Ayodhya Ram Mandir: कब तक भव्यता के सर्वोच्च शिखर पर होगा अयोध्या का श्रीराम मंदिर, जानें पूरा लेखा-जोखा

अयोध्या, BNM News : Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के नवनिर्मित श्रीराम मंदिर के भूतल पर रामलला की स्थापना के साथ आस्था का सूर्य तो शिखर पर जा पहुंचा, किंतु स्थापत्य का स्वर्ण शिखर इस वर्ष के अंत तक स्थापित होगा। अभी मंदिर का भूतल ही निर्मित हुआ है। पूर्ण होने पर राम मंदिर तीन तल का होगा। भूतल में प्रयुक्त 166 स्तंभों सहित राम मंदिर के तीनों तलों में 392 स्तंभ प्रयुक्त होने हैं। इनमें से 144 प्रथम तल में तथा 82 स्तंभ दूसरे तल में प्रयुक्त होंगे। स्तंभों की संख्या ही नहीं, उनकी निर्माण शैली, कलात्मकता एवं विशालता भी राम मंदिर की भव्यता बढ़ाने वाली है। 14 फीट छह इंच ऊंचे ये स्तंभ करीब आठ फीट परिधि के हैं और प्रत्येक भारतीय कला के विधान के अनुरूप यक्ष-यक्षिणियों तथा नागकन्याओं आदि की 16-16 मूर्तियों से युक्त हैं। स्तंभ तो राम मंदिर की भव्यता के एक आयाम भर हैं। राम मंदिर 161 फीट ऊंचे मुख्य शिखर सहित पांच उपशिखरों से भी युक्त होगा। कुछ उपशिखर आकार भी ले रहे हैं। नृत्य मंडप, रंग मंडप, भजन मंडप एवं प्रार्थना मंडप के उपशिखर का निर्माण इसी वर्ष के मध्य तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य है।

मुख्य शिखर का निर्माण वर्ष के अंत तक

गर्भगृह के निकटतम गूढ़ मंडप का उपशिखर और गर्भगृह के ऊपर प्रस्तावित 161 फीट ऊंचे मुख्य शिखर का निर्माण वर्ष के अंत तक पूरा होना है। अभी परकोटा का भी निर्माण पूरा होना शेष है। 500 मीटर लंबा चौकोर परकोटा अभी एक ही दिशा में 100 मीटर लंबाई तक बनाया जा सका है। परकोटा निर्माण के बाद मंदिर की अति भव्यता की सहज परिकल्पना की जा सकती है। परकोटा गणपति, शिव, सूर्य, देवी दुर्गा, हनुमान जी और अन्नपूर्णा माता के भी मंदिर से युक्त होगा।

दिसंबर 2025 तक पूरा होगा निर्माण का अभियान

यह तो रही राम मंदिर परिसर की बात। रामजन्मभूमि परिसर की शेष 65 एकड़ भूमि अति सुरुचिपूर्ण, समृद्ध और सुविचारित सांस्कृतिक उपनगरी के रूप में विकसित की जानी है। निर्माण का यह अभियान दिसंबर 2025 तक पूरा किया जाना है। इसमें यज्ञशाला, अनुष्ठान मंडप, सत्संग भवन, भक्ति टीला (ध्यान स्थल), तुलसी नाम से मुक्ताकाशी मंच, कौशल्या वात्सल्य मंडप के रूप में श्रीराम की बाल लीला पर केंद्रित झांकियों का परिसर, रामाश्रयम के नाम से बहुतलीय धर्मशाला एवं विश्रामालय, भरत प्रसाद मंडप, लक्ष्मण वाटिका, सीता रसोई के रूप में विशाल अन्न क्षेत्र, पुष्प वाटिका, नक्षत्र वाटिका आदि विकसित किए जाने के साथ महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज तथा जटायु के मंदिर की स्थापना होनी है। कुबेर टीला पर जटायु का मंदिर स्थापित भी हो गया है। अब रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट परकोटा और परिसर के निर्माण की ओर ध्यान केंद्रित करेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि के अनुसार रामलला के विग्रह की प्रतिष्ठा तो हो गई, किंतु मंदिर निर्माण का कार्य अभी चल रहा है। निर्धारित निर्माण योजना पूर्ण करने को लेकर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

 

 

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