Loksabha Election 2024: जौनपुर से नीतीश कुमार की पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं बाहुबली धनंजय सिंह, जानें क्या है चुनावी समीकरण
जौनपुर, BNM News। Loksabha Election 2024: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से पाला बदल लिया है। वह NDA में शामिल हो गए। बिहार के इस सियासी उफान से उत्तर प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। खासकर, पूर्वांचल की जौनपुर सीट पर। वजह है कि यहां से JDU के नेता और पूर्वांचल के बाहुबली नेता धनंजय सिंह लोकसभा चुनाव लड़ते हैं। धनंजय सिंह का JDU से पुराना रिश्ता रहा है। वो नीतीश कुमार के भरोसेमंद नेताओं में से हैं। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार जब INDIA गठबंधन में थे, तब उनकी पार्टी फूलपुर और वाराणसी सीट मांग रही थी। मगर, अब नीतीश के NDA में शामिल होने के बाद इस समीकरण पर विराम लग गया। अब JDU भाजपा से बजाय जौनपुर सीट की मांग कर सकती है। यहां से धनंजय सिंह को चुनाव लड़ा सकती है।
धनंजय सिंह बोले, लोकसभा चुनाव JDU से ही लड़ेंगे
बिहार में ताजा सियासी समीकरण पर धनंजय सिंह ने बताया कि वह जौनपुर से 2024 का लोकसभा चुनाव JDU से लड़ेंगे। नीतीश के NDA में शामिल होने पर कहा कि वह मझे हुए सियासी नेता हैं। इतने साल के बाद भी उन पर कोई आरोप नहीं लगे हैं। न ही वो किसी जाति की राजनीति करते हैं। नीतीश बिहार को विकास के रास्ते पर लेकर आए हैं। उन्होंने बिहार से नक्सलवाद और अपराध को कम किया है।
नीतीश कुमार धनंजय पर क्यों लगा सकते हैं दांव
1- धनंजय सिंह का JDU से पुराना संबंध है। 2007 में JDU के टिकट पर ही विधायक बने थे। यही नहीं, वो नीतीश कुमार के भरोसेमंद नेताओं में से हैं।
2- जौनपुर में करीब 2 लाख क्षत्रिय वोटर्स हैं। इसमें उनकी ठीक-ठाक पैठ है। यहां पर कुर्मी मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है। ऐसे में अगर NDA से चुनाव लड़ते हैं, तो ब्राह्मण वोट भी उनके पाले में आ सकते हैं।
3- JDU ने 2022 विधानसभा चुनाव में जौनपुर से प्रत्याशी उतारे थे। मल्हनी से धनंजय सिंह मैदान में थे। हालांकि वह हार गए। मगर उन्हें अच्छा-खासा वोट मिला था। जबकि पार्टी के बाकी अन्य प्रत्याशी जमानत भी नहीं बचा पाए थे।
4- धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। श्रीकला निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं। उनके करीबी बृजेश सिंह प्रिंसु बीजेपी से एमएलसी हैं। इसके अलावा कई ब्लॉक में प्रमुख को सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देकर धनंजय सिंह ने चुनाव जितवाया है।
जौनपुर का संसदीय इतिहास
यहां पर ज्यादातर सांसद क्षत्रिय ही रहे हैं। 1952 में पहली बार बीरबल सिंह ने चुनाव जीता था। इसके बाद ब्रह्मजीत सिंह, राजदेव सिंह, कमला सिंह, राजकेसर सिंह, स्वामी चिन्मयानंद, धनंजय सिंह और कृष्ण प्रताप सिंह सांसद रहे।
जौनपुर का जातीय समीकरण
जौनपुर लोकसभा में लगभग 19 लाख मतदाता हैं। इनमें लगभग 3 लाख दलित मतदाता हैं। लोकसभा क्षेत्र में लगभग 3.50 लाख यादव वोटर्स हैं। लगभग 2.50 लाख ब्राह्मण वोटर्स और 2 लाख के करीब क्षत्रिय वोटर्स हैं। वहीं लगभग 3 लाख मुस्लिम आबादी भी है। निषाद वोटर्स भी लगभग 1 लाख हैं। 1 लाख के करीब पटेल वोटर्स और 70-80 हजार राजभर वोटर्स हैं।
जानें क्या है धनंजय सिंह का राजनीतिक करियर
धनंजय सिंह ने 2002 में पहली बार रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2007 में JDU के टिकट पर चुनाव जीते। मगर, 2008 में धनंजय JDU छोड़कर बसपा में चले गए। 2009 लोकसभा चुनाव में बसपा ने बाहुबली के बल पर पहली बार जौनपुर में जीत दर्ज की। इससे पहले यहां सपा, भाजपा और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। धनंजय सिंह ने सपा के कद्दावर नेता पारस नाथ यादव को करीब 80 हजार वोट से हराया था। इस चुनाव में धनंजय सिंह को लगभग 3,02,618 वोट मिले। हालांकि, 2011 में मायावती ने धनंजय को पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके बाद से धनंजय सिंह राजनीति रूप से कमजोर होते गए। 2012 में उनकी पूर्व पत्नी डॉ जागृति सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ीं लेकिन हार गईं।
2014 में मिले 64 हजार वोट
2014 के लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार दावेदारी पेश की। उन्हें करीब 64 हजार वोट ही मिले। भाजपा के उम्मीदवार ने 3,67,149 वोटों के साथ जीत दर्ज की। इस चुनाव में धनंजय भाजपा, बसपा और सपा के बाद चौथे स्थान पर थे। 2014 और 2017 विधानसभा चुनाव में धनंजय चुनावी मैदान में उतरे लेकिन जीत नहीं सके। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी धनंजय सिंह के साथ यही हुआ।
9 विधानसभा सीट में 5 सीट पर भाजपा को करना पड़ा था हार का सामना
जौनपुर में 2022 के विधानसभा चुनाव परिणाम BJP के लिए खास नहीं रहा था। जौनपुर में भाजपा ने सदर और बदलापुर विधानसभा में जीत दर्ज की थी। शाहगंज विधानसभा से भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी और मडियाहूं विधानसभा में सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज की थी। भाजपा को जफराबाद, मल्हनी, मुंगराबादशाहपुर, केराकत और मछलीशहर विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। 9 विधानसभा सीट में से 5 सीट पर सपा का वर्चस्व रहा था।