Kisan Andolan: किसानों का आज फिर दिल्ली कूच, 18 दिन से अनशन पर बैठे डल्लेवाल की हालत नाजुक

नरेन्‍द्र सहारण, खनौरी (संगरूर) : किसान आंदोलन ने शुक्रवार को अपने दस महीने पूरे कर लिए। शंभू और खनौरी बार्डर पर किसानों का यह संघर्ष लगातार जारी है। इस बीच, शनिवार को शंभू बार्डर से एक बार फिर 101 किसानों का जत्था दिल्ली कूच करेगा। वहीं, खनौरी बार्डर पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत बेहद नाजुक हो गई है। उनकी बिगड़ती हालत ने किसानों के आंदोलन को और भी संवेदनशील बना दिया है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत

 

खनौरी बार्डर पर 18 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल अब पानी भी नहीं पी पा रहे हैं। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि उनकी स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी है और उन्हें तत्काल आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत है। लगातार भूखे रहने से उनके शरीर के अंगों पर बुरा असर पड़ रहा है, और उन्हें हृदयघात का खतरा बढ़ गया है।

डल्लेवाल के समर्थन में पूरे देश में किसान संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। विभिन्न जिलों में किसानों ने सरकार के पुतले जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है, जिससे स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो रही है।

नेताओं की डल्लेवाल से मुलाकात

 

शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रमुख नेता राकेश टिकैत, हरिंदर सिंह लक्खोवाल और अन्य किसान नेताओं ने डल्लेवाल से मुलाकात की। टिकैत ने कहा, “यह आंदोलन अब देशव्यापी होना चाहिए। यह दिल्ली आंदोलन से भी बड़ा बन सकता है, लेकिन इसके लिए सभी राज्यों के किसान संगठनों का एकजुट होना जरूरी है।”

टिकैत ने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी कानून को आंदोलन की सबसे बड़ी मांग बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की जिद के कारण किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। वहीं, किसान नेता हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने कहा, “हम केंद्र सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार को भी किसानों के हित में आगे आना होगा।” उन्होंने सरकार से अपील की कि वह किसानों की बलि लेने की मानसिकता से बाहर आए।

दिल्ली कूच की तैयारी और बढ़ती सुरक्षा

 

शनिवार को शंभू बार्डर से 101 किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे दिल्ली कूच करेगा। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हमें पता है कि सरकार हमें दिल्ली नहीं पहुंचने देगी। फिर से निहत्थे किसानों पर बल का इस्तेमाल किया जाएगा, लेकिन सरकार की साजिशें अब बेनकाब हो रही हैं।”

अंबाला के डीसी द्वारा संगरूर के डीसी को लिखी चिट्ठी में डल्लेवाल की सेहत को लेकर जताई गई चिंता पर भी पंधेर ने सवाल उठाए। उन्होंने इसे सरकार की चाल बताया और कहा कि सरकार डिजिटल इमरजेंसी लगाने की योजना बना रही है। किसानों के सोशल मीडिया अकाउंट्स को बंद करने की कोशिशें हो रही हैं, ताकि आंदोलन की आवाज दबाई जा सके।

इस बीच, हरियाणा प्रशासन ने भी किसानों को रोकने के लिए सुरक्षा कड़े कर दिए हैं। शंभू बार्डर पर लोहे की बैरिकेडिंग को और मजबूत कर दिया गया है। टीन की बैरिकेडिंग पर लोहे के ऊंचे एंगल लगाए गए हैं और उनके ऊपर लोहे की चादरें लगाई गई हैं, ताकि किसानों को बार्डर पार करने से रोका जा सके।

केंद्र और राज्य सरकार पर किसानों का गुस्सा

 

डल्लेवाल की बिगड़ती हालत और किसानों के प्रदर्शन ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है। प्रदर्शनकारी किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

शुक्रवार को विभिन्न जिलों में किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए। किसानों ने कहा कि सरकार की अनदेखी उनके आंदोलन को और आक्रामक बनाएगी।

संयुक्त किसान मोर्चा का बड़ा आंदोलन की योजना

 

संयुक्त किसान मोर्चा ने इस आंदोलन को और बड़ा बनाने का ऐलान किया है। राकेश टिकैत ने कहा, “यह आंदोलन अब केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं रहेगा। इसे पूरे देश में ले जाया जाएगा। हमारी मांगें स्पष्ट हैं और हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।”  टिकैत ने कहा कि सरकार को एमएसपी गारंटी कानून लागू करना ही होगा। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं को अनदेखा करना सरकार की सबसे बड़ी भूल होगी।

आंदोलन का भावी रास्ता

 

किसान आंदोलन अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत ने आंदोलनकारियों को और भी मजबूती से लड़ने के लिए प्रेरित किया है। शंभू और खनौरी बार्डर पर बढ़ती सुरक्षा और सरकार की रणनीति के बावजूद किसानों का हौसला कायम है।

शनिवार को होने वाले दिल्ली कूच के साथ ही यह आंदोलन और तेज होने की संभावना है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे संघर्ष जारी रखेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता देशभर के किसानों को एकजुट करने में जुट गए हैं।

किसानों का हौसला अब भी मजबूत

 

किसान आंदोलन का यह दसवां महीना यह दिखाता है कि किसानों का हौसला अब भी मजबूत है। डल्लेवाल की स्थिति और किसानों के प्रदर्शन सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं। शंभू और खनौरी बार्डर से उठने वाली यह आवाज अब देशभर में गूंजने वाली है। केंद्र सरकार को इस आंदोलन को गंभीरता से लेना होगा, क्योंकि यह सिर्फ एक राज्य का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों का सवाल है।

 

 

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