अपराधियों से दो कदम नहीं, बल्कि दो पीढ़ी आगे रहना होगा ; अमित शाह ने क्यों कहा ऐसा

फोटो- गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) में मंगलवार को ‘बिहेवियरल फोरेंसिक’ पर सेमिनार में संबोधित करते केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह।

 

गांधीनगर, BNM News।  केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मंगलवार को कहा कि अगले पांच वर्षों में देश की आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया में सबसे आधुनिक होगी। अपराधियों का डाटा आनलाइन कर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से उनको पकड़ा जा सकेगा। शाह ने कहा कि पुलिस को अपराधियों से दो कदम नहीं, बल्कि दो पीढ़ी आगे रहना होगा। गुजरात के कानून मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि विज्ञानी एवं तकनीक एक दूसरे के पूरक बनेंगे तो देश अधिक सुरक्षित बनेगा।

भारत में होगी दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली

 

गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) में ‘बिहेवियरल फोरेंसिक’ पर सेमिनार में शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने 10 वर्षों में विविध क्षेत्रों में 50 से अधिक परिवर्तनकारी निर्णय लिए हैं। भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली अब नए युग में प्रवेश कर रही है। केंद्र सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के 150 आपराधिक कानूनों को बदला है। न्यायिक प्रणाली को मजबूत करने के लिए अभी तक एनएफएसयू के नौ कैंपस खोले गए हैं और नौ अन्य कैंपस स्थापित किए जा रहे हैं। एक कैंपस युगांडा में भी खोला गया है। शाह ने कहा कि नशीले पदार्थों, यौन एवं बाल अपराधों का आनलाइन डाटाबेस बना लिया गया है और पिछले 25 वर्षों के आतंकवाद के मामलों को आनलाइन उपलब्ध कराया गया है।

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एआइ जैसी नई तकनीकों से पैदा हुए हाइब्रिड एवं बहुआयामी खतरे भी चुनौती

 

उन्होंने कहा, ‘हम सभी प्रकार के डाटा का विश्लेषण करने के लिए एआइ का इस्तेमाल करके एक साफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं। मैंने यह संसद में भी कहा है कि पूरी प्रणाली इन तीन कानूनों (नए आपराधिक कानूनों) के आधार पर चलेगी।’ शाह ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के आइपीसी, सीआरपीसी एवं साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर नए कानून अमल में लाए हैं जो भविष्य में अपराधियों को अपराध करने से रोकेंगे, साथ ही फोरेंसिक साइंस की मदद से अपराधों की जांच में तेजी आएगी और सजा भी त्वरित हो सकेगी। सरकार तकनीक के इस्तेमाल से पुलिस प्रणाली के आधुनिकीकरण की बड़ी चुनौती पर भी काम कर रही है, इस दौरान उसके बुनियादी ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। एआइ जैसी नई तकनीकों से पैदा हुए हाइब्रिड एवं बहुआयामी खतरे भी चुनौती हैं और उनकी पहचान करने व अपने सिस्टम्स को बचाने के लिए नेटवर्क बनाने की जरूरत है। शाह ने बताया कि केंद्र ने प्रतिवर्ष 9,000 से अधिक साइंटिफिक आफिसर्स एवं फोरेंसिक साइंस आफिसर्स की जरूरत को पूरा करने के लिए कदम उठाए हैं।

अपराधों की रोकथाम के लिए डीएनए एनालिसिस जरूरी

 

गुजरात के कानून मंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीक और साइबर सिक्यूरिटी से देश की आंतरिक सुरक्षा मजबूत बनी है। इसका सबसे बढ़िया उदाहरण अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह रहा जो पूरी तरह सुरक्षित माहौल में बिना किसी अवांछित घटना के संपन्न हो गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि मानवाधिकारों के संरक्षण में फोरेंसिक सांइस एंड बिहेवियरल फोरेंसिक काफी महती भूमिका निभाएंगे। अपराधों की रोकथाम के लिए डीएनए एनालिसिस जरूरी है और इसमें भी फोरेंसिक साइंस बड़ी भूमिका निभाएगी।

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