कैथल में पुलिस हिरासत से आरोपी फरार: पूछताछ के दौरान धक्का देकर भागा; पहले 70 हजार की लूट में पकड़ा गया था

पुलिस द्वारा पकड़ा गया आरोपी

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले की चीका तहसील में उस समय पुलिसिया कार्रवाई और सुरक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया, जब अपराध अन्वेषण शाखा (सीआईए-1) की टीम की हिरासत से एक शातिर लुटेरा पुलिसकर्मी को धक्का देकर फरार हो गया। यह दुस्साहसिक घटना मंगलवार, 6 मई 2025 की देर शाम चीका की घनी आबादी वाली संजय बस्ती में उस वक्त हुई, जब पुलिस टीम आरोपी को मामले की तफ्तीश और निशानदेही के लिए लेकर गई थी। आरोपी के इस दुस्साहसिक कदम से न केवल एक पुलिस कर्मचारी घायल हो गया, बल्कि पूरे पुलिस महकमे में भी हड़कंप मच गया है। इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और हिरासत में रखे गए अपराधियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने फरार आरोपी के खिलाफ एक और मामला दर्ज कर उसकी तलाश में सघन अभियान छेड़ दिया है।

वह लूट जिसने चीका को दहला दिया था

 

इस पूरे मामले की जड़ें पिछले महीने, 28 अप्रैल 2025 की एक शाम को हुई लूटपाट की एक सनसनीखेज वारदात से जुड़ी हैं। उस शाम, चीका के शक्ति नगर निवासी सन्नी जिंदल अपने भाई के साथ अपनी गुहला रोड स्थित दुकान ‘जिंदल कम्युनिकेशन’ को बंद करके मोटरसाइकिल पर घर लौट रहे थे। उनका दैनिक जीवन की तरह यह एक सामान्य वापसी थी, लेकिन उन्हें क्या पता था कि कुछ ही पलों में उनकी यह सामान्य यात्रा एक भयावह अनुभव में बदलने वाली है।

रास्ते में जब वे एक अपेक्षाकृत सुनसान इलाके से गुजर रहे थे, तभी पीछे से तेज रफ्तार में आई एक मोटरसाइकिल ने उन्हें ओवरटेक कर रोक लिया। मोटरसाइकिल पर दो नकाबपोश युवक सवार थे, जिनके इरादे नेक नहीं लग रहे थे। इससे पहले कि सन्नी और उनके भाई कुछ समझ पाते, एक नकाबपोश ने उन पर चाकू से हमला कर दिया। इस अचानक हुए हमले से दोनों भाई घबरा गए। हमलावरों का मुख्य निशाना सन्नी के हाथ में मौजूद बैग था। छीना-झपटी और प्रतिरोध के बीच हमलावरों ने सन्नी को मामूली रूप से घायल भी कर दिया और अंततः उनका बैग छीनकर मौके से फरार हो गए।

घबराए और सहमे हुए जिंदल बंधुओं ने तुरंत अपने आसपास के लोगों को सूचित किया और फिर चीका पुलिस थाने में घटना की प्राथमिकी दर्ज कराई। सन्नी ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में बताया कि लुटेरे उनके बैग में रखी करीब 70,000 रुपये की नकदी, दो कीमती मोबाइल फोन और उनकी दुकान ‘जिंदल कम्युनिकेशन’ की चाबियां लूटकर ले गए। दिनदहाड़े हुई इस वारदात ने चीका शहर के व्यापारियों और आम नागरिकों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी थी। पुलिस पर आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का भारी दबाव था।

आरोपी की गिरफ्तारी और महत्वपूर्ण रिमांड

 

थाना चीका में भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज होने के बाद, मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच का जिम्मा सीआईए-1 की टीम को सौंपा गया। सीआईए-1 के अनुभवी अधिकारियों और कर्मचारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अपने मुखबिर तंत्र को सक्रिय किया और तकनीकी सर्विलांस की मदद से आरोपियों की पहचान करने की कोशिशें तेज कर दीं। कई दिनों की अथक मेहनत, सीसीटीवी फुटेज खंगालने और विभिन्न संदिग्धों से पूछताछ के बाद, सीआईए-1 टीम को एक महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगा।

