अमर सिंह चमकीला: माटी की आवाज या ‘फूहड़’ गायक? पत्नी-बेटी की जुबानी ‘एल्विश ऑफ पंजाब’ की कहानी

नरेन्द्र सहारण चंडीगढ अमर सिंह चमकीला का किरदार निभा रहे हैं दिलजीत दोसांझ और उनकी पत्नी अमरजोत कौर का किरदार परिणीति चोपड़ा निभा रही हैं. ये फिल्म तब आ रही है जब चमकीला की मौत को 36 साल बीत गए हैं.

पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में साल 1979 से 1988 तक राज करने वाले गायक और ‘एल्विश ऑफ पंजाब’ कहे जाने वाले अमर सिंह चमकीला (Amar Singh Chamkila) एक बार फिर से चर्चा में हैं. इसकी वजह है इम्तियाज अली (Imtiaz Ali) की नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो रही फिल्म ‘अमर सिंह चमकीला.’

 

ये फिल्म 12 अप्रैल को रिलीज हुई है. इस फिल्म में अमर सिंह चमकीला का किरदार निभा रहे हैं पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ और उनकी पत्नी अमरजोत कौर का किरदार परिणीति चोपड़ा निभा रही हैं. ये फिल्म तब आ रही है जब चमकीला की मौत को 36 साल बीत गए हैं.

 

इस आर्टिकल में जानेंगे,अखाड़े में साज बजाने वाले धनी राम से अमर सिंह चमकीला बनने वाले शख्स की जिंदगी के किस्से, उनकी मौत की थ्योरी और उनकी ख्याति के बारे में.

 

कौन थे अमर सिंह चमकीला? 

अमर सिंह चमकीला पंजाब में 70 और 80 के दशक के बड़े गायकों में शुमार थे. उनकी गायिकी के लोग दीवाने थे. कहा जाता है कि उन्होंने बहुत कम समय में फर्श से अर्श तक का सफर तय कर लिया था.

 

अमर सिंह चमकीला का जन्म 1960 के दशक में लुधियाना जिले के दुगरी में हुआ था. उनका मूल नाम धनी राम था. काफी कम उम्र में पारिवारिक बोझ की वजह से उन्हें कारखानों, गायिकी अखाड़ों में सहायक के तौर पर काम करना पड़ा.

अमर सिंह चमकीला ने दो शादियां की थीं. एक इंटरव्यू मे बात करते हुए अमर सिंह चमकीला की पहली पत्नी गुरमिल कौर ने बताया कि अमर सिंह पहले बैट्री के कारखाने में काम करते थे. 1978-79 में उनकी शादी के कुछ साल बाद अमर सिंह ने खुद गाना लिखकर उन्हें गाना शुरू किया. ‘टकुए ते टकुआ खड़के’ अमर सिंह चमकीला का पहला रिलीज्ड गाना है. चमकीला के गाने गांव के परिवेश, ड्रग्स, बंदूकें, एक्ट्रा मैरिटल अफेयर और दहेज जैसे मुद्दों पर तंज करते थे. अमर सिंह चमकीला ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत में कई लड़कियों के साथ स्टेज जोड़ी बनाई लेकिन अमरजोत कौर के साथ उनकी जोड़ी काफी हिट रही. अमरजोत कौर बाद में चलकर उनकी दूसरी पत्नी भी बनीं.

 

अमर सिंह चमकीला की पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में उस वक्त क्या शख्सियत थी, इस पर पंजाबी फिल्मों और गानों के इतिहास पर नजर रखने वाले फिल्म इतिहासकार मनदीप सिंह सिद्धू कहते हैं कि जब चमकीला जी ने संगीत की दुनिया में कदम रखा उस वक्त पंजाब में बहुत सारे फनकार शीर्ष पर बैठे थे. इनमें कुलदीप माणक, सुरिंदर छिंदा जैसे नाम थे.”सुरिंदर छिंदा की मंडली में ही अमर सिंह चमकीला साज बजाते थे. छिंदा ने उनकी काबिलियत पहचानी और गायकी की दुनिया में इन्हें बढ़ावा दिया.”मनदीप सिंह सिद्धू , पंजाबी फिल्म इतिहासकार।

मनदीप सिंह सिद्धू कहते हैं, “आप अमर सिंह चमकीला की शख्सियत को इस बात से समझ सकते हैं कि 1987 में एक फिल्म आई थी जिसका नाम था पटोला. इस फिल्म में अमर सिंह की गायिकी अखाड़ा का ‘पहले ललकारे नाल मैं डर गया’ गाना फिल्माया गया था. इसके बाद फिल्म हिट हो गई. फिल्म के हिट होने के पीछे की वजह चमकीला का गाना था.”

