Railway Ticket Booking: भारतीय रेलवे ने एडवांस रिजर्वेशन की अवधि को क्यों किया कम? जानें क्या है कारण

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः रेलवे बोर्ड ने एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) की अवधि को 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया है। यानी अब, यात्री किसी भी से यात्रा से 60 दिन पहले ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए बुकिंग कर सकते हैं। ये बदलाव 1 नवंबर से प्रभावी होगा। रेलवे ने कहा कि ऐसा करने के पीछे की वजह बड़े स्तर पर हो रही टिकट कैंसिलेशन और सीटों का बर्बाद होना है।

बोर्ड ने जारी किया स्टेटमेंट

रेलवे बोर्ड ने अपने प्रेस स्टेटमेंट में बताया कि 1981 से 2015 के बीच में एआरपी को 12 बार बदला गया है। प्रेस बयान में बोर्ड ने कहा, “एडवांस रिजर्वेशन पीरियड को समय-समय पर बदला जाता रहा है। एआरपी की अवधि 30 दिन से 120 दिन के बीच में होती रही है. तमाम अवधियों को बदले जाने के बाद हमने समझा कि यात्रियों के लिए 60 दिन की अवधी सबसे बेहतर होती है।

रेलवे ने क्यों बदली एआरपी की अवधि?

रेलवे ने बताया कि 120 दिन की अवधि के दौरान लोग टिकट बुक करने के बावजूद बड़े स्तर पर उन्हें कैंसिल कर देते हैं। वहीं कई यात्री तय तारीख में यात्रा तक नहीं करते हैं. आंकड़ों की बात करें तो तकरीबन 21 फीसदी लोग पहले बुकिंग करने के बाद अंतिम समय में टिकट कैंसिल कर देते थे वहीं 4-5 फीसदी यात्री, ट्रेन में यात्रा भी नहीं करते थे। इससे कई सीटें बर्बाद हो जाती हैं।

गैरकानूनी तरीके बांटे जाते हैं सीट

प्रेस नोट में रेलवे ने बताया कि कई ऐसे मामले भी हैं जहां यात्री ना तो टिकट कैंसिल करता है और ना ही यात्रा करता है। ऐसे में रेलवे के अधिकारियों की ओर से उन खाली सीटों को गैरकानूनी तरीके बेच दिया जाता है। बोर्ड के इस कदम से इस तरह के मामलों में भी कमी आएगी। रेलवे बोर्ड का मानना है कि एरआरपी को कम करने का मुख्य उद्देश्य गलत तरीके से हो रही सीटों की खरीदारी और अनैतिक टिकट बिक्री पर रोक लगाना है. साथ ही असल में जिस यात्री को सीट की जरूरत है, उसके लिए सीट की उपलब्धता भी बढ़ेगी।

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