Sonipat News: चोट से जूझ रहे नीरज चोपड़ा को वर्ल्ड चैंपियनशिप से गोल्ड की उम्मीद, खिलाड़ियों से साझा की अपने संघर्ष की कहानी
नरेन्द्र सहारण, सोनीपत : Sonipat News: चोट से जूझ रहे गोल्डन ब्वाय नीरज चोपड़ा को अगले साल होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड की उम्मीद है। पेरिस ओलिंपिक और डायमंड लीग में चोट के कारण स्वर्णिम प्रदर्शन से चूके नीरज ने बताया कि अगले साल होने वाली वल्र्ड चैंपियनशिप में वह गोल्ड मेडल जीतेंगे। इसके लिए वह कड़ा अभ्यास करेंगे। हरियाणा की पहली खेल यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को गोल्डन ब्वाय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने मिशन ओलिंपिक-2036 रोडमैप आफ मेडल 7 टू 70 का शुभारंभ किया। उन्होंने खेल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को अपने पढ़ाई और संषर्घ के दिनों की यादें साझा की।
नीरज ने कहा कि देश में खेल सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो ओलिंपिक में देश का प्रदर्शन सुधर जाए। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय पहलवान सरिता मोर, राहुल मान, आइपीएस पंकज नैन, साई के क्षेत्रीय निदेशक डा. शिवम शर्मा के साथ खेल जगत की कई हस्तियों ने ओलिंपिक में देश का प्रदर्शन सुधारने पर मंथन किया। वहीं दोपहर बाद सत्र के समापन पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी पहुंचे। नीरज चोपड़ा ने हरियाणवी मे विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए।
ओलिंपिक में अपने प्रदर्शन को सुधारना है
बीसवां मील स्थित खेल यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में वीसी अशोक कुमार ने कहा कि खेल यूनिवर्सिटी में खेल के साथ शिक्षा व अन्य कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। ओलिंपिक-2036 की मेजबानी के लिए भारत ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए हमारे पास 12 वर्ष हैं, इन 12 सालों में हमें ओलिंपिक में अपने प्रदर्शन को सुधारना है। पेरिस में जीते सात मेडल को 70 तक पहुंचाना है। इसके लिए नीरज चोपड़ा से उन्होंने दो मुख्य मुद्दों पर उनकी राय जानी। इनमें पहला 70 मेडल के प्रदर्शन तक पहुंचने में कमी कहां रह जाती है और इसे कैसे पूरा किया जा सकता है।
यहां पर खेल सुविधाएं कम हैं
नीरज चोपड़ा ने कहा कि मेरा स्कूली जीवन भी आप लोगों जैसा ही था। मैंने भी इसी तरह संघर्ष किया किया है। आप लोगों में ही भविष्य के चैंपियन मौजूद हैं। मेरे हिसाब से हमारे देश में प्रतिभाओं की तो कमी नहीं है लेकिन यहां पर खेल सुविधाएं कम हैं। अगर इन्हें बढ़ा दिया जाए तो ओलिंपिक में हमारा प्रदर्शन सुधर जाएगा। हमारे यहां पर स्टेडियमों की कमी है, चीन औरर अमेरिका में स्कूल स्तर पर ही खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें सुविधाएं दी जाती हैं लेकिन हमें इसमें अभी सुधार करना होगा। स्कूली स्तर पर खेल प्रतिभाओं को पहचानकर उन्हें सुविधाएं देकर आगे बढ़ाना होगा।विदेश में इनडोर व आउटडोर ट्रैक हैं, रूम में ही आक्सीजन चैंबर हैं, बड़े-बड़े जिम हैं, डाइटिशियन हैं, सुविधाएं अधिक हैं। अब देश में खेल यूनिवर्सिटियां खुली हैं, उनमें सुविधाएं बढ़ रही हैं। इससे निश्चित ही खेल प्रदर्शन सुधरेगा।
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