Haryana Assembly Election 2024: बंसीलाल के परिवार के गढ़ में टक्कर; तोशाम में भाई और बहन होंगे आमने-सामने

अनिरुद्ध चौधरी और श्रुति चौधरी।

नरेन्द्र सहारण, भिवानी। Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल का राजनीतिक गढ़ रहे तोशाम विधानसभा क्षेत्र में इस बार एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा ने यहां से श्रुति चौधरी (Shruti Choudhary) को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी (Anirudh Choudhary) को मैदान में उतारा है। टिकट न मिलने के कारण पूर्व विधायक शशिरंजन परमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मुकाबले में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा, जजपा ने भी सरपंच राजेश भारद्वाज को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इस प्रकार, तोशाम में अब चुनावी संघर्ष और भी रोमांचक हो गया है।

तोशाम लंबे समय से चौधरी बंसीलाल का गढ़ माना जाता रहा है। खुद बंसीलाल इस सीट से विधायक बनकर मुख्यमंत्री बने थे और उनके पुत्र चौधरी सुरेंद्र सिंह भी इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद 2005 से कांग्रेस की टिकट पर किरण चौधरी इस सीट पर लगातार जीत दर्ज करती आ रही हैं। अब किरण चौधरी राज्यसभा सदस्य हैं, और उनकी बेटी श्रुति चौधरी भाजपा की प्रत्याशी हैं।

भाजपा में टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व विधायक शशिरंजन परमार ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जबकि जजपा ने सरपंच राजेश भारद्वाज को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इस स्थिति में, तोशाम में पूर्व मुख्यमंत्री परिवार के दो सदस्य चुनावी मैदान में हैं, जिससे वोटों का बंटवारा होने की संभावना है।

अनिरुद्ध चौधरी के मजबूत और कमजोर पक्ष

 

अनिरुद्ध चौधरी, पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के पोते और पूर्व विधायक रणबीर महेंद्र के बेटे हैं। उनका मजबूत पक्ष यह है कि बंसीलाल परिवार का परंपरागत वोट उनके पक्ष में आ सकता है और जाट मतदाता भी उनके पक्ष में मतदान कर सकते हैं। लेकिन उनका कमजोर पक्ष यह है कि यह उनका पहला विधानसभा चुनाव है, और उन्हें मतदाताओं को अपने पक्ष में लाना एक बड़ी चुनौती हो सकती है, खासकर तोशाम क्षेत्र में उनकी कम पहचान के चलते।

श्रुति चौधरी के मजबूत और कमजोर पक्ष

 

श्रुति चौधरी का मजबूत पक्ष यह है कि उन्होंने पूर्व में सांसद चुनाव में भी यहां से अच्छी लीड प्राप्त की थी। उनके साथ उनकी मां किरण चौधरी भी पूरी ताकत झोंक रही हैं और क्षेत्रीय विकास के लिए अपने प्रभाव का दावा कर रही हैं। हालांकि, उनका कमजोर पक्ष यह है कि बंसीलाल के परंपरागत मतदाता और जाट मतदाता उन्हें समर्थन देने में संकोच कर सकते हैं। इसके अलावा, पिछली बार विपक्ष का विधायक होने के कारण क्षेत्र में विकास कार्यों की कमी भी एक चुनौती हो सकती है।

शशिरंजन परमार की भूमिका

 

पूर्व विधायक शशिरंजन परमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बंसीलाल परिवार के सदस्यों को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं। पिछली बार उन्होंने करीब 56 हजार वोट प्राप्त किए थे, और इस बार उनका प्रदर्शन बंसीलाल परिवार के सदस्यों के वोटों को प्रभावित कर सकता है।

इस प्रकार, तोशाम में इस बार का चुनाव न केवल बंसीलाल परिवार के दो सदस्य और विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के बीच, बल्कि उनके समर्थकों के बीच भी एक रोचक मुकाबला साबित होगा।

 

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