हरियाणा और राजस्थान के बीच यमुना पानी को लेकर हुआ समझौता, बरसाती पानी का दोनों राज्य करेंगे सदुपयोग

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार इस बार के बजट सत्र में बेहतर जल प्रबंधन की अपनी प्रतिबद्धता दोहराती नजर आई। मानसून के दौरान नदियों में व्यर्थ बहने वाले बाढ़ के अतिरिक्त पानी के सदुपयोग का रास्ता तो निकाला ही गया, हरियाणा के सूखाग्रस्त इलाकों तक पानी पहुंचाने की योजना भी तैयार की गई है। पश्चिमी यमुना नहर की बढ़ी हुई 24 हजार क्यूसिक की क्षमता के बाद इस नहर में बहने वाला सारा अतिरिक्त पानी हरियाणा और राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाकों में उपयोग किया जा सकेगा। कई मौके ऐसे आए, जब पश्चिमी यमुना नगर में दो से आठ लाख क्यूसिक तक पानी बहा, जिसने न केवल हरियाणा बल्कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी तबाही मचाने का काम किया। अब इस अतिरिक्त जल से हरियाणा के भिवानी, चरखी दादरी और हिसार जिलों के सूखाग्रस्त इलाकों में जलापूर्ति बढ़ाई जाएगी। पिछले दिनों हरियाणा और राजस्थान सरकारों के बीच हुए समझौते के बाद बारिश व बाढ़ के अतिरिक्त पानी का इस्तेमाल दोनों राज्य कर सकेंगे।

लगातार जल संकट की तरफ बढ़ रहा हरियाणा

 

परियोजना का विस्तृत ब्योरा दोनों राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से बनाई जाने वाली विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट से सामने आएगा। इस परियोजना से जुलाई से अक्टूबर के दौरान अतिरिक्त जल की आपूर्ति होगी। बीते कई दशक में जलप्रबंधन की बेहतर और कारगर नीति के अभाव में हरियाणा लगातार जल संकट की तरफ बढ़ता चला गया। बेहतर फसल पाने की चाहत में हरियाणा में भूमिगत जल का सीमा से अधिक उपयोग हुआ। प्रदेश के 36 खंड डार्क जोन में आ गए। हरियाणा में हर साल कुल 35 लाख करोड़ लीटर पानी की मांग है। इसमें से सरफेस, ग्राउंड और ट्रीटेड वाटर के जरिए करीब 21 लाख करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति ही हो पाती है।

हरियाणा में हर साल बनी रहती है पानी की कमी

 

प्रदेश में हर साल करीब 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी बनी रहती है। प्रदेश को हर वर्ष 15.95 लाख करोड़ लीटर नदी जल के आवंटन का प्रविधान है। लेकिन बीते 12 वर्ष में प्रदेश को हर साल औसतन 11.68 लाख करोड़ लीटर नदी जल की आपूर्ति ही हो पाई है। पंजाब के अड़ियल रवैये की वजह से एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक) नहर से 3.5 लाख करोड़ लीटर नदी जल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। प्रदेश में इस्तेमाल होने वाले कुल पानी में भी 80 प्रतिशत का इस्तेमाल खेती में होता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक राज्य में पानी की 50 प्रतिशत तक कमी को पूरा कर लिया जाए। इसके लिए हर साल के लक्ष्य तय किए गए, जिसमें से इस साल का 95 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। केंद्रीय जल आयोग के बंटवारे के मुताबिक यमुना में हरियाणा की सालाना हिस्सेदारी 5.730 बीसीएम की है। इसमें से 4.107 बीसीएम पानी अकेले जुलाई-अक्टूबर के बरसाती मौसम में आता है। नहरों की क्षमता सीमित होने की वजह से प्रदेश अपने हिस्से का पूरा पानी कभी नहीं ले पाता।

इस समस्या पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खासा ध्यान दिया और आपूर्ति बढ़ाने के लिए तीन नई पहल की हैं।

-पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता बढ़ाने पर खर्च होंगे तीन हजार करोड़
– पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता को 18 हजार क्यूसिक से बढ़ाकर 24 हजार क्यूसिक किया जा रहा है। करीब तीन हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना से नहर की क्षमता में करीब 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
– पश्चिम यमुना नहर की इस बढ़ी हुई क्षमता का उपयोग मानसून सीजन में यमुना में आने वाले अतिरिक्त पानी के इस्तेमाल के लिए किया जा सकेगा।

बारिश के अतिरिक्त पानी के इस्तेमाल के लिए चार पाइप लाइनों का निर्माण

 

दूसरी पहल के तहत राजस्थान के साथ हुए ताजा एमओयू में बारिश के अतिरिक्त पानी के इस्तेमाल के लिए चार पाइप लाइनों का निर्माण किया जाएगा। इन भूमिगत पाइपलाइनों में से तीन पाइपलाइन का इस्तेमाल राजस्थान को जलापूर्ति के लिए होगा और एक पाइपलाइन से हरियाणा के तीन जिलों के सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचाया जा सकेगा।

यमुना में 24 हजार क्यूसिक से अधिक पानी बहने पर होगी राजस्थान को आपूर्ति

 

राजस्थान को इस परियोजना से करीब 126 एमसीएम (12.60 करोड़ क्यूबिक मीटर) पानी मिलेगा। राजस्थान को अतिरिक्त पानी की आपूर्ति पश्चिम यमुना नहर की 24 हजार क्यूसिक की पूरी क्षमता में चलने पर ही होगी। यदि राजस्थान को अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं होगी तो अतिरिक्त पानी का संरक्षण तालाबों में होगा, जिसका इस्तेमाल बाद में सिंचाई के लिए किया जा सकेगा।

भूजल रिचार्ज बढ़ाने पर भी सरकार का पूरा फोकस

 

पानी की उपलब्धता को बढ़ाने की तीसरी पहल के तहत भूजल रिचार्ज पर बल दिया जा रहा है। डार्क जोन में आए खंडों में अब तक 907 रिचार्ज वैल का निर्माण कार्य पूरा किया गया है और 231 का कार्य प्रगति पर है। वर्षा जल संचयन के लिए 131 रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाए गए हैं, जिससे 286 सरकारी भवनों को जल संचय की सुविधा प्रदान की जा रही है, जिसका कुल क्षेत्र 585 एकड़ है।

 

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