इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट में अंशुल कंबोज की एंट्री: करनाल में जश्न का माहौल; तेज गेंदबाज अर्शदीप-आकाशदीप के अनफिट होने से मिला मौका

मैनचेस्टर : Anshul Kamboj: बुधवार को मैनचेस्टर में इंग्लैंड के विरुद्ध चौथे टेस्ट मैच में हरियाणा के युवा तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज ने पदार्पण किया। अंशुल को आकाश दीप की जगह टीम में शामिल किया गया और वह भारत की ओर से टेस्ट पदार्पण करने वाले 318वें क्रिकेटर बने। मौजूदा समय में जहां भारतीय गेंदबाजों के कार्यभार प्रबंधन को लेकर काफी चिंता रहती है और हमारे तेज गेंदबाज लगातार चोटिल होते रहते हैं, वहीं अंशुल एक ऐसे गेंदबाज हैं जो बिना थके दिन में 25 से ज्यादा ओवर गेंदबाजी कर सकते हैं। अंशुल की एक और बात उन्हें विशेष बनाती है कि वह लगातार एक ही जगह पर लंबे समय तक टिप्पा डालकर गेंदबाजी कर सकते हैं। जैसे ही अंशुल के चयन की खबर सामने आई, पूरे करनाल में जश्न का माहौल बन गया।
हरियाणा क्रिकेट में खुशी का माहौल
अंशुल के अंतिम एकादश में चुने जाने से हरियाणा क्रिकेट में खुशी का माहौल है। हरियाणा रणजी टीम के कप्तान अशोक मनेरिया ने कहा कि मैं अंशुल को पिछले ढाई वर्ष से जानता हूं। वह बहुत ही सौम्य स्वभाव का लड़का है। मैं कहूंगा कि वह बेहद क्यूट लड़का है। उसकी कदकाठी बड़ी है, लेकिन जब आप उससे बात करोगे तो लगेगा कि यह तो छोटा बच्चा है। मनेरिया ने कहा कि जहां तक अंशुल की स्किल्स की बात करूं तो मेरी ढाई साल पहले अनिरुद्ध सर (हरियाणा क्रिकेट संघ के पूर्व प्रमुख) से बात हुई तब उन्होंने कहा था कि अंशुल टेस्ट क्रिकेट खेलेगा और तब कोई चांस भी नहीं था। उसने अपनी गेंदबाजी पर बहुत काम किया है। क्रिकेट में 140-150 प्रति किलोमीटर घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले बहुत गेंदबाज मिलेंगे, लेकिन ये ऐसा गेंदबाज है जो क्रिकेट की भाषा में बहुत हैवी गेंद फेंकता है। हैवी गेंद का मतलब जब बल्लेबाज खेल रहा होता है तो उसके हाथों को महसूस होता है कि गेंद बहुत जोर से बल्ले पर लगी है। ये क्वालिटी बेहद ही कम गेंदबाजों में होती है।
गेंदबाजी में गलतियां नहीं करता
दूसरा अंशुल का एक्शन बहुत अच्छा है, जिसके कारण वह चाहकर भी गेंदबाजी में गलतियां नहीं कर सकता। वह बहुत ही अनुशासन से गेंदबाजी करता है। वह एक जगह ही गेंद फेंकता है, जो उसे विशेष बनाता है। तीसरा, उसको आप जितनी भी गेंदबाजी कराओ, उसे कुछ नहीं होगा। सुबह नौ बजे वह जैसी गेंदबाजी करेगा वैसी ही शाम को पांच बजे भी करता दिखेगा। दिन में वह आपको 25-25 ओवर करके दे सकता है और कभी भी आपको वर्कलोड को लेकर शिकायत नहीं करेगा। जब मैं कप्तानी करता हूं और विकेट नहीं मिलता है तो मैं खुद अंशुल की ओर देखता हूं कि भाई विकेट लेकर दो। ये उसकी कमाल की बात है।
रन भी कम देता है और विकेट भी लेता है
हरियाणा रणजी टीम का होम ग्राउंड लाहली है और इस पर गेंदबाजी करने को लेकर मनेरिया ने कहा कि यहां की पिच काफी तेज मानी जाती है लेकिन यहां तेज गेंदबाजों पर अलग ही दबाव होता है। जैसे हमने रणजी में 120 रन का लक्ष्य दिया क्योंकि यहां पर बल्लेबाजी में मुश्किल होती है। अब हमें उस मैच को जीतना है तो हम अंशुल को बोलते हैं कि तुम्हें इतने ही रन में हमें जिताना होगा। उस दबाव में वह गेंदबाजी करता है। वह रन भी कम देता है और विकेट भी लेता है। जब हम अन्य स्थानों पर जाते हैं तब भी वह वैसी ही गेंदबाजी कर रहा होता है जैसे लाहली में करता है। वह एक ऐसा गेंदबाज है जिसके सामने परिस्थितियां कैसी भी हों, वह कुछ न कुछ अपने हिसाब से जगह बना लेता है।
इंग्लैंड के बैजबाल क्रिकेट और यहां की परिस्थितियों में अंशुल की गेंदबाजी को लेकर मनेरिया ने कहा कि जीवन और क्रिकेट में नींव हमेशा ही महत्वपूर्ण होती है। जो गुडलेंथ गेंद है, वह दुनिया का कोई भी मैदान हो वहां काम करती ही है। अगर किसी को लगता है कि बैजबाल खेलकर वह बच जाएंगे तो ऐसा नहीं होगा। पिछले मैच में ही उन्होंने खुद बहुत धीमा क्रिकेट खेला है। अगर वह अंशुल के सामने बैजबाल शैली अपनाते हैं तो वहां करनाल का यह गेंदबाज और कामयाब होगा क्योंकि यह उसका एरिया है। मैं तो चाहता हूं कि इंग्लिश बल्लेबाज अंशुल के सामने बैजबाल खेलें और जिससे उसको ज्यादा सफलता मिले।
फिटनेस पर काफी काम किया
मनेरिया ने कहा कि मुझे बहुत गर्व होता है कि अंशुल भारत के लिए खेल रहा है क्योंकि मुझे कभी लगा ही नहीं था कि वह इतनी जल्दी खेलेगा। उसने हरियाणा को विजय हजारे ट्राफी जिताई, वह छोटे से परिवार से आता है। वह बहुत मोटा था पहले, फिर उसने अपनी फिट किया। ये उसके लिए भी बहुत गर्व की बात है। एक मोटा लड़का जिसे लोग चिढ़ाते थे, आज देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेल रहा है। उसने खुद कि फिटनेस पर काफी काम किया।
वहीं हरियाणा क्रिकेट संघ के कोचिंग निदेशक अश्विनी ने जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि अंडर-19 से ही अंशुल लाइन लेंथ से गेंदबाजी करता था। अंशुल ने कभी भी कोई ट्रेनिंग प्रोग्राम मिस नहीं किया। बहुत ही अनुशासित था इसलिए वह इंजरी से भी बचकर रहा। जिस समय जो करना होता है, वह उसे उसी समय करता है।
बेटे की कामयाबी पर भावुक हुआ परिवार
अंशुल के चयन की खबर मिलते ही परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके पिता ने कहा कि बेटे की मेहनत रंग लाई है। उन्होंने कहा कि वह रोजाना खेतों में काम करते थे और बेटे को क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए शहर भेजते थे। कोच सतीश राणा का कहना है कि अंशुल हर मायने में एक कंप्लीट ऑलराउंडर हैं, जो बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में टीम के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।