हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने दिए स्कूल बसों को लेकर सख्त आदेश, हो रही फिटनेस की जांच
नरेन्द्र सहारण, कैथल। बीते दिन महेंद्रगढ़ जिले के कनीना में स्कूल बस दुर्घटना में छह बच्चों की मौत व दर्जनों बच्चे घायल होने के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अधिकारियों को सख्त आदेश दिए हैं कि जो स्कूल नियम पूरे नहीं करते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
इसी कड़ी में शुक्रवार को राजकीय सेवा प्राधिकरण विभाग के अधिकारियों ने आईजी स्कूल में पहुंचकर महज दो बसों की फिटनेस की जांच की। जांच के दौरान बसों में कई खामियां मिली। जो दो बसें चेक की गईं, उनमें फर्स्ट एड बॉक्स से लेकर इमरजेंसी दरवाजे तक का हैमर नहीं था। दवाइयों के ऊपर से एक्सपायरी तिथि मिटी हुई मिली। बसें के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे, इमरजेंसी दरवाजे का हैमर नहीं था।
हादसों के लिए कौन जिम्मेदार
बसों में कमियों को देखकर अधिकारियों ने स्कूल को नोटिस देने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया और कमियों को सुधारने का स्कूल प्रशासन को समय दिया। यदि बीते दिन महेंद्रगढ़ में हुए बस हादसे की तरह यहां भी हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? लगभग आठ से 10 बसों को बस के बोनट पर भी बैठाया गया था, जबकि बसों की सिटिंग सिर्फ सीटों पर होनी चाहिए। नियम के अनुसार सीटों की संख्या से अधिक विद्यार्थी बैठना नियमानुसार गलत है, लेकिन स्कूली बसों में बच्चों को बोनट पर बैठाना सीधा हादसे को निमंत्रण देना है। विभाग की अधिकारियों की मानें तो फरवरी में बसों की जांच की गई थी, लेकिन केवल दो माह में ही बसों में इतनी कमी पाना हादसे को न्योता देना है।
ऑटो, ई-रिक्शा में बच्चों को स्कूल जाने की नहीं अनुमति
ई रिक्शा, ऑटो सहित अन्य वाहनों में भी बच्चों को बिना सुरक्षा व्यवस्था के क्षमता से अधिक संख्या में बैठाकर स्कूल में पहुंचाया जाता है और छुट्टी के बाद घर भी ऐसे पहुंचाया जाता है।
जब इन वाहनों में बच्चों की किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं होती। क्षमता से अधिक संख्या में बच्चों को बैठाया जाता है। कई वाहन चालक को बच्चों को वाहन की छतों पर भी बैठा लेते हैं। कई वाहनों में बच्चे पीछे बैठ जाते और उनके पांव वाहन से बाहर होते हैं। ऐसे में हादसे का किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा। कई वाहन चालक शराब पीकर गाड़ी का चलाते हैं, जिस कारण से हादसे होते हैं। चालक के शराब पीकर बस चलाने से कुछ दिन पहले गांव नरड़ में भी हादसा हुआ है और एक बच्ची की जान चली गई।
जांच में 13 स्कूल बसें जब्त
कैथल। जांच अभियान के तहत दोपहर को आरटीए की टीम ने 13 स्कूल बसों को जब्त कर लिया। इन सभी के चालान किए गए हैं और उन्हें रोडवेज की वर्कशॉप में भेज दिया गया। गत वीरवार को कनीना में हुए बस हादसे के बाद आरटीए के अफसरों ने शहर और आसपास अभियान चलाकर बसों की जांच-पड़ताल की। एसिस्टेंट सेक्रेटरी शीशपाल शर्मा की ओर से की गई जांच में पाया गया कि बसों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट, रेडियम टेप और फॉग लाइट नहीं लगी थी।
कई बसों के इंडिकेटर भी टूटे मिले। कुछ बस तो ऐसी भी मिलीं, जिनकी मेडिकल किट में एक्सपायर दवाइयां रखी गई थी। सवाल उठाया कि ट्रांसपोर्टेशन फीस के बावजूद स्कूल प्रबंधक बच्चों की जान से खिलवाड़ कैसे कर सकते हैं।
आरटीए गिरीश कुमार ने बताया कि स्कूल की बसों की जांच का यह अभियान अब रुकेगा नहीं। जिन स्कूली बसों में खामियां मिली हैं। ऐसी बसों को आसानी से सड़कों पर चलने नहीं दिया जाएगा। शुक्रवार को की गई जांच पड़ताल के दौरान 13 बसों को इंपाउंड किया गया है।
कैथल आरटीए के असिस्टेंट सचिव शीशपाल शर्मा ने कहा कि जो स्कूल बसों में फिटनेस को पूरा नहीं करते, उनको नोटिस जारी किया जाएगा। एक माह तक स्कूलों को बसों में सभी तरह की व्यवस्थाएं और कमियों को पूरा करने का समय दिया गया है। एक बस में सीटिंग क्षमता से ज्यादा संख्या में बच्चे नहीं होने चाहिए। जो कमियां मिली हैं, उनको पूरा करने के लिए स्कूल को 15 दिन का समय दिया गया है। यदि कमियां पूरी नहीं हो सकीं तो स्कूलों को नोटिस दिया जाएगा और उन पर कार्रवाई की जाएगी।
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