Haryana News: दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष मेहमान होंगे मटौर गांव के युवा सरपंच रमेश मौण
नरेन्द्र सहारण, कलायतः हरियाणा के कैथल जिले के गांव मटौर के युवा सरपंच रमेश मौण 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। राष्ट्रीय परेड का गवाह बनाने के लिए सरपंच को भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की तरफ से न्योता मिला है।
इसमें हरियाणा के विभिन्न जिलों से छह सरपंच और पंचायती राज विभाग के दो एबीपीओ का चयन हुआ है। सरपंच रमेश मौण ने बताया कि निमंत्रण पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि देश के 19 राज्यों से गणतंत्र दिवस समारोह के विशेष मेहमान के लिए कुल 374 नामांकन मंत्रालय को प्राप्त हुए थे। इस सूची के आधार पर केंद्रीय सुरक्षा मंत्रालय से पास जारी करने की अपील की।
प्राचीन कालीन गांव मटोर
गांव मटौर महाभारत कालीन इतिहास से जुड़ा हुआ है। यहां पर मुकुटेश्वरी तीर्थ, कसाण श्री तीर्थ व खटवांगेश्वर तीन तीर्थ है। ये तीर्थ गांव के साथ- साथ पूरे हरियाणा प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बने हुए हैं। यहां पर पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु आते हैं। ग्रामीणों के अनुसार इन मंदिरों में आने से मनुष्य को सुख व शांति मिलती है। गांव मटौर का संबंध महर्षि मारकंडेय की माता मुकटेश्वरी से रहा है। गांव में मुकटेश्वरी धाम के नाम से मंदिर व सरोवर है। जहां पर श्रद्धालु स्नान कर अपनी मन्नतें मांगते है। गांव की आबादी लगभग 12 हजार के आसपास है। वोट 8700 के करीब है।
सरपंच ने किसानों को दिलाया लाभ
मटौर के युवा सरपंच रमेश मौण ने बताया कि गांव में कृषि घाटे कै सौदा साबित हो रही थी, हमने कृषि विभाग के साथ मिलकर आधुनिक खेती का तरीका अपनाया। जिसे बाद में अन्य किसानों ने भी हाथो-हाथ लिया। आज गांव के किसान खुशहाल है। उन्होंने कहा कि किसान खेती से विमुख हो रहे थे, कुछ साल पहले गांव में संरक्षित खेती का फार्मूला लेकर आया। पीढ़यों से घाटे का सौदा बनकर जहां किसान परिवार को कर्ज के बोझ तले दबे तले थे, वहीं रमेश मौण ने 130 दिन में कृषि को मुनाफे का सौदा बनाया। संरक्षित खेती ने किसानों को छप्पर फाड़कर मुनाफा दिया। आर्थिक संकट से जूझ रहे किसान आज फायदे की खेती कर रहे हैं। किसानों की तरक्की भी हो रही है। उन्होंने बताया कि 2018-2019 में संरक्षित कृषि फार्मूले को अपनाते हुए 4 एकड़ में नेट हाउस और 3 एकड़ में शुरू की बागवानी की खेती शुरू की। इसका लाभ मेरे परिवार के साथ गांव के अन्य किसानों को रहा है।
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