Cash for Query Case: 2005 में भी महुआ की तरह मामले में 11 सांसद हुए थे निष्कासित, जानें क्या हुआ

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। पैसे लेकर सवाल पूछने मामले में शुक्रवार को तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद हो गई है। लोकसभा की आचार कमिटी ने उनकी सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की थी। शुक्रवार को कमिटी की रिपोर्ट पर लोकसभा में चर्चा हुई और संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने टीएमसी सांसद की सदस्यता रद करने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव पास होने के बाद महुआ की संसद सदस्यता रद हो गई। चर्चा के दौरान 2005 के पैसे लेकर सवाल पूछने मामले का भी जिक्र उठा, जब लोकसभा के 10 और राज्यसभा के एक सदस्य को निष्कासित कर दिया गया था। महुआ पर उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से महंगे उपहार के बदले में उनकी तरफ से संसद में सवाल पूछने का आरोप लगा था।

10 लोगों को बिना पक्ष रखे निष्कासित कर दिया गया

संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने 2005 के पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि तब तो 10 सांसदों को बिना उनका पक्ष सुने ही निष्कासित कर दिया गया था। उस मामले में भी उसी दिन संसद में रिपोर्ट पेश की गई थी। जहां तक मैं जानता हूं सोमनाथ चटर्जी ने रिपोर्ट के ऊपर फैसला दे दिया था।

 

सांसदों को करना पड़ा आपराधिक मुकदमे का सामना

2005 में जिस पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में 11 सांसदों को निष्कासित किया गया था, उन्हें आपराधिक मुकदमे का भी सामना करना पड़ा। इनमें से 10 लोकसभा के सदस्य थे और एक राज्यसभा के सांसद थे। उस समय केंद्र सरकार में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए-1 की सरकार थी।

क्या था 2005 का पैसे लेकर सवाल पूछने का मामला

12 दिसंबर 2005 को एक स्टिंग ऑपरेशन से राजनैतिक रूप से भूचाल आ गया था। स्टिंग में 11 सांसदों को दिखाया गया कि वे संसद में सवाल पूछने के बदले पैसे की पेशकश को स्वीकार कर रहे थे। इनमें से 6 बीजेपी के थे, 3 बीएसपी के और आरजेडी और कांग्रेस के 1-1 सांसद थे। ये सांसद थे- प्रदीप गांधी (भाजपा), वाईजी महाजन (भाजपा), अन्ना साहेब एमके पाटिल (भाजपा), चंद्र प्रताप सिंह (भाजपा), राम सेवक सिंह (कांग्रेस), नरेंद्र कुमार कुशवाहा (बसपा), छत्रपाल सिंह लोढ़ा (भाजपा), सुरेश चंदेल (भाजपा), मनोज कुमार (आरजेडी), लाल चंद्र कोल (बसपा) और राजा राम पाल (बसपा)। स्टिंग में सबसे ज्यादा कैश 1,10,000 रुपये आरजेडी के सांसद मनोज कुमार को पेश की गई थी।

 

प्रणब मुखर्जी ने रखा था सांसदों के निष्कासन का प्रस्ताव

24 दिसंबर 2005 को संसद में वोटिंग के जरिए आरोपी सभी 11 सांसदों को निष्कासित कर दिया गया। लोकसभा में प्रणब मुखर्जी ने 10 सांसदों के निष्कासन का प्रस्ताव रखा था, जबकि राज्यसभा में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने एक सांसद को निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा था। वोटिंग के दौरान भाजपा वॉकआउट कर गई थी। पार्टी के सीनियर लीडर और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सांसदों ने जो कुछ किया वह भ्रष्टाचार कम, मूर्खता ज्यादा है। इसके लिए निष्कासन कठोर सजा होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासन को सही ठहराया

जनवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सांसदों के निष्कासन के फैसले को सही ठहराया था। उसी साल दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश में दिल्ली पुलिस ने इस मामले में केस भी दर्ज किया था। न्यूