JDMC Five Day Workshop : स्वास्थ्य और पर्यावरण एक साझी जिम्मेदारी है : प्रो. स्वाति पाल

नई दिल्‍ली, बीएनएस न्‍यूज। जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज (Janaki Devi Memorial College) में आयोजित पाँच-दिवसीय कार्यशाला में “मानव-पर्यावरण संबंध: स्वास्थ्य और कल्याण में पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका” विषय पर गहन चर्चा हुई। इस कार्यशाला का उद्देश्य स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच गहरे संबंध को समझना और एक स्वस्थ तथा टिकाऊ भविष्य के लिए समाधान खोजना था। कार्यशाला के उद्घाटन में कॉलेज की प्राचार्या प्रो. स्वाति पाल ने इस विषय के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “स्वास्थ्य और पर्यावरण एक साझी जिम्मेदारी है।” इस कथन ने कार्यशाला की नींव रखी और सभी प्रतिभागियों को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सोचने के लिए प्रेरित किया।

प्रमुख वक्ताओं के विचार और सत्रों का सार

कार्यशाला के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने ज्ञान और दृष्टिकोण को साझा किया।

पहला दिन: वन हेल्थ और जैव चिकित्सा अनुसंधान

प्रो. आर.एस. शर्मा ने स्थिरता (Sustainability) और वन हेल्थ दृष्टिकोण पर बात की, जिसमें उन्होंने मानव, पशु और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को एक एकीकृत दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. गीतांजलि सगीना ने जैव चिकित्सा अनुसंधान क्षमताओं पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. विजय हड्डा ने वन हेल्थ ट्रायड और वैश्विक चुनौतियों को विस्तार से समझाया। डॉ. पल्लवी सक्सेना ने सूक्ष्म कणों के स्वास्थ्य जोखिमों को उजागर किया। डॉ. शैलेंद्र कुमार द्वारा जल गुणवत्ता निगरानी पर दिया गया व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र बहुत ही प्रभावशाली रहा।

दूसरा दिन: वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय ताप तनाव

 

प्रो. चिराश्री घोष ने वायु प्रदूषण और इसकी वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया। डॉ. अरुण और डॉ. रोहित कुमार चौधरी ने पर्यावरणीय ताप तनाव, सूचकांकों और सामुदायिक तैयारियों के लिए रणनीतियों पर ज्ञान साझा किया।

तीसरा दिन: सार्वजनिक स्वास्थ्य और टिकाऊ अभ्यास

 

प्रो. सुरबोटो कुमार दत्ता ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों को विस्तार से बताया। डॉ. दिव्या और डॉ. नीरज ने एलर्जी पैदा करने वाले पौधों की रोकथाम के तरीकों पर प्रकाश डाला। डॉ. दीपक रावत का व्यावहारिक प्रशिक्षण फास्ट फैशन को पर्यावरणीय लागतों, जल प्रदूषण और टिकाऊ प्रथाओं से जोड़ने वाला था।

भविष्य के लिए महत्वपूर्ण दृष्टिकोण

 

कार्यशाला के समापन पर, विशेषज्ञों ने भविष्य के लिए महत्वपूर्ण संदेश दिए। डॉ. शुभ्रा, डॉ. विवेक और डॉ. मनोहर ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य और पर्यावरण का भविष्य मानव विशेषज्ञता को बुद्धिमान उपकरणों के साथ जोड़कर लचीले और टिकाऊ समाधान तैयार करने में निहित है।

कार्यशाला की संयोजक डॉ. सना रहमान ने कहा कि यह कार्यशाला वन हेल्थ दृष्टिकोण को मजबूत करने में सफल रही है। उन्होंने सभी से एक स्थायी भविष्य के लिए मानव, पशु और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को एकीकृत करने का आग्रह किया। यह कार्यशाला न केवल एक ज्ञान का मंच थी, बल्कि यह एक साझी जिम्मेदारी और भविष्य के प्रति एक नई सोच की शुरुआत भी थी।