जाति आधारित सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक करे बिहार सरकार : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, BNM News।  सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के जाति आधारित सर्वे का पूरा विवरण जारी करने का निर्देश दिया है ताकि उसके निष्कर्षों को अगर कोई चाहे तो चुनौती दे सके। साथ ही कोर्ट ने मामले में किसी तरह का अंतरिम आदेश देने से इन्कार कर दिया है। मामले में कोर्ट पांच फरवरी को फिर सुनवाई करेगा। दरअसल, कई गैर सरकारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पटना हाई कोर्ट के बिहार में जाति आधारित सर्वे को मंजूरी देने के आदेश को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट पहले भी मामले में अंतरिम रोक का आदेश देने से इन्कार कर चुका है।

अब अंतरिम आदेश का क्या मतलब

 

मंगलवार को मामले पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई की। जब याचिकाकर्ता संगठनों की ओर से अंतरिम राहत पर सुनवाई की मांग की गई तो पीठ ने कहा कि अब अंतरिम आदेश का क्या मतलब है। हाई कोर्ट का आदेश राज्य सरकार के पक्ष में है और आंकड़े भी पब्लिक डोमेन में हैं। अब सिर्फ दो-तीन पहलू विचार के लिए बचे हैं। जैसे कानूनी मुद्दा, हाई कोर्ट का आदेश सही है या नहीं, पूरी प्रक्रिया सही है कि नहीं।

बिहार सरकार ने पूरी प्रक्रिया को चुनौती दी

 

याचिकाकर्ता के वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि अब जबकि सर्वे का डाटा सार्वजनिक है और राज्य सरकार ने अंतरिम तौर पर उसे लागू करना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में कोर्ट को अगले सप्ताह अंतरिम राहत पर सुनवाई करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने पूरी प्रक्रिया को चुनौती दी है। पीठ ने कहा कि इस मामले में सुनवाई की जरूरत है और कोर्ट सुनवाई करेगा, लेकिन अगले सप्ताह सुनवाई मुश्किल है। बता दें कि जातिगत सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद बिहार सरकार ने आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दी है।

डाटा की उपलब्धता को लेकर हम ज्यादा चिंतित

 

बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि डाटा और विवरण एक निश्चित वेबसाइट पर सार्वजनिक है और कोई भी उसे देख सकता है। राज्य सरकार की दलील पर पीठ ने पूछा कि क्या पूरा डाटा सार्वजनिक डोमेन में है। पीठ ने कहा कि वह डाटा की उलब्धता को लेकर ज्यादा चिंतित हैं। सरकार किस हद तक डाटा को रोक सकती है। कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा कि आपको पूरा विवरण और आंकड़े सार्वजनिक डोमेने में डालना चाहिए ताकि उसके निष्कर्ष को अगर कोई चाहे तो चुनौती दे सके। जब तक यह सार्वजनिक डोमेन में नहीं होगा कोई उसे चुनौती नहीं दे सकेगा।

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