Rewari News: बलिदानी मुंशी राम की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब, 56 साल बाद नसीब हुई गांव की मिट्टी

बलिदानी जवान मुंशी राम का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव में पहुंचा

नरेन्द्र सहारण रेवाड़ी। Rewari News: 56 साल पहले देश की सेवा में प्राणों को न्योछावर करने वाले गांव गुर्जर माजरी के जवान मुंशी राम का पार्थिव शरीर गुरुवार को उनके पैतृक गांव में पहुंचा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के भाई कैलाश चंद ने शव को मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में शामिल सैकड़ों ग्रामीणों ने अमर शहीद के जयकारों से आसमान को गुंजायमान कर दिया।

22 वर्ष की आयु में हादसा

बलिदानी मुंशी राम के छोटे भाई कैलाश ने बताया कि चार बहनों व तीन भाईयों में मुंशी राम सबसे बड़े थे। 22 वर्ष की आयु में यह हादसा हुआ था। उनका जन्म दिसंबर 1944 को हुआ था। उसके बाद स्वजन उनके आने की बांट जोहते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यादें भी धूमिल होने लगी थी। लेकिन स्वजन को उनके अंतिम संस्कार नहीं करने की टीस को सीने में छिपाए थे। उन्होंने बताया कि भाई का सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया है। स्वर्गीय मुंशीराम के पिता का नाम भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी है।

तस्वीर के सहारे जिंदगी काट रही

 

मुंशी राम की वीरांगना पार्वती देवी ने कहा कि उन्हें पति के बलिदान पर गर्व है, लेकिन 56 साल बाद उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा है इस बात की खुशी भी है। इतने साल तक बर्फ में दबे होने के बाद बलिदानी के शरीर की केवल टांग गली थी। कम से कम अंतिम संस्कार तो करने को मिल गया। पति के निधन की सूचना के बाद उनकी तस्वीर के सहारे जिंदगी काट रही थी।

बता दें कि यह विमान हादसा सात फरवरी, 1968 को हुआ था। चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कई दशकों तक विमान का मलबा और विमान सवारों के अवशेष बर्फीले इलाके में खोए रहे। सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए। 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद हो पाए थे। चंद्र भागा आपरेशन के बाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ है। सैन्य अभियान दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों से जो चार शव बरामद किए हैं, उनमें स्वर्गीय मुंशीराम के अवशेष भी हैं।

56 साल बाद  बूढ़ी आंखों से छलक पड़े आंसू

 

पत्नी वीरांगना पार्वती जैसे ही ताबूत के पास पहुंचीं और देखा तो छलछला कर आंसू निकलने लगे।वहां खड़े स्वजन ने उनको संभाला। उन्होंने शहीद पति के पैरों को छूने के बाद सेल्यूट किया। यह मार्मिक दृश्य गांव गुर्जर माजरी का है। विमान हादसा 56 वर्ष पूर्व हुआ था। चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कई दशकों तक विमान का मलबा और विमान सवारों के अवशेष बर्फीले इलाके में खोए रहे। सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए। 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद हो पाए थे। चंद्र भागा आपरेशन के बाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ है। सैन्य अभियान दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों से जो चार शव बरामद किए हैं, उनमें स्वर्गीय मुंशीराम के अवशेष भी हैं।

वर्षों बाद नसीब हुई गांव की मिट्टी

 

बलिदानी मुंशीराम की पत्नी वीरांगना पार्वती देवी ने कहा कि वह पिछले 56 साल से पति के पार्थिव शरीी इंतजार कर रही थी। उन्हें गम है कि उनके पति साथ नहीं है, लेकिन खुशी इस बात की है। वर्षों बाद उन्हें अपने गांव की मिट्टी नसीब हुई है। यह बताते हुए उनकी आंखें भर आई और वह फफक फफक कर कर रोने लगी। उनकी आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे।

 

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