 

मनदीप सिंह बताते हैं कि वैसे तो चमकीला अखाड़े में स्टेज पर गाते थे लेकिन उस वक्त की बड़े नामचीन म्यूजिक रिकॉर्ड कंपनी उनके गाने को रिकॉर्ड करती थी और इसके बाद उसके ग्रामोफोन कसेट्स हाथों-हाथ बिक जाते थे.

 

गायिकी पर उठे सवाल

अमर सिंह चमकीला की गायिकी को अक्सर सवालों के घेरे में रखा जाता रहा है, कई लोग मानते हैं कि उनके गाने ‘डबल मीनिंग’ यानी द्विअर्थी होते थे.

 

मनदीप सिंह कहते हैं, ” बेशक, चमकीला के गाने हमेशा डबल मीनिंग होते थे. उनके गाने कथित अच्छे परिवारों में पसंद नहीं किये जाते थे लेकिन खेत में काम करने वाले किसानों और ट्रक चलाने वाले सरीखे लोगों के बीच उनकी काफी लोकप्रियता थी. ये लोग बैठ कर उनके गाने सुनते थे और खूब पसंद करते थे.”

 

मनदीप सिंह कहते हैं,

 

“आज भी देश-विदेश में युवाओं की बीच उनके गाने काफी लोकप्रिय हैं. कुलदीप माणक और अमर सिंह चमकीला के गाने लोगों की गाड़ियों में बजते हैं लेकिन अगर चमकीला की शैली पर बात करें तो वह एकदम ठेठ गाने गाते थे. उनके गानों में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता था जो पिंड (गांव) में या घरों में बोले जाते थे.”

यह सवाल पूछने पर कि अमर सिंह चमकीला के गानों की लोगों ने आलोचना की और उनके गानों को अश्लील बताया इसपर उनकी पत्नी गुरमिल कौर ने एक लाइन में जवाब दिया, “मुझे तो उनके हर गाने ही बढ़िया लगते थे, मैं सब पर झूमती थी.”

 

वहीं अमर सिंह और गुरमिल कौर की पहली बेटी अमनदीप कौर ने  एक इंटरव्यू मे कहा, “आज भी कई लोग ऐसे हैं जो डैडी को अच्छा नहीं मानते हैं लेकिन इससे कई गुना ज्यादा ऐसे लोग हैं जो आज भी उनके गानों पर झूमते हैं, उन्हें प्यार करते हैं और याद भी करते हैं. इन लोगों के लिए डैडी रब जैसे हैं. अश्लील गानों को लेकर तब डैडी ने कहा था कि वह इन गानों को नहीं गाएंगे लेकिन लोगों के प्रेशर के बाद उन्होंने फिर से ऐसे गाने गाना शुरू कर दिए. वे गाते थे क्योंकि लोगों को यही पसंद था.”

अश्लीलता के आरोप पर अमनदीप कौर ने जवाब में अमर सिंह चमकीला के धार्मिक गीतों, ‘सरहंद दी दीवार’, ‘बाबा तेरा ननकाना’ और ‘तलवार में कलगीधर दी हां’ का हवाला देते हुए कहा कि ये गाने सुपरहिट हैं.

अमनदीप कहती हैं कि ये ऐसे गाने हैं जो आज भी गुरूद्वारों में बजते हैं जिसे सुन कर लोगों के मन को शांति मिलती है.

 

चमकीला की पत्नी गुरमिल कौर ने बातचीत के दौरान अमर सिंह का लिखा गाना ‘कि जोर गरीबा दां’ गाने का भी जिक्र किया. गुरमिल कौर हंसते हुए कहती है, “ऐसा लगता है कि यह गाना उन्होंने (अमर सिंह चमकीला) मेरे लिए ही लिखा है.”

 

गाने के बोल हैं:-

 

की जोर गरीबा दां, मारी झिड़क सोणेया मुड़ गये

 

साडी कक्खां दी कुल्ली

 

तेरे हथ वड्डेयां घरां नाल जुड़ गये

 

तार फिर गयी सीने वे…

 

इस गाने का हिंदी तर्जुमा है:

 

गरीब का कोई बस नहीं चलता

 

किसी ने जरा से डांटा तो वापस चले गए

 

हमारी गरीबों की झोपड़ी है

 

तेरे हाथ बड़े घर से जुड़ गए

 

सीने में तलवार की तरह

 

दर्द चुभा फिर भी हंसते हुए

 

यही बात कही कि शादी

 

करने के बाद भी मिलते रहना…

 

गुरमिल कौर मानती हैं कि ये गाना अमर सिंह चमकीला ने तब लिखा था जब उनकी शादी अमरजोत कौर से हो गई थी. वह मानती हैं कि चमकीला ने ‘कि जोर गरीबा दां’ गाने के सहारे गुरमिल कौर की भावनाओं को दुनिया के सामने रखा था,

.किस आस में है परिवार?

