कर्नाटक में 30 सालों बाद राम मंदिर आंदोलन मामले में गिरफ्तारी, जानें क्या है मामला

बेंगलुरु, एजेंसी : अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख नजदीक आने के बीच कर्नाटक पुलिस के राम मंदिर आंदोलन के तीन दशक पुराने मामले में एक कार्यकर्ता को गिरफ्तार करने का मामला सामने आया है। इस आंदोलन में उसके खिलाफ संपत्ति नष्ट करने और कई अन्य मामले दर्ज किए गए है। इसी तर्ज पर हुबली में पुलिस ने तीन सौ आरोपितों की एक सूची तैयार की है।

कांग्रेस सरकार के निर्देश पुलिस ने ऐसे 300 आरोपितों की बनाई सूची

 

सूत्रों का कहना है कि तीन पहले दशक 1992 में जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था, तब के हिंसा और सांप्रदायिक दंगों के मामले कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के शासनकाल में फिर से खोले जा रहे हैं। पुलिस ने एक विशेष जांच दल का गठन करके ऐसे मामलों में शामिल रहे करीब 300 आरोपितों के नामों की सूची तैयार कर ली है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान वर्ष 1992 से 1996 के बीच की हिंसा और सांप्रदायिक दंगों के आरोप में करीब तीन सौ आरोपितों के नामों की एक सूची तैयार की है। 5 दिसंबर, 1992 को हुबली में एक अल्पसंख्यक की दुकान जलाने के आरोप में पुलिस ने श्रीकांत पुजारी नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। पुजारी इस मामले में तीसरा आरोपित है, जिसे पुलिस ने न्यायिक हिरासत में भेजा है।

राम जन्मभूमि आंदोलन का हिस्सा रहे कई लोग आज बड़े भाजपा नेता

 

अब पुलिस को इसी मामले में आरोपित अन्य 8 लोगों की तलाश है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि अन्य में से ज्यादातर आरोपित अब 75 साल से ऊपर के हैं। इनमें से कई बहुत पहले शहर के बाहर जाकर बस चुके हैं। इनमें से कई आरोपित तब बड़े ऊंचे ओहदों पर है। पुलिस उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के नतीजों पर भी पसोपेश में है।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने पुलिस विभाग को दिशा-निर्देश दिए हैं कि राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल रहे लोगों के नाम इस मामले में फिर से जांच के दायरे में लाएं जाएं, जिन्हें भाजपा के सत्ता में रहते हुए मामले में आरोपमुक्त कर दिया गया था। राम जन्मभूमि आंदोलन का हिस्सा रहे कई लोग आज बड़े भाजपा नेता हैं। लिहाजा, कांग्रेस सरकार के इस कदम के खिलाफ हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। नए घटनाक्रम से राज्य में एक बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है।

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