Kaithal News: गीता में जीवन की हर शंका व समस्या का समाधान निहित: सुरभि गर्ग
नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: कैथल नगर परिषद की चेयरपर्सन सुरभि गर्ग ने तीन दिवसीय गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन आयोजित गीता सेमिनार में श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता के संदेश को अपनाने से जीवन में सुख और शांति आती है। उन्होंने महाभारत के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि दुर्योधन के पास भगवान श्रीकृष्ण की पूरी सेना होने के बावजूद, पांडवों ने केवल श्रीकृष्ण के साथ होने के बल पर विजय प्राप्त की। इससे यह सिद्ध होता है कि जीवन में गुणवत्ता को महत्व देना चाहिए, न कि मात्र मात्रा को।
महत्वाकांक्षा रखें, लेकिन लालच से बचें
सुरभि गर्ग ने गीता को मानवता का गौरव बताते हुए कहा कि इसके उपदेश न केवल भारत में बल्कि विश्व के हर कोने में पहुंच रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि महत्वाकांक्षा रखें, लेकिन लालच से बचें। समाज की गतिविधियों से अपडेट रहें और अपने कर्तव्यों का पालन सच्चाई, ईमानदारी और निष्ठा के साथ करें।
मनुष्य को महान बनाने वाला ग्रंथ
आरकेएसडी कालेज के पूर्व प्रोफेसर बी.बी. भारद्वाज ने गीता को मनुष्य को महान बनाने वाला ग्रंथ बताया। उन्होंने कहा कि जैसे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है, वैसे ही मन को अच्छे विचारों की आवश्यकता होती है। गीता का अध्ययन मन को सकारात्मकता प्रदान करता है और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। रामनिवास पटवारी ने गीता को भारतीय संस्कृति, आदर्शों और सामाजिक मूल्यों का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह हमें अध्यात्मवाद के माध्यम से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
गीता के संदेशों को अपनाने पर जोर
महर्षि वाल्मीकि संस्कृति विश्वविद्यालय के डॉ. के.सी. पांडे ने गीता के संदेशों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गीता का अध्ययन अध्यात्म और सेवा के माध्यम से जीवन को नई दिशा देने में सहायक होता है। उन्होंने विद्यार्थियों से अनुशासन और सकारात्मक सोच को अपनाने का आह्वान किया। डॉ. नरेश कुमार ने गीता के श्लोकों के माध्यम से वर्तमान समस्याओं के समाधान बताए और संस्कृत के संरक्षण के महत्व पर बल दिया।
हर प्रकार की समस्या का समाधान
संस्कृत अध्यापक कृष्ण कुमार ने गीता को विश्वव्यापी सार बताते हुए कहा कि यह हर प्रकार की समस्या का समाधान देती है। उन्होंने कहा कि गीता का अध्ययन समाज के विवाद, ईर्ष्या और द्वेष को समाप्त कर सकता है। उन्होंने संस्कृत भाषा के संरक्षण को संस्कृति के संरक्षण का आधार बताया। प्राध्यापक रोहित शर्मा ने गीता के विभिन्न अध्यायों के श्लोक प्रस्तुत किए। उच्चतर शिक्षा विभाग के नोडल अधिकारी और राजकीय महिला कालेज कलायत के प्रिंसिपल डॉ. राजेश सैनी ने गीता के अध्ययन को सभी समस्याओं का समाधान बताते हुए विद्यार्थियों को इसके महत्व से अवगत कराया।
गीता के अमूल्य ज्ञान को आत्मसात करें
कैथल भाजपा के जिलाध्यक्ष मुनीष कठवाड़ ने गीता के अमूल्य ज्ञान को आत्मसात करने की बात कही। उन्होंने कहा कि गीता के अध्ययन से धैर्य, आत्म-नियंत्रण और सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान केंद्र और प्रदेश सरकार गीता के संदेशों को भारत और विदेशों में फैलाने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि गीता महोत्सव अब विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
हरियाणा की संस्कृति और गीता का योगदान
पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक गुर्जर ने हरियाणा की संस्कृति और गीता के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने गीता के उपदेशों को सदियों तक मानवता के लिए मार्गदर्शक बताया। कार्यक्रम के दौरान आरकेएसडी पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा भजन, डीएवी पब्लिक स्कूल चीका के विद्यार्थियों द्वारा राधा-कृष्ण पर नृत्य और अन्य शिक्षण संस्थानों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं।
सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों की धूम
कलायत के प्राचीन श्री कपिल मुनि मंदिर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। एसडीएम सत्यवान मान ने हवन के साथ महोत्सव की शुरुआत की। हवन पुजारी संजय शास्त्री और अनिरुद्ध गौतम ने संपन्न कराया। इस अवसर पर शिक्षा भारती स्कूल, निर्मल पब्लिक स्कूल, द गर्ल्स गुरुकुल, एमडीएन स्कूल, और अन्य शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों ने राधा-कृष्ण पर आधारित प्रस्तुतियां दीं। हरियाणा कला परिषद और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की टीम ने अपनी सुरीली वाणी से हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर का गुणगान किया।
गीता के श्लोकों का पाठ
इस महोत्सव में स्थानीय कलाकारों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना और गीता के श्लोकों का पाठ किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रकाश रवि गर्ग ने किया। गीता जयंती महोत्सव के इस अवसर ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से भी गीता के महत्व को उजागर किया। यह महोत्सव हर आयु वर्ग के लिए प्रेरणादायक और मार्गदर्शक सिद्ध हुआ।
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