DU News: छात्र ने प्राचार्य पर लगाया जातिसूचक गालियां देने और मारपीट का आरोप, जानें क्‍या है मामला

शहीद भगत सिंह कालेज में प्रदर्शन करते आइसा छात्र संगठन के कार्यकर्ता।

नई दिल्ली, बीएनएमन्‍यूज : DU News: दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज में एक अनुसूचित जाति के छात्र ने प्राचार्य पर गंभीर आरोप लगाए हैं। छात्र का दावा है कि प्राचार्य ने उसके साथ जातिसूचक टिप्पणियां कीं और मारपीट की। छात्र का कहना है कि यह घटना विभाग के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में अश्लील सामग्री साझा करने के झूठे आरोपों से जुड़ी है। वहीं, प्राचार्य अरुण कुमार अत्री ने छात्र के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह उनके और कॉलेज की छवि को धूमिल करने की साजिश है। सोमवार को कई छात्र संगठनों ने कॉलेज के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया।

घटना का विवरण

 

बीए हिंदी ऑनर्स तृतीय वर्ष के छात्र ने मानसिक आघात और मानहानि के आरोप लगाते हुए मालवीय नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। इसके अलावा, उसने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति और अनुसूचित जाति आयोग को भी पत्र लिखकर संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। शिकायत में छात्र ने 24 अक्टूबर की घटना का जिक्र किया है। उसका कहना है कि एक सहपाठी का फोन कथित तौर पर हैक कर लिया गया था, जिसके बाद विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप में अश्लील वीडियो के लिंक सहित आपत्तिजनक सामग्री साझा की गई। छात्र ने बताया कि उसने अपने सहपाठी की मदद की थी ताकि फोन को ठीक किया जा सके और किसी भी तरह की गलत गतिविधि को रोका जा सके। हालांकि, मामले की जांच के दौरान उस पर आरोप लगाया गया और उसे गहन पूछताछ के लिए बुलाया गया।

फोन की तलाशी ली गई

 

छात्र ने अपनी शिकायत में कहा कि जांच के दौरान उसके फोन की तलाशी ली गई, जो उसके निजता के अधिकार का हनन है। उसने यह भी आरोप लगाया कि कुछ शिक्षकों ने उस पर आरोप स्वीकार करने का दबाव बनाया और उसे निष्कासन की धमकी दी। छात्र के अनुसार, उसने बार-बार अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश की, लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर दिया गया। शिकायत पत्र में कहा गया, “जब मैंने झूठे आरोपों को स्वीकार करने से मना कर दिया, तो प्राचार्य ने मुझ पर शारीरिक हमला किया और मेरे खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी की। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे अपनी जाति की पहचान क्यों बतानी चाहिए और घटना के बारे में किसी से भी बात करने पर निष्कासन की धमकी दी।”

भयानक अपमान का सामना करना पड़ा

 

छात्र का आरोप है कि जब वह कॉलेज लौटा, तो उसे भयानक अपमान का सामना करना पड़ा। उसके सहपाठियों ने उसके साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया, जिससे उसका मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। छात्र ने लिखा, “इन घटनाओं ने मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है। मैं अत्यधिक मानसिक तनाव में हूं और कई बार मेरे मन में आत्महत्या के विचार भी आए हैं।” उसने अपनी शिकायत में तुरंत कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

प्राचार्य की सफाई और आरोपों का खंडन

 

प्राचार्य अरुण कुमार अत्री ने छात्र के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचने के लिए उठाया गया है। उन्होंने बताया कि छात्र को कॉलेज की अनुशासन समिति ने व्हाट्सएप ग्रुप में अश्लील सामग्री भेजने और फोन हैक करने का दोषी पाया था। हालांकि, छात्र के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कॉलेज ने मामले की शिकायत साइबर सेल में दर्ज करने से परहेज किया और उसे काउंसलिंग के जरिए चेतावनी दी थी। प्राचार्य ने कहा, “छात्र को 14 नवंबर को अनुशासन समिति के सामने पेश होना था, लेकिन एक फैकल्टी सदस्य के उकसावे पर उसने झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिए। जातिसूचक टिप्पणी और मारपीट के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। यह एक साजिश है, जिससे कॉलेज और मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।”

छात्र संगठनों का प्रदर्शन

 

इस घटना के बाद कई छात्र संगठन प्राचार्य के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष धनंजय के नेतृत्व में छात्रों ने कॉलेज के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और प्राचार्य के इस्तीफे की मांग की। छात्रों का कहना था कि अनुसूचित जाति के छात्र के साथ अन्याय हुआ है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और छात्र के अधिकारों का हनन किया गया है।

ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा

 

इस बीच शाम को कॉलेज प्रशासन ने ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा कर दी। हालांकि, प्रशासन ने यह कहते हुए सफाई दी कि यह कदम बिगड़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए उठाया गया है। इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि विरोध प्रदर्शन के बीच अचानक ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने का निर्णय संदेह पैदा कर रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने कहा, “हमें शहीद भगत सिंह कॉलेज की घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रदूषण को लेकर ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के कोई निर्देश हमारी ओर से जारी नहीं किए गए हैं।”

प्रदूषण को लेकर ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा पर सवाल उठाने वालों का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए एक रणनीति हो सकती है। हालांकि, कॉलेज प्रशासन ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। इस मामले ने न केवल छात्रों के बीच बल्कि पूरे विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा दिया है। अब सबकी नजरें इस पर हैं कि पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। छात्र संगठनों का कहना है कि अगर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो विरोध प्रदर्शन और तेज होगा।

यह मामला अनुसूचित जाति के छात्रों के अधिकारों और कॉलेज परिसर में उनकी सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने की दिशा में एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है। सभी की निगाहें अब प्रशासनिक कार्रवाई और जांच की प्रक्रिया पर टिकी हुई हैं।

 

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