रेस का खाता खुला अन्य सीट भाजपा के खाते में गई थी। पलवल की तीन सीट में से दो पर भाजपा जीती थी। पृथला सीट पर भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में कूदे और जीतने के बाद भाजपा सरकार के साथ ही जुड़े रहे ।
जनाधार देखकर टिकट देंगे
नूंह जिले की मुस्लिम बहुल तीनों सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। तीन माह हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जिला की तीनों सीट से अच्छी बढ़त मिली थी। रेवाड़ी में एक सीट पर कांग्रेस मामूली अंतर से जीती थी। जबकि बावल और कोसली पर भाजपा ने दूसरी बार अपना कब्जा जमाया था। नारनौल-महेंद्रगढ़ की चार सीट में महेंद्रगढ़ की सीट ही कांग्रेस के कब्जे में गई। राव दान सिंह ने जीत दर्ज की थी। अन्य सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। भाजपा संगठन के बड़े पदाधिकारी यह मान रहे हैं कि अगर उपयुक्त उम्मीदवार उतारे गए पिछले चुनाव की तरह से इस चुनाव में भी अच्छे परिणाम आएंगे।
वहीं कांग्रेसी नेता लोकसभा चुनाव के परिणाम देखकर इसलिए उत्साहित हैं कि विधानसभा स्तर पर पार्टी को भले ही भाजपा के मुकाबले कम मत मिले हों, पर मतदान प्रतिशत में बड़ा इजाफा हुआ है। जिसके चलते ही कांग्रेस से चुनाव लड़ने वालों की इस बार लंबी लिस्ट है। हालांकि टिकट वितरण के बाद तस्वीर बदल जाती है। अतिउत्साह में कई दावेदार पार्टी का मोह छोड़ अपना झंडा लेकर ही चुनावी दंगल में कूद जाते हैं। जो अपने दल को ही नुकसान पहुंचा देते हैं। ऐसा होता भी आया है। सियासी जानकार कहते हैं कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों दल उम्मीदवार का जनाधार देखकर टिकट देंगे तो पार्टी के लिए बेहतर होगा।
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