Bihar News: रुपये लेकर दलाल करा रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ, जानें किस तरह से हो रहा सौदा
दरभंगा, बीएनएम न्यूज। देश में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ सुनियोजित तरीके से हो रही है। इसके लिए बांग्लादेश सीमा पर दोनों ओर से दलाल सक्रिय हैं। वे भारत में सुरक्षित पनाह दिलाने से लेकर फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने में भी मदद करते हैं। उत्तर बिहार से लगती नेपाल सीमा से इस वर्ष अब तक पकड़े गए पांच रोहिंग्या और तीन बांग्लादेशियों से पूछताछ में ऐसी ही जानकारी मिली है। पुलिस अब इनके दलालों का नेटवर्क खंगालने में जुटी है। सुरक्षा एजेंसियां भी सक्रिय हैं।
मधुबनी में पकड़ी गई रोहिंग्या महिला से पूछताछ में मिली जानकारी
नेपाल से प्रवेश के दौरान बीते सात अक्टूबर को बिहार में मधुबनी सीमा पर एसएसबी ने रोहिंग्या बेगम ताहिरा को उसके चार बेटों और उसे सीमा पार करा रहे दरभंगा के तीन लोगों को पकड़ा था। पुलिस जांच व पूछताछ में पता चला है कि म्यांमार से लेकर बांग्लादेश व भारत में घुसपैठ कराने वालों का गिरोह सक्रिय है। ताहिरा ने बताया कि वर्ष 2010 में पति की हत्या के बाद पांच वर्षीय पुत्र को ले रोहिंग्या जैबुल हक व दो अन्य दलालों की मदद से पहले बांग्लादेश फिर मिजोरम सीमा से भारत में घुसी। इसके लिए उसने तीनों दलालों को 10-10 हजार रुपये दिए। पहले वे उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर गए। वहां जैबुल के साथ दो साल 2012 तक रही। मुजफ्फरनगर में रोहिंग्या की जांच शुरू हुई तो वह बेटों व जैबुल के साथ दिल्ली पहुंच गई। जहां तीन हजार रुपये देकर स्टेशन के पास बसी झुग्गी-झोपड़ी में रहने लगी।
यहां शरणार्थी कार्ड भी बनवाया
वहां पहले से एक दर्जन से अधिक रोहिंग्या थे। उसने यहां तीन पुत्र को जन्म दिया। जैबुल ने दूसरी रोहिंग्या महिला से शादी कर ली तो वह उससे अलग हो गई। इसी बीच इस्लामी संघ नेपाल के दो सदस्यों के संपर्क में आई। दोनों ने 12-12 हजार लेकर 2015 में उसको बच्चों के साथ जोगबनी बार्डर से नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंचाया। उसकी मदद से उसने शरणार्थी कार्ड भी बनवा लिया।
फर्जी पहचान पत्र, आधार और पैन कार्ड भी बनवाते
ताहिरा ने पूछताछ में बताया कि जैबुल से दोबारा संपर्क में आने व उसके बुलावे पर फिर दिल्ली जाने का निर्णय लिया। काठमांडू में मिले दरभंगा के तीन दलालों मो. नियामत और उसके भाई मो. फर्मुद व मो. कादिर ने 45 हजार में उसे बच्चों के साथ दिल्ली पहुंचाने का भरोसा दिलाया, लेकिन सीमा पर ही पकड़े गए। उसने बताया कि म्यांमार के लोगों का फर्जी पहचान पत्र नेपाल में तैयार कर लिया जाता है। इसमें तस्वीर युक्त नाम-पता के साथ किसी कंपनी का परिचय पत्र, आधार, जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र, मतदाता पहचान पत्र आदि शामिल रहता है।
20 हजार देकर बांग्लादेशी ने की थी घुसपैठ
वहीं, 29 नवंबर को पूर्वी चंपारण के रक्सौल में बांग्लादेशी सैफुल पकड़ा गया था। पूछताछ में उसने भी बताया कि 2018 में दलाल मोहम्मद माजिद को 20 हजार देकर भारत में घुसा था। 17 सितंबर को रक्सौल में बांग्लादेशी श्रबन बरुआ व शिवहर में 10 सितंबर को पकड़ा गया बांग्लादेशी घुसपैठिया नृपेंद्रनाथ बाला के बारे में कुछ ऐसी ही जानकारी सामने आई है।
क्या कहना है पुलिस का
फुलपरास (मधुबनी) के अनुसंधानक सह अवर निरीक्षक निर्मल
राम ने कहा कि म्यांमार की एक महिला को चार नाबालिग पुत्रों और घुसपैठ कराने के आरोप में दरभंगा के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। महिला सहित तीनों आरोपित जेल में हैं। बच्चों को बाल सुधार गृह भेजा गया है। न्यायालय के अंदर आरोपपत्र समर्पित कर दिया गया है, अनुसंधान जारी है।