Haryana Election 2024: हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा को किसी कीमत पर नजरअंदाज नहीं कर सकती कांग्रेस

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Election 2024: हरियाणा में कांग्रेस भले ही अंतर्कलह से जूझ रही है, लेकिन पार्टी के बड़े चेहरे के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अनदेखी नहीं कर सकती। इस बार हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस हाईकमान के सामने हैं। नौ लोकसभा सीटों में से पांच पर जीत दर्ज कराकर कांग्रेस हाईकमान को यह संदेश दे दिया कि राज्य में हुड्डा के बिना कांग्रेस के सत्ता में लौटने की संभावना नहीं है। यही वजह है कि कांग्रेस ने कई दिनों तक नाराज चली सांसद कुमारी सैलजा को आरंभ में मनाने की कोशिश नहीं की, लेकिन चुनाव में दलित वर्ग का भरोसा जीतने की रणनीति से बंधी कांग्रेस के लिए सैलजा को मनाना मजबूरी हो गया था।

हुड्डा से चर्चा के बाद ही राहुल गांधी ने पहल की

 

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से चर्चा के बाद ही राहुल गांधी ने सैलजा को मनाने में रुचि दिखाई है। हुड्डा इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि जब राज्य में कांग्रेस को बहुमत मिलेगा और विधायकों द्वारा अपना नेता चुने जाने की बात आएगी तो वहां नंबर गेम काम आयेगा। जिसके पास ज्यादा विधायक होंगे, स्वाभाविक रूप से वही विधायक दल का नेता यानी मुख्यमंत्री चुना जाएगा। राज्य में 90 विधानसभा सीटों में से 89 पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, जबकि एक भिवानी सीट माकपा को दी गई है। इन 89 सीटों में 72 सीटों पर हुड्डा समर्थकों को टिकट मिले हैं, जबकि 10 पर सैलजा समर्थकों की संख्या सिमट गई है। दो टिकट रणदीप सुरजेवाला और चार से पांच टिकट कांग्रेस हाईकमान ने अपनी समझ से दिये हैं।

44 प्रतिशत मतों के साथ दिखा चुके हैं दम

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करीब 44 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि भाजपा को 46 प्रतिशत वोट मिले हैं। कांग्रेस के यह वोट नौ लोकसभा सीटों पर हैं, जो कि सत्तारूढ़ भाजपा के लिए खतरे की घंटी बने हुए हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर कांग्रेस हाईकमान के यह समझ में आ रहा है कि बिना हुड्डा के चेहरे के हरियाणा में चुनाव की वैतरणी पार नहीं की जा सकती। इसकी एक वजह यह है कि हुड्डा का जाटों के साथ-साथ दलितों, ब्राह्मणों, वैश्यों, पंजाबियों और ओबीसी के साथ रोड व राजपूतों में भी समान प्रभाव है। कांग्रेस में विघटन की आशंका के चलते पार्टी भले ही हुड्डा को चुनाव पूर्व सीएम का चेहरा घोषित करने का रिस्क नहीं ले रही, लेकिन कई राज्यों के उदाहरण उसके सामने हैं, जिसमें पार्टी से ज्यादा चेहरों को वोट मिले और यही चेहरे कांग्रेस समेत अन्य दलों को सत्ता में लाने में कामयाब रहे हैं।

हरियाणा में गलतियां नहीं दोहराएगी कांग्रेस

कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि काडर बेस्ड पार्टियां भाजपा व माकपा तक को चेहरा सामने करने पर कामयाबी मिली है। भाजपा में वाजपेयी और मोदी तथा माकपा में ज्योति बसु और बुद्धदेब भट्टाचार्य इसके बड़े उदाहरण हैं। बसु और भट्टाचार्य के चेहरों पर कम्युनिस्ट पार्टियों ने 33 साल तक बंगाल पर राज किया। इन दोनों नेताओं के जाने के बाद 292 के सदन में एक भी विधायक कम्युनिस्ट पार्टी का नहीं है।

कांग्रेस की नजर में भूपेंद्र सिंह हुड्डा न केवल हरियाणा बल्कि उत्तर भारत में पार्टी का एक ऐसा चेहरा हैं, जिसके पीछे बड़ा वोट बैंक है। उन्होंने पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल तक को चुनाव हराया है। शरद पवार और ममता बनर्जी कांग्रेस के ऐसे ही नेता थे, जिनका अपना वोट बैंक था, लेकिन परिस्थितियों ने उनको कांग्रेस से बाहर कर दिया, नतीजतन महाराष्ट्र व बंगाल में कांग्रेस कमजोर पड़ गई। ऐसे में कांग्रेस अपनी पुरानी गलतियों को हरियाणा में दोहराने के मूड में कतई नहीं है। हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह की भी कांग्रेस हाईकमान में मजबूत पकड़ है।

 

 

VIEW WHATSAAP CHANNEL

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

 

You may have missed