Bharat Ratna: लोकसभा चुनाव से पहले पांच हस्तियों को दिया गया भारत रत्न, जानें बीजेपी ने साधे कौन से सियासी समीकरण

नई दिल्ली, BNM News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट करके तीन हस्तियों को भारत रत्न दिए जाने का एलान किया। इनमें किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन शामिल हैं। इससे पहले 23 जनवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और 3 फरवरी को देश के पूर्व-उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने का एलान हो चुका है।

लोकसभा चुनावों के माहौल में भारत रत्न के लिए इन शख्सियतों के चुनाव के पीछे की वजहें भी खंगाली जाने लगी है। सच भी है कि सियासत में अक्सर हर कदम बहुत दूर की सोचकर उठाया जाता है। पीएम मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी, कर्पूरी ठाकुर और चौधरी चरण सिंह के जरिए उत्तर भारत को साधा है तो दो महान शख्सियतों नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन के जरिए दक्षिण को भी बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि मोदी सरकार ने पांच प्रमुख हस्तियों को भारत रत्न देने के ऐलान से कौन-कौन से सियासी समीकरण साधने की कोशिश की है…

चौधरी चरण सिंह, एमएस स्वामीनाथन और पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न

चौधरी चरण सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री)

 

चौधरी चरण सिंह की किसानों के मसीहा के रूप में पहचान रही है। अगले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के जाट बहुल सीटों पर चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने का असर पड़ सकता है। इन इलाकों की करीब 40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जाट मतदाताओं का असर माना जाता है। जाटों सहित किसान, यूपी में एक महत्वपूर्ण वोटर बेस हैं, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत की लोकसभा सीटों पर ये जीत-हार का निर्णय करने की स्थिति में हैं।

चौधरी चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी की भाजपा के साथ जाने की अटकलें पिछले कई दिनों से लग रही हैं। चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के बाद जयंत ने ट्वीट किया, ‘दिल जीत लिया।’ जयंत चौधरी अगर भाजपा के साथ जाते हैं तो पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा को काफी फायदा हो सकता है।

 

पीवी नरसिम्हा राव (पूर्व प्रधानमंत्री)

 

विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की हमेशा आलोचना करते हैं और कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों के प्रति उनका रवैया आलोचनात्मक है। अगले ही दिन नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का एलान हो गया। नरसिम्हा राव को मरणोपरांत भारत रत्न देने का एलान विपक्ष को करारा जवाब इसलिए भी है, क्योंकि भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस ने बतौर प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के योगदान को हमेशा नजरअंदाज किया। यहां तक कि मोदी के कट्टर आलोचक मणिशंकर अय्यर ने तो एक बार नरसिम्हा राव को भाजपा का पहला प्रधानमंत्री तक करार दे दिया था। उनका प्रत्यक्ष प्रभाव किसी विशिष्ट जाति या समुदाय पर ध्यान केंद्रित किए बिना तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक गहराई से महसूस किया जाता है। खासकर नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने के फैसले से कांग्रेस के लिए बड़ी उलझन की स्थिति पैदा हो गई। गांधी परिवार का नरसिम्हा राव से छत्तीस का आंकड़ा रहा लेकिन आज की बदली परिस्थितियों में वह राव पर बचाव की मुद्रा में आ गई है।

एमएस स्वामीनाथन (कृषि क्रांति के जनक)

 

स्वामीनाथन की बतौर वैज्ञानिक उनकी बेमिसाल उपलब्धियां रही हैं। इसके अलावा उनकी शख्सियत दक्षिण भारत के प्रतिभावान लोगों का भी प्रतिनिधित्व करती रही है। स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न देने से दक्षिण को साधने की मोदी सरकार की रणनीति को और मजबूती मिल सकती है। स्वामीनाथन कृषि क्रांति के जनक थे। उन्हें भारत रत्न देने से दक्षिण के साथ ही भाजपा की किसानों को साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा किसान हैं। स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के फैसले का देशभर के किसान स्वागत करेंगे। अब भाजपा यह दावा कर सकेगी कि उसकी सरकार का किसानों की जीवन में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।

लालकृष्ण आडवाणी (पूर्व उप प्रधानमंत्री)

 

लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के कद्दावर नेता और राम मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे हैं। 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आडवाणी को भारत रत्न देकर भाजपा ने अपने मतदाताओं को एक तरह से संदेश दिया। इससे राष्ट्रवाद और हिंदुत्व में यकीन रखने वाले बड़े वर्ग पर पड़ेगा। भाजपा पर मंदिर आदोलन के बड़े चेहरों में शामिल आडवाणी की उपेक्षा के आरोप लग रहे थे। जब मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई तब भी यह मुद्दा विपक्ष ने उठाया। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के 10 दिन के अंदर आडवाणी को भारत रत्न देकर भाजपा ने विपक्ष से यह मुद्दा छीन लिया। इसके साथ ही उसने अपने परंपरागत मतदाताओं को भी यह संदेश दिया कि वह अपने वरिष्ठ नेताओं का कितना सम्मान करती है।

कर्पूरी ठाकुर (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री)

इस साल सबसे पहले जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की गई। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सामाजिक न्याय के नायक थे। जानकारों का कहना है कि केंद्र के इस कदम से आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मदद मिल सकती है। बिहार में 27 प्रतिशत पिछड़ा और 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी है। कुल मिलाकर 63% की भागीदारी वाले समाज पर कर्पूरी ठाकुर का बहुत बड़ा प्रभाव है। यह वर्ग उन्हें अपने नायक के तौर पर देखता है।

कर्पूरी को भारत रत्न मिलने के आठ दिन बाद ही भाजपा और जदयू एक बार फिर साथ आ गए। चिराग पासवान, पशुपति कुमार और जीतन राम मांझी की पार्टियां पहले से एनडीए की साझेदार थीं। ऐसे में नए सियासी समीकरणों आधार पर बिहार में भाजपा खुद को काफी मजबूत मान रही है। सीएम नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में आने और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के संयुक्त प्रभाव का आकलन करें तो ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार में एक बड़े मतदाता वर्ग पर पासा फेंक दिया है। कहा जा रहा है कि कर्पूरी को भारत रत्न देकर भाजपा ने बिहार के सियासी समीकरण को साधने का काम किया है। अब पार्टी के वरिष्ठ नेता आने वाले चुनाव में राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटें जीतने का दावा करने लगे हैं।

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