कैथल से डाक कांवड़ लेने 30 युवाओं की टीम रवाना: 23 जुलाई को करेंगे जलाभिषेक, साढ़े 12 घंटे का समय निर्धारित

हरिद्वार के लिए रवाना होती युवाओं की टीम।
नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है, जब भगवान शिव की आराधना और भक्ति का माहौल पूरे देश में उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है। खासतौर पर उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में इस माह में शिव मंदिरों में भक्तों का जनसैलाव देखने को मिलता है। इसी परंपरा का हिस्सा बनते हुए, कैथल जिले के राजौंद क्षेत्र का एक छोटा सा गांव, खेड़ी सिंबल, इस बार सावन के महीने में अपनी भक्ति और श्रद्धा का अनूठा प्रदर्शन कर रहा है। इस गांव के युवाओं का समूह हरिद्वार की धार्मिक यात्रा पर निकला है, जिसमें वे भगवान शिव को जल अर्पित करने और उनकी पूजा करने के लिए अपने समर्पण का परिचय दे रहे हैं।
युवा समूह का उद्देश्य और यात्रा का संकल्प
खेड़ी सिंबल के इन युवाओं ने इस यात्रा का उद्देश्य न सिर्फ धार्मिक है, बल्कि यह समाज में एक नई ऊर्जा और जागरूकता का संदेश भी है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव को जल अर्पित करना है, खासकर शिवरात्रि के पावन अवसर पर। इस समूह के प्रमुख सचिन, राजेश और मनोज ने बताया कि वे अपने धर्म, परंपरा और आस्था के साथ इस यात्रा पर निकले हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस यात्रा का सारा खर्च स्वयं युवाओं ने ही वहन किया है, न कि किसी संस्था या बाहरी सहयोग से। यह संदेश भी है कि अपने धर्म के प्रति निष्ठा और स्वावलंबन का महत्व कितनी बड़ी बात है।
डाक कावड़ का विशेष महत्व और तैयारी
इस यात्रा का मुख्य आकर्षण है डाक कावड़। यह पारंपरिक कावड़ से अलग, एक विशेष माध्यम है जिसमें युवाओं ने अपनी श्रद्धा और समर्पण को दर्शाने के लिए गंगाजल लाने का संकल्प लिया है। डाक कावड़ के जरिए ये युवक पूरे 12 घंटे से अधिक का सफर तय कर हरिद्वार पहुंचेंगे। इस कठिन यात्रा में वे पूरी श्रद्धा, निष्ठा और संयम के साथ भगवान शिव को जल अर्पित करेंगे। यात्रा की तैयारी के तहत युवकों ने अपने खाने-पीने का सामान, जलयात्रा के लिए आवश्यक उपकरण, और आराम के इंतजाम भी पहले से कर लिए हैं। यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि यह युवाओं में आत्म-संयम, एकता और समाज सेवा की भावना को भी प्रकट करती है।
गांव का समर्थन और उत्साह का माहौल
खेड़ी सिंबल गांव के लोगों का इस यात्रा में पूरा समर्थन मिल रहा है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी इस यात्रा को सफल बनाने के लिए अपने-अपने तरीके से सहयोग कर रहे हैं। गांव के लोगों का मानना है कि यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इससे गांव का नाम भी रोशन हो रहा है। गांव के लोगों ने युवाओं को शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह उदाहरण समाज में युवा पीढ़ी के धर्म के प्रति जागरूकता का प्रतीक है। साथ ही, यह यात्रा सामाजिक समरसता और परंपरा के संरक्षण का भी एक माध्यम बन रही है।
सावन और शिवभक्ति का सामाजिक संदेश
यह यात्रा सामाजिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। यह दिखाता है कि परंपरा और श्रद्धा को जीवित रखने के लिए युवाओं में उत्साह और समर्पण कितने महत्वपूर्ण हैं। इस तरह की यात्राएं न केवल धार्मिक अनुष्ठान हैं, बल्कि वे सामाजिक बंधनों को मजबूत करने का भी माध्यम हैं। युवा अपने धर्म के प्रति निष्ठा के साथ-साथ समाज की सेवा का भी परिचय देते हैं। यह संदेश जाता है कि जब समाज का हर वर्ग अपने धर्म और परंपरा के प्रति जागरूक होता है, तो वह समाज मजबूत और समृद्ध बनता है।
शिवभक्ति का उत्साह और आगामी कार्यक्रम
यात्रा के दौरान युवाओं का उत्साह चरम पर है। पूरे 12 घंटे की यात्रा के दौरान वे भक्ति गीत, शिव मंत्र जप, और भक्ति रस में डूबे रहते हैं। हरिद्वार पहुंचने के बाद, वे भगवान शिव को जल अर्पित करेंगे और शिवरात्रि के पावन पर्व पर विशेष पूजा करेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य है भगवान शिव के प्रति समर्पण और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाना। गांव वाले भी इस यात्रा के सफल होने की कामना कर रहे हैं और हरिद्वार में युवाओं का स्वागत करने का इंतजार कर रहे हैं।
आत्मनिर्भरता और श्रद्धा का प्रतीक
खेड़ी सिंबल के युवाओं का यह कदम इस बात का उदाहरण है कि श्रद्धा और आत्मनिर्भरता के दम पर कोई भी कार्य संभव है। इस यात्रा ने यह दिखाया है कि बिना किसी बाहरी सहायता के, अपने अनुभव, मेहनत और श्रद्धा से किए गए कार्य कितने सफल हो सकते हैं। यह यात्रा न केवल भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह युवाओं में आत्मविश्वास, एकता और समाज सेवा की भावना का भी संचार है। इस प्रकार, सावन के इस महीने में खेड़ी सिंबल का यह आयोजन पूरे क्षेत्र में श्रद्धा और भक्ति का प्रकाश फैलाने वाला एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है। आशा है कि यह धार्मिक यात्रा समाज में नई ऊर्जा और सद्भावना का संचार करेगी, और युवा पीढ़ी को अपने धर्म और परंपरा से जुड़ने की प्रेरणा देगी।