Jaunpur News: अटाला मस्जिद को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका निरस्त, जानें-स्वराज वाहिनी ने क्या दिया तर्क

जौनपुर, बीएनएम न्यूजः जौनपुर के ऐतिहासिक अटाला मस्जिद के मामले में सिविल कोर्ट ने बुधवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया। सिविल जज जूनियर डिवीजन सुधा शर्मा की कोर्ट में सुनवाई के दौरान, वक्फ बोर्ड द्वारा दायर 37सी प्रार्थना पत्र को अस्वीकार कर दिया गया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 नवंबर की तारीख तय की है।
पीस कमेटी बनाम स्वराज वाहिनी की याचिका
इस केस में वक्फ बोर्ड और पीस कमेटी बनाम स्वराज वाहिनी की याचिका कोर्ट में विचाराधीन है। स्वराज वाहिनी ने दावा किया है कि अटाला मस्जिद की जगह पहले एक मंदिर हुआ करता था, जिसे बाद में मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। वहीं, वक्फ बोर्ड का तर्क था कि यह मस्जिद उनकी संपत्ति है और इस पर सुनवाई सिविल कोर्ट में नहीं हो सकती।
अटाला मस्जिद का पूर्व में मंदिर होने के ऐतिहासिक साक्ष्य
स्वराज वाहिनी के अधिवक्ता सुरेश चंद्र पाठक ने कोर्ट में जोरदार दलील दी कि अटाला मस्जिद का पूर्व में मंदिर होने के ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थान पर हिंदू धर्म के अनुयायी वर्षों से पूजा करते आ रहे हैं। पाठक ने यह भी तर्क दिया कि 1947 से पहले धार्मिक स्थलों की स्थिति को बनाए रखने का जो कानून है, उसके आधार पर वक्फ बोर्ड का दावा अस्वीकार्य है।
आक्रमणकारियों द्वारा कब्जा की गई
वक्फ बोर्ड की ओर से दलील दी गई कि 1991 के कानून के तहत, अयोध्या विवाद के बाद धार्मिक स्थलों की स्थिति जस की तस रखी गई थी। उन्होंने इसी आधार पर प्रार्थना पत्र दिया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। स्वराज वाहिनी की ओर से कहा गया कि यह संपत्ति वक्फ बोर्ड की नहीं है और आक्रमणकारियों द्वारा कब्जा की गई थी।
हिंदू धर्म का आस्था केंद्र रहा है अटाला
अधिवक्ता सुरेश चंद्र पाठक ने कहा कि आक्रमणकारी चाहे कोई भी हो, उसे संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं मिल सकता। यह स्थान हिंदू धर्म का आस्था केंद्र रहा है, और यहां पूजा-पाठ की परंपरा हमेशा से चली आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि शाहजहां के समय में संपत्तियों का रिकॉर्ड रखा गया था, लेकिन उस समय हिंदुओं को अपने धार्मिक स्थलों पर अधिकार नहीं दिया गया।
हाई कोर्ट जा सकते है वक्फ बोर्ड और अन्य विपक्षी
कोर्ट के इस फैसले के बाद स्वराज वाहिनी ने राहत की सांस ली है। हालांकि, वक्फ बोर्ड और अन्य विपक्षी पक्षों को अभी भी उच्च अदालत में अपील का अधिकार है। इससे पहले भी यह मामला हाईकोर्ट तक गया था, जहां वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज हो चुकी है। अब देखना यह है कि 16 नवंबर को होने वाली सुनवाई में कोर्ट इस ऐतिहासिक विवाद पर क्या निर्णय लेती है।
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