जाट वोटों को तीन हिस्सों में बांटने की भाजपा की रणनीति ने चौंकाया

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले और विधानसभा चुनाव से करीब छह महीने पहले हरियाणा में दो बड़े दांव चलकर सबको चौंका दिया। पहले दांव में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदलकर प्रदेश अध्यक्ष व ओबीसी चेहरा नायब सिंह सैनी को कुर्सी सौप दी तो दूसरे में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी से से गठब गठबंधन तोड़ने की तरफ कदम बढ़ा दिए। खट्टर की तरह नायब सिंह सैनी भी गैर जाट मुख्यमंत्री बने है। उन्होंने मंगलवार शाम को पद की शपथ ली। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास 41 विधायक है। 10 विधायकों वाली जेजेपी के
अकेले लड़ना ज्यादा फायदेमंद
सूत्रों का कहना है कि जेजेपी सिर्फ दो सीटें चाहती थी। एक सीट पर भी बात बन सकती थी। लेकिन, भाजपा को सर्वे से पता चला कि अकेले लड़ने में ज्यादा फायदा है। खट्टर को सीएम बनाने को जाट समुदाय (25 फीसदी) वर्चस्व पर चोट मानता है। चूंकि हुड्डा परिवार के कारण जाटों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस को वोट करता रहा है। अब इनेलो और जेजेपी भी अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी तो जाटों के वोट तीन टुकड़ों में बटेंगे। इस तरह कुछ सीटों पर जाटों की नाराजगी का कांटा साफ हो सकता है।अलग होने से सरकार पर आंच नहीं आएगी। क्योंकि, 5 अन्य निर्दलीयों ने समर्थन का ऐलान किया है।
जाट वोट बैंक में होगा बिखराव
राज्य की राजनीति में गैर जाट वर्ग को भाजपा का जनाधार माना जाता है। इसके इतर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस, पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल लोकदल और दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी को जाट वर्ग समर्थित पार्टी माना जाता है। ये तीनों ही दल भाजपा के सामने अलग चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो गई है कि भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने से जाट वोट बैंक में बिखराव होगा और भाजपा को फायदा होगा।
गठबंधन टूटने को लेकर कांग्रेस चिंतित
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गठबंधन टूटने को लेकर कांग्रेस भी चिंतित नजर आ रही है। दिल्ली में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तो साफतौर पर कहा कि 2019 में भाजपा-जजपा गठबंधन स्वार्थ की राजनीति पूरा करने के लिए हुआ था। अन्यथा 2019 के चुनाव में जहां भाजपा ने नारा दिया था कि अबकी बार 75 पार, यानी 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 75 से अधिक सीट मिलेंगी। इस राजनीतिक नारे का जजपा ने चुनाव में यह जवाब दिया था कि अबकी बार भाजपा जमना पार, यानी भाजपा कहीं नहीं टिकेगी। 2019 में भाजपा को 90 में से 40 सीट मिली और चुनाव के बाद भाजपा ने जजपा के 10 विधायकों के साथ गठबंधन में सरकार बनाई। अब एक बार फिर इन्होंने गठबंधन तोड़ने का समझौता किया है।
भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्शन