Haryana Water: हरियाणा के पानी में बढ़ रहा फ्लोराइड और यूरेनियम, जानें किन बातों का है खतरा

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Water: हरियाणा में जल संकट की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। भूमिगत जल की मात्रा लगातार नीचे जा रही है, जिससे पानी की शुद्धता भी प्रभावित हो रही है। ट्यूबवेल आधारित जलापूर्ति में यूरेनियम और फ्लोराइड जैसे खतरनाक तत्वों की वृद्धि ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। इस स्थिति से ज्यादा प्रभावित हो रहे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिनमें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा शामिल है।

समस्या की जड़

हरियाणा में काफी समय से जल संकट की स्थिति देखने को मिल रही है। सूखा, जलवायु परिवर्तन और अंधाधुंध प्रदूषण के कारण जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। ट्यूबवेल द्वारा निकाले जाने वाले पानी में न केवल मात्रा की कमी हो रही है, बल्कि इसकी गुणवत्ता भी खराब होती जा रही है। इस संदर्भ में, राज्य की जलापूर्ति में यूरेनियम और फ्लोराइड की बढ़ती मात्रा प्रमुख चिंता का विषय बन चुकी है।

भाजपा और इनेलो के विधायक इस गंभीर समस्या का जिक्र करते हुए बताया कि दूषित पानी की वजह से उनके क्षेत्रों में लोग खेती करने में असमर्थ हो गए हैं। यह स्थिति इतनी गंभीर है कि कई गांवों के लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।

सरकार की प्रतिक्रियाएं

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर सिंह गंगवा ने सदन में बताया कि सरकार पानी की शुद्धता बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल के पानी के साथ नहरी पानी मिलाने का कार्य किया जा रहा है, ताकि टोटल डिस्सॉल्वेड सॉलिड (टीडीएस) की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी आश्वासन दिया कि सरकार राज्य में नहरी आधारित जलापूर्ति को बढ़ावा देगी, ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके।

स्वास्थ्य प्रभाव

रेवाड़ी क्षेत्र के भाजपा विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने चेतावनी दी कि कैमिकल युक्त पानी की समस्या से लोगों का जीवन संकट में है। उन्हें यह चिंता है कि यह स्थिति कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की शुरुआत कर रही है।

संसदीय कार्य मंत्री महीपाल सिंह ढांडा ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इन 15 गांवों में जो पानी पाया गया है, वह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का है। उन्होंने बताया कि पानी प्रदूषित है, लेकिन इसमें कैमिकल नहीं मिला है। यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि क्या उन्हें सही आंकड़े मिल रहे हैं या नहीं।

ग्राम प्रांतों की स्थिति

अर्जुन सिंह चौटाला, जो रानियां से इनेलो विधायक हैं, ने भी यह माना कि ग्राउंड वाटर की स्थिति बेहद खराब है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड और जल शक्ति मिशन की हालिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ग्राउंड वाटर में फ्लोराइड और यूरेनियम की मात्रा बढ़ गई है। यह सभी चिंताओं का मुख्य कारण बन गया है कि पानी की शुद्धता में कमी आने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

जल गुणवत्ता परीक्षण की व्यवस्था

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर सिंह गंगवा ने यह भी जानकारी दी कि राज्य में जल की गुणवत्ता परीक्षण के लिए 23 लैब स्थापित की गई हैं। इनमें 21 जिला मुख्यालयों पर और उपमंडल स्तर पर भी लैब का संचालन किया जा रहा है।

उन्होंने यह बताते हुए कहा कि रानियां क्षेत्र में 24 ट्यूबवेल से टेस्टिंग के दौरान दिक्कतें मिली थीं। इनमें से चार स्थानों पर नहरी आधारित जलापूर्ति की व्यवस्था लागू की जा चुकी है और बाकी सात स्थानों पर जल्दी ही यह व्यवस्था लागू करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

लागू किए गए उपाय

हरियाणा सरकार ने पानी की शुद्धता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट किया कि टीडीएस की समस्या को समाधान के लिए ट्यूबवेल के पानी में नहरी पानी मिलाने की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया से पानी की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है और पानी की शुद्धता को बढ़ाया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, जल शक्ति मिशन की गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। पानी के प्रबंधन और इसके संरक्षण के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम और क架न्डिया योजनाएँ चल रही हैं।

गंभीर चुनौती

हरियाणा में जल संकट और प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चुनौती है। जबकि सरकारी प्रयासों को सराहा जा सकता है, लेकिन इसे पूर्ण रूप से हल करने के लिए और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और लोगों को सुरक्षित पानी की आपूर्ति करना न केवल उनकी स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह राज्य के विकास के लिए भी आवश्यक है।

सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जल प्रबंधन के सभी उपाय वैज्ञानिक और पारदर्शी हों, ताकि जनता का विश्वास वापस लौट सके और हरियाणा के लोग एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जी सकें।

 

 

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