PM Modi in Chandigarh: चंडीगढ़ में पीएम मोदी ने कहा अब तारीख पर तारीख नहीं, सुनवाई पूरी होने के 45 दिन में मिलेगा न्याय

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़: PM Modi in Chandigarh: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के प्रभाव और महत्व को रेखांकित करते हुए देशवासियों को त्वरित और प्रभावी न्याय का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने से “तारीख पर तारीख” का युग समाप्त होगा, और अब देश की जनता को त्वरित न्याय मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये नए कानून आतंकवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करेंगे और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।

नए कानूनों का उद्देश्य: सिटीजन फर्स्ट

चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (PEC) में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BCRS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BEB) के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि इन कानूनों का मुख्य उद्देश्य है सिटीजन फर्स्ट यानी नागरिकों को केंद्र में रखकर न्याय प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना। चंडीगढ़ ने इन कानूनों को पूरी तरह लागू कर देश के लिए एक आदर्श स्थापित किया है। कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़ पुलिस ने लाइव डेमो के माध्यम से दिखाया कि नए कानूनों के लागू होने के बाद न्याय प्रक्रिया कैसे तेज और सटीक हुई है।

महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए इन कानूनों में विशेष प्रावधान किए गए हैं। दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराधों में अब पहली सुनवाई से 60 दिन के भीतर चार्ज फ्रेम करना अनिवार्य होगा। साथ ही, सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला सुनाना भी जरूरी होगा।

न्याय प्रक्रिया को अनावश्यक विलंब से बचाने के लिए यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी केस में दो बार से अधिक स्थगन (adjournment) नहीं लिया जा सकेगा। इससे अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में कमी आएगी और पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सकेगा।

नए कानूनों के साथ तकनीक का समावेश

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि न केवल कानून बदले गए हैं, बल्कि न्याय प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का भी समावेश किया गया है। अब शिकायत दर्ज होने के 90 दिन के भीतर केस की प्रगति की जानकारी देनी होगी। इसके अलावा, जीरो एफआईआर को कानूनी मान्यता दी गई है, जिससे शिकायतकर्ता किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद उसकी प्रति (कॉपी) अनिवार्य रूप से शिकायतकर्ता को दी जाएगी। पुलिस अब अपनी मर्जी से किसी भी धारा (Section) को हटाने या किसी को अवैध रूप से हिरासत में लेने में सक्षम नहीं होगी।

नए कानूनों से निवेश को मिलेगा बढ़ावा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन कानूनों से न केवल न्याय प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि यह विदेशी निवेशकों के विश्वास को भी मजबूत करेगा। जो निवेशक पहले कानूनी अड़चनों के कारण भारत में निवेश करने से हिचकते थे, वे अब भारतीय बाजार को आकर्षक मानेंगे।

गुलामी के कानूनों से आजादी

 

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय कानून व्यवस्था की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बात करते हुए कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश ने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए गुलामी के कानूनों को ढोया। 1860 में अंग्रेजों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) लागू की, जिसके जरिए उन्होंने भारतीयों को दबाए रखा। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्र भारत की न्याय प्रणाली दशकों तक उन्हीं कानूनों के इर्द-गिर्द घूमती रही।” नए कानूनों को “आजाद भारत की न्याय प्रणाली का सच्चा प्रतिनिधि” बताते हुए उन्होंने कहा कि ये कानून केवल अपराधियों को सजा देने के लिए नहीं, बल्कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।

भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नए कानूनों के लागू होने से न केवल अपराधियों में डर पैदा होगा, बल्कि विदेशी निवेशकों के बीच भारत की छवि एक मजबूत और न्यायप्रिय देश के रूप में बनेगी। उन्होंने कहा, “जिन विदेशी निवेशकों को पहले भारतीय कानूनी प्रणाली के कारण दिक्कतें होती थीं, वे अब निस्संदेह यहां निवेश करने में रुचि लेंगे।”

वक्फ बोर्ड पर भी चर्चा

 

प्रधानमंत्री ने इस दौरान देश में चल रही वक्फ बोर्ड से जुड़ी चर्चाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जैसे आर्टिकल 370 और तीन तलाक के मामलों में सुधार किए गए, वैसे ही वक्फ बोर्ड के संबंध में भी ठोस कदम उठाए जाएंगे।

सुधारों का आदर्श उदाहरण

कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने चंडीगढ़ की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि यह पहला शहर है जहां क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के पांच स्तंभों – पुलिस, जेल, न्यायपालिका, अभियोजन और फारेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) – को संपूर्ण रूप से लागू किया गया है। शाह ने बताया कि इस प्रयास के परिणामस्वरूप दोष सिद्धि की दर 18 प्रतिशत से बढ़कर 80 प्रतिशत हो गई है।

उन्होंने कहा, “तीन वर्ष के भीतर ये कानून सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू हो जाएंगे, जिससे यह सुधार विश्व का सबसे बड़ा सुधार बन जाएगा।”

त्वरित न्याय का सपना साकार

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य केवल अपराधियों को सजा देना नहीं, बल्कि नागरिकों के जीवन को सरल और सुरक्षित बनाना है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को कानूनी प्रक्रिया से भय मुक्त किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब नागरिकों को अदालतों और थानों में अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ये सुधार भारतीय न्याय प्रणाली को न केवल अधिक प्रभावी बनाएंगे, बल्कि देश को न्याय और सुरक्षा के क्षेत्र में वैश्विक मानकों तक पहुंचाने में भी सहायक होंगे। चंडीगढ़ के प्रयासों से यह स्पष्ट हो चुका है कि अगर सुधारों को सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह देश के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकते हैं। यह न केवल अपराधियों में डर पैदा करेगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्ग को सशक्त बनाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।

 

 

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