इसी कड़ी में पुलिस ने इस लूटकांड में शामिल एक आरोपी को धर दबोचा। गिरफ्तार आरोपी की पहचान के बाद पुलिस ने उसे मंगलवार, 6 मई 2025 को स्थानीय न्यायालय में पेश किया। पुलिस ने अदालत से आरोपी से गहन पूछताछ करने, लूटी गई रकम, मोबाइल फोन और अन्य सामान की बरामदगी के साथ-साथ उसके साथीदार के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए रिमांड की मांग की। न्यायालय ने पुलिस की दलीलों को स्वीकार करते हुए आरोपी को चार दिन के पुलिस रिमांड पर सौंप दिया। यह पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी थी, और उम्मीद की जा रही थी कि रिमांड के दौरान मामले की कई अनसुलझी कड़ियां जुड़ जाएंगी।

संजय बस्ती में पुलिस को चकमा

 

रिमांड मिलने के बाद सीआईए-1 की टीम आरोपी से लगातार पूछताछ कर रही थी। मंगलवार, 6 मई 2025 की रात करीब 8 बजे, पुलिस टीम आरोपी को लेकर चीका की संजय बस्ती पहुंची। यह बस्ती घनी आबादी वाली और संकरी गलियों के लिए जानी जाती है। पुलिस का उद्देश्य आरोपी की निशानदेही पर लूटे गए माल की बरामदगी करना या उसके संभावित ठिकानों या साथियों के बारे में और जानकारी जुटाना था।

पुलिस टीम, जिसमें कुछ सशस्त्र कर्मी भी शामिल थे, आरोपी को लेकर संजय बस्ती की एक गली से गुजर रही थी। आरोपी, जो शायद पहले से ही फरार होने की फिराक में था, ने अचानक अपने साथ चल रहे एक पुलिस कर्मचारी को जोर से धक्का दे दिया। पुलिसकर्मी इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं था और अपना संतुलन खोकर नीचे गिर पड़ा, जिससे उसे चोटें भी आईं। इस अफरातफरी और भ्रम का फायदा उठाते हुए, आरोपी ने पुलिस की पकड़ से अपना हाथ छुड़ाया और तेजी से संकरी गलियों में ओझल हो गया। जब तक अन्य पुलिसकर्मी संभल पाते और उसका पीछा करते, वह उनकी आंखों से ओझल हो चुका था। संजय बस्ती की भौगोलिक स्थिति, यानी संकरी और घुमावदार गलियां, आरोपी के लिए वरदान साबित हुईं और पुलिस के लिए अभिशाप।

घायल पुलिसकर्मी और पुलिस महकमे में हड़कंप

 

आरोपी द्वारा दिए गए धक्के से घायल हुए पुलिस कर्मचारी को तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका उपचार किया गया। गनीमत रही कि चोटें गंभीर नहीं थीं, लेकिन इस घटना ने पुलिसकर्मियों के मनोबल पर निश्चित रूप से असर डाला है। एक हिरासत में लिए गए अपराधी का इस तरह से पुलिस टीम को चकमा देकर फरार हो जाना, वह भी एक पुलिसकर्मी को घायल करके, पूरे पुलिस महकमे के लिए एक शर्मिंदगी और चुनौती का सबब बन गया।

घटना की सूचना मिलते ही जिला पुलिस मुख्यालय में हड़कंप मच गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने तुरंत मौके का मुआयना किया और फरार आरोपी की धरपकड़ के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए।

कानूनी शिकंजा, चुनौतियां बढ़ीं

 

पुलिस हिरासत से भागने और पुलिसकर्मी पर हमला करने के इस गंभीर कृत्य के लिए चीका थाना पुलिस ने फरार आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 224 (किसी व्यक्ति द्वारा विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागना) और धारा 353 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) तथा धारा 332 (लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना) के तहत एक और आपराधिक मामला दर्ज किया है। यह नया मामला आरोपी की मुश्किलें और बढ़ाएगा, बशर्ते वह दोबारा पकड़ा जाए।

इस फरारी ने मूल लूटपाट के मामले की जांच को भी प्रभावित किया है। पुलिस को उम्मीद थी कि आरोपी से पूछताछ में उसके साथी और लूटे गए माल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, लेकिन उसके फरार हो जाने से यह प्रक्रिया फिलहाल बाधित हो गई है।

बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान

 

