Haryana Election Result: हुड्डा पर भारी पड़ी सैलजा की नाराजगी, कांग्रेस से कटा दलित वोट बैंक

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Election Result: कांग्रेस के अंदर की सुलगती राजनीति ने उसे विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान पहुंचाया। सिरसा की सांसद और कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा की नाराजगी, खासकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ, पार्टी के लिए मुश्किलों का कारण बनी। चुनाव से पहले जब सैलजा ने बार-बार मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी जताई, तो इसका नतीजा कांग्रेस के पक्ष में कम और नुकसान के रूप में ज्यादा सामने आया। भाजपा ने इस अवसर को पूरी तरह भुनाया और सैलजा की पार्टी में उपेक्षा और दलितों व महिलाओं के प्रति कथित भेदभाव को चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा बना दिया, जिससे उसे चुनावी लाभ मिला।

टिकटों के आवंटन से हुई विवाद की शुरुआत

 

हुड्डा और सैलजा के बीच विवाद की शुरुआत टिकटों के आवंटन से हुई थी। जहां सैलजा को सिर्फ एक दर्जन सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाने का मौका मिला, वहीं हुड्डा ने अपने समर्थकों को 70 से ज्यादा टिकटें दिलवाईं। हुड्डा का लक्ष्य था कि अधिक सीटों पर अपने समर्थकों को जिताकर जब मुख्यमंत्री बनने की बारी आए, तो उनका पलड़ा भारी रहे। लेकिन सैलजा को इस अनदेखी ने बेहद नाराज किया और उन्होंने बार-बार इसे मुद्दा बनाया। कुमारी सैलजा खुद भी उकलाना विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें वहां से टिकट नहीं दिया, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई।

सैलजा व हुड्डा के दिल नहीं मिला सके राहुल

 

चुनाव परिणाम आने के बाद सैलजा ने अपनी पीड़ा खुले तौर पर व्यक्त की। वे कांग्रेस के कुछ उम्मीदवारों के चयन पर भी असहमत थीं, खासकर उन उम्मीदवारों को लेकर जिन्होंने पार्टी की कसौटी पर खरा नहीं उतरने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने हरियाणा दौरे के दौरान सैलजा और हुड्डा के बीच की दूरियों को कम करने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए। असंध रैली में राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने के बावजूद सैलजा और हुड्डा को एक साथ कभी भी एक मंच पर नहीं देखा गया, जिससे दलित समाज में यह संदेश गया कि कांग्रेस में उनकी नेता की उपेक्षा हो रही है।

दलित बाहुल्य क्षेत्रों में नुकसान

 

कुमारी सैलजा ने कई इंटरव्यू में इस ओर इशारा किया और यहां तक कह दिया कि यदि दलित समाज को लगता है कि उनकी नेता का अपमान हो रहा है, तो वे इसका जवाब दे सकते हैं। यही कारण है कि कांग्रेस को दलित बाहुल्य क्षेत्रों में नुकसान हुआ। चुनाव परिणामों में यह साफ झलकता है कि कांग्रेस कई ऐसी सीटों पर हार गई, जो पूरी तरह से दलित मतदाताओं पर निर्भर थीं। इसका सीधा मतलब था कि दलितों ने कांग्रेस से अपना भरोसा खो दिया और इसका असर पार्टी की हार के रूप में सामने आया। कुल मिलाकर, कुमारी सैलजा की नाराजगी और दलित समाज में असंतोष कांग्रेस के लिए चुनावी हार का बड़ा कारण बने।

 

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