ज्ञानवापी के वजूखाने के सील एरिया की सफाई होगी, सुप्रीम कोर्ट का आदेश; मुस्लिम पक्ष ने भी जताई सहमति
नई दिल्ली, एजेंसी। वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मंगलवार को बड़ा आदेश आया है। ज्ञानवापी परिसर में बने टैंक की 20 महीने बाद सफाई होगी। कोर्ट ने कहा कि टैंक की सफाई वाराणसी के जिलाधिकारी की देख-रेख में होगी। इस दौरान टैंक में बनी संरचना से छेड़खानी नहीं होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जिला प्रशासन को पानी की टंकी से मरी हुई मछलियों को हटवाने और सफाई की निगरानी करने को कहा है। ज्ञानवापी के वजूस्थल में बने टैंक में मई 2022 में कमिश्नर सर्वे के दौरान कथित शिवलिंगनुमा आकृति मिली थी। मुस्लिम पक्ष ने भी इस बात पर आपत्ति नहीं जताई है।
टैंक से आ रही थी दुर्गंध
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर आवेदन में हिंदू पक्ष ने कहा कि मरी हुई मछलियों की उपस्थिति के कारण टैंक से दुर्गंध आ रही थी। जिला मजिस्ट्रेट को सील किए गए परिसर को साफ करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। आवेदन में कहा गया है कि चूंकि वहां एक शिवलिंग मौजूद है जो हिंदुओं के लिए पवित्र है, इसे सभी गंदगी, मृत जानवरों आदि से दूर रखा जाना चाहिए। यह साफ स्थिति में होना चाहिए। यह इस समय मरी हुई मछलियों के बीच में है, जो भगवान शिव के भक्तों की भावनाओं को आहत करने वाला है।
वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल
हिंदू वादी पक्ष ने मां श्रृंगार गौरी स्थल पर निर्बाध पूजा के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी की कोर्ट में केस दायर किया था। हालांकि, अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी इस बात से इंकार किया है कि मस्जिद को मंदिर ढहाकर बनाया गया है। हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मस्जिद परिसर (‘वजूखाना’ को छोड़कर) का सर्वेक्षण करने के बाद जिला अदालत के समक्ष एक सीलबंद कवर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दाखिल की है। वाराणसी जिला अदालत ने 21 जुलाई, 2023 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह पता लगाने के लिए ‘विस्तृत वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का निर्देश दिया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं।
ज्ञानवापी में पहले मंदिर होने का दावा
सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के वजूखाने को संरक्षित रखने का पहले आदेश दिया था, जिसके कारण यह हिस्सा सर्वेक्षण का हिस्सा नहीं था। हिंदूवादियों ने इस स्थान पर ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया है। हिंदू कार्यकर्ताओं का दावा है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था और 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था।