फरार आरोपी की गिरफ्तारी पुलिस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। जिला पुलिस अधीक्षक ने आरोपी को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए कई विशेष टीमों का गठन किया है। इन टीमों में सीआईए-1, सीआईए-2, स्थानीय चीका थाना पुलिस और अन्य अनुभवी पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है।

नाकेबंदी और सघन चेकिंग: जिले के सभी प्रमुख प्रवेश और निकास द्वारों पर कड़ी नाकेबंदी कर दी गई है। हरियाणा के सीमावर्ती जिलों और पड़ोसी राज्यों की पुलिस को भी फरार आरोपी के बारे में सूचित कर दिया गया है और उनकी मदद मांगी गई है। रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
मुखबिर तंत्र सक्रिय: पुलिस ने अपने पुराने मुखबिर तंत्र को एक बार फिर सक्रिय कर दिया है और आरोपी के संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। उसके दोस्तों, रिश्तेदारों और पुराने आपराधिक साथियों पर भी नजर रखी जा रही है।
तकनीकी सहायता: साइबर सेल की मदद से आरोपी के पुराने मोबाइल नंबरों और सोशल मीडिया एक्टिविटी (यदि कोई हो) को भी खंगाला जा रहा है।

सार्वजनिक अपील: पुलिस द्वारा जल्द ही आरोपी का हुलिया और तस्वीरें जारी कर आम जनता से भी सहयोग की अपील की जा सकती है, ताकि उसे पकड़ने में मदद मिल सके। हालांकि, संजय बस्ती जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र और आरोपी के स्थानीय होने के कारण पुलिस को उसे ढूंढ निकालने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

अधिकारियों का पक्ष और आश्वासन

 

इस गंभीर मामले पर चीका थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर बलबीर सिंह ने मीडिया को बताया, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। सीआईए-1 पुलिस टीम आरोपी को जांच के सिलसिले में संजय बस्ती लेकर गई थी, जहां उसने एक पुलिसकर्मी को धक्का देकर घायल कर दिया और फरार हो गया। हमने फरार आरोपी के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। उसकी गिरफ्तारी के लिए कई टीमें बनाई गई हैं और विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। हमें विश्वास है कि आरोपी जल्द ही हमारी गिरफ्त में होगा।”

जिला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी घटना की गंभीरता को स्वीकार किया है और आश्वासन दिया है कि इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि जांच में किसी पुलिसकर्मी की ओर से कोई चूक पाई जाती है, तो उसके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

समुदाय में भय और चिंता का माहौल

 

एक शातिर अपराधी के पुलिस हिरासत से फरार होने की खबर ने चीका और आसपास के इलाकों के निवासियों में भय और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। विशेषकर व्यापारी वर्ग, जो पहले ही 28 अप्रैल की लूट की वारदात से सहमा हुआ था, अब और भी अधिक असुरक्षित महसूस कर रहा है। लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि अगर अपराधी पुलिस हिरासत से भी भाग सकते हैं, तो आम नागरिक कितने सुरक्षित हैं।

यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली, विशेषकर अभियुक्तों को जांच या निशानदेही के लिए बाहर ले जाते समय बरती जाने वाली सावधानियों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या पुलिस टीम के पास पर्याप्त संख्या में जवान थे? क्या आरोपी को ठीक से हथकड़ी लगाई गई थी? क्या इलाके की भौगोलिक स्थिति का सही आकलन किया गया था? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर पुलिस को अपनी आंतरिक जांच में तलाशने होंगे।

आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की चुनौती

 

कैथल के चीका में पुलिस हिरासत से लुटेरे का फरार होना एक गंभीर घटना है, जिसने न केवल कानून व्यवस्था की चुनौतियों को उजागर किया है, बल्कि पुलिस की कार्यकुशलता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है। फिलहाल, पुलिस की प्राथमिकता फरार आरोपी को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे पहुंचाना है ताकि जनता में सुरक्षा की भावना बहाल हो सके और पुलिस की साख पर लगे बट्टे को मिटाया जा सके। इसके लिए एक व्यापक और सुनियोजित तलाशी अभियान जारी है। यह देखना होगा कि पुलिस इस चुनौती से कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी ढंग से निपट पाती है। साथ ही, इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए पुलिस को अपनी मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) की समीक्षा करने और उन्हें और अधिक सुदृढ़ बनाने की भी आवश्यकता है। आम जनता को भी सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देने की अपील की जाती है ताकि अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण पाया जा सके।

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