Kaithal News: खरक पांडवा में बाबा पागल पीर की समाधि पर नौंवे वार्षिक भंडारे का आयोजन

नरेन्द्र सहारण, कलायत/ कैथल। Kaithal News: कैथल जिले के खरक पांडवा गांव में बाबा पागल पीर की समाधि पर नौंवे वार्षिक भंडारे का आयोजन ग्रामीण श्रद्धालुओं द्वारा धूमधाम से किया गया, जिसमें समस्त ग्राम वासियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। भंडारे के बाद नगर कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें भजन गायक मनमोहक प्रस्तुती देते हैं ।

लगातार हो रहा है कई वर्षों से भंडारे का आयोजन

 

बाबा पागल पीर आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया की भंडार एवं कीर्तन का आयोजन लगातार कई वर्षों से किया जा रहा है। इसमें दिन में भंडारा और रात को नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि बाबा पागल पीर अपने आप में अद्भुत शक्ति जिनके प्रति ग्रामीणों के हृदय में श्रद्धा निवास करती है, ग्रामीण आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं व सामर्थ्य के अनुसार सहयोग करते हैं। कमेटी का कार्य बाबा पागल की समाधि प्रांगण को सुसज्जित व सुरक्षित रखना है, साथ ही कमेटी गांव के विकास कार्यो में अपनी सहभागिता प्रदान करती है।

खरक पांडवा के साथ जुड़ा है बाबा पागल पीर का प्राचीन इतिहास

 

बुजुर्ग ग्रामीणों के अनुसार कैथल जिले के महाभारत कालीन गांव खरक पांडवा की स्थापना के साथ बाबा पागल पीर का गांव में आगमन हुआ। गांव स्थापित होने के साथ से ही बाबा पागल पीर के प्रति खरक पांडवा गांव के ग्रामीणों की बाबा के प्रति श्रद्धा जुड़ी हुई है एक बुजुर्ग ग्रामीण के अनुसार एक दंतकथा भी बताई जा रही है इसमें बाबा पागल पीर की अद्भुत शक्ति का उल्लेख है।

तालाब खुदाई के वक्त दिखाया था बाबा पागल पीर ने चमत्कार

 

बुजुर्ग रतन सिंह के अनुसार बाबा पागल पीर की समाधि के पास वाले तालाब की खुदाई के वक्त ग्रामीणों को बाबा का चमत्कार देखने को मिला था इसके उपरांत खरक पांडवा गांव के ग्रामीण की श्रद्धा बाबा पागल पीर के प्रति और भी दृढ हो गई थी बताया जाता है कि तालाब खुदाई करने वाले ग्रामीण को भोजन की व्यवस्था बाबा के चमत्कार द्वारा प्राप्त हुई थी , एक हांडी मे कुछ चावल पानी शक्कर डाल कर बाबा ने खीर का भंढारा शुरू कर दिया जब तक तालाब की खुदाई होती रही भंडारा उसी हांडी से निरंतर चलता रहा।

गांव पर आज भी है बाबा का वरदान

 

ग्रामीणों ने बताया कि बाबा सिद्ध आत्मा के रूप में प्रकट हुए थे, जिनकी बदौलत आज भी गांव के डेरे व गांव की सीमा को एक वरदान मिला हुआ है। हरियाणा के किसी भी स्थान से लोग खरक पांडवा की सीमा में बच्चा भूली हुई भैंस लेकर आते हैं। जैसे ही बाबा की समाधि पर प्रार्थना करते हैं तो उनकी भैंस बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर देती है।

आयोजन से गांव में होती है समरसता स्थापित

 

ग्रामीण गंगादयाल ने कहा कि भंडारे के आयोजन से गांव में भाईचारा व समरसत्ता बनती है, जिसमें 36 बिरादरी के लोग एक स्थान पर बिना भेदभाव बैठकर बाबा का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

 

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