हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, हरियाणा में सामाजिक-आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों में नहीं मिलेगा अतिरिक्त नंबरों का लाभ

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में हरियाणा सरकार को झटका देते हुए सामाजिक व आर्थिक आधार पर गरीब युवाओं को सरकारी नौकरियों में 5 से 10 अंकों का लाभ देने के फैसले तथा अधिसूचना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का विशेष प्रविधान करना संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 16 में दिए गए समानता के अधिकार के खिलाफ है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के वर्ग 1, 2, 56 व 57 के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की जाएगी और नये सिरे से मेरिट बनेगी, जबकि तृतीय श्रेणी के 20 ग्रुप, जिनमें नियुक्तियां दी जा चुकी हैं, उनके लिए भी दोबारा परीक्षा आयोजित की जाएगी।

असिस्टेंट इंजीनियरों की भर्ती में दी गई थी चुनौती

सरकारी नौकरियों में आर्थिक व सामाजिक आधार पर दिए जाने वाले अंकों को एक प्रकार से आरक्षण बताते हुए सबसे पहले जनवरी 2023 में असिस्टेंट इंजीनियरों की भर्ती में इसे लागू करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने अंकों का लाभ देने पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर दिया था। इसके बाद लगातार जो भी भर्ती निकली, उसमें अर्पित गहलावत मामले का हवाला देते हुए इन अंकों का लाभ देने पर रोक लगाने की मांग की गई और उनमें भी लाभ पर रोक लगा दी गई।

कुल 82 याचिकाओं का निपटारा

सामाजिक एवं आर्थिक आधार पर अंकों का लाभ देने के खिलाफ याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलील यह थी कि इस प्रकार किसी को अंकों का लाभ देना बाकी लोगों को मेरिट में ऊंचा होने के बावजूद भर्ती से बाहर करने जैसा होगा। साथ ही यह एक प्रकार से आरक्षण देना है और हरियाणा में पहले से ही विभिन्न वर्गों को आरक्षण देने का प्रविधान है। यदि इसे आरक्षण माना जाए तो कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाता है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट में ग्रुप सी, डी व टीजीटी भर्ती में आर्थिक व सामाजिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचाराधीन थी। इसके साथ ही संयुक्त पात्रता परीक्षा (सीईटी) की परीक्षा को लेकर सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की अपील भी हाई कोर्ट में विचाराधीन थी। कुल 82 याचिकाओं का हाईकोर्ट ने एक साथ निपटारा कर दिया है।

हाई कोर्ट के फैसले के मद्देनजर इन तथ्यों पर भी डालें निगाह

– हरियाणा में अभी तक करीब 1.50 लाख सरकारी भर्तियां हो चुकी हैं
– प्रदेश सरकार ने अभी तक जितनी भी भर्तियां की हैं, उनमें सामाजिक आर्थिक आधार के तहत लाभ के दायरे में आने वाले लाभार्थियों को अलग यानी बाहर निकालकर ही रिजल्ट तैयार हुए हैं
– यदि हाई कोर्ट का फैसला विपरीत भी आता है तो पहले से भर्ती हो चुके युवाओं पर कोई विपरीत असर पड़ने की संभावना नहीं है
– यदि हाई कोर्ट का फैसला सामाजिक आर्थिक आधार पर अंक प्राप्त करने वाले युवाओं के हक में नहीं है तो उन्हें नये सिरे से नौकरियों के लिए आवेदन-प्रयास करने होंगे
– ऐसे तृतीय व चतुर्थ श्रेणी तथा टीजीटी के युवाओं की संख्या करीब 60 हजार है
– हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को इन सभी युवाओं के भविष्य की चिंता करते हुए कोर्ट में रिव्यू पीटीशन दाखिल करने की संभावनाएं तलाश करने को कहा गया है।

 

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