अमनदीप कौर ने बताती है कि उन्हें इस बात की तकलीफ है कि उनके पिता के इतने नाम और इज्जत के बावजूद आज तक पंजाब सरकार ने उनके नाम की कोई सड़क या किसी चौराहे पर उनकी कोई मूर्ति तक नहीं बनाई है.

 

“जो लोग उन्हें प्यार करते हैं वह घर आकर हमसे शिकायत करते हैं कि 35 साल हो गए आप ने उनके याद में कुछ नहीं बनवाया. हमने सरकार से इस सिलसिले में कई बार विनती की लेकिन सबने हमारी बात टाल दी. हर बार उनसे एक ही जवाब सुनने को मिलता है कि अगले साल कुछ करेंगे.हमें इस बात का बेहद दुख है. हम चाहते हैं उनके नाम का कोई स्मारक हो कि आने वाली पीढ़ी उन्हें याद रखे.”

अमनदीप कौर, अमर सिंह चमकीला की बड़ी बेटी

अमर सिंह और गुरमिल कौर की छोटी बेटी कमलदीप कौर गाने का शौक रखती है. हालांकि उन्हें गायिकी में पिता जितनी कामयाबी नहीं मिली.

 

अमनदीप कौर बताती हैं, “कमल बचपन से ही पापा के गाने गुनगुनाती थी उसे गाने का शौक था लेकिन क्योंकि उसे किसी का कोई फाइनेंशियल सपोर्ट नहीं मिला जिससे उसे गाने के कैसेट तैयार करने और उन्हें बेचने में मदद मिले. यही वजह है कमल की गायकी की मंजिल कभी पूरी नहीं हो सकी.”

अमर सिंह चमकीला की हत्या को लेकर कई थ्योरी हैं.

 

मौत की वजह पर बात करते हुए फिल्म इतिहासकार मनदीप सिंह सिद्धू कहते हैं, “उस वक्त चमकीला का शख्सियत इतनी बड़ी हो गयी थी कि इस इंडस्ट्री के बड़े-बड़े कलाकारों के सिंहासन हिलने लग गए थे. इन लोगों को चमकीला के लगातार बढ़ते मकबूलियत से चिंता होने लगी थी. लोगों को चमकीला से परेशानी होने लगी. वे सोचने लगे की हमारे सामने इंडस्ट्री में आया कलाकार हमसे आगे निकल गया. बेशक चमकीला ने कमाल के गाने गाए थे. उन्होंने लीक से हटकर काम किया था.”

 

अमर सिंह चमकीला के मौत का दूसरा एंगल ‘ऑनर किलिंग’ था. कई लोगों का मानना है कि उन्हें कथित ऊंची जाति की लड़की से शादी करने की सजा मिली थी. स्टेज पर उनकी साथी और दूसरी पत्नी अमरजोत कौर चमकीला के टक्कर की सिंगर थी. इसके साथ ही वह कथित ऊंची जाति से ताल्लुक रखती थीं. वहीं चमकीला दलित परिवार से थे. दोनों का एक साथ आना लोगों के आखों में चुभने लगा था और वह दो समाज के अंतर पर घात कर रहे रिश्ते को खत्म कर देना चाहते थे.

 

हालांकि एक वर्ग ये भी मानता है कि अमर सिंह चमकीला के गाने खालिस्तान समर्थकों पर सीधे-सीधे चोट करते थे इस वजह से भी उनकी हत्या कर दी गई।

अब तक नहीं सुलझी हत्या की गुत्थी

पंजाब के जालंधर के मेहसमपुर में 8 मई 1988 को अमर सिंह चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत कौर को दोपहर का शो करना था. इस दिन अमर सिंह और अमरजोत समेत 2 और लोगों को तीन अज्ञात मोटरसाइकिल सवार ने गोली मार दी. सबसे हैरत कि बात ये है कि इतने मशहूर सिंगर के हत्या के बाद कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई, ना तो परिवार का कोई सदस्य थाने गया और ना ही पुलिस ने स्वत: संज्ञान लिया. हालांकि कुछ वक्त बाद जब मामला शहर के बाहर फैलने लगा तो पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज कर ली लेकिन इसमें आजतक किसी अपराधी का नाम सामने नहीं आया, ना ही अपराध का कारण सामने आया.

 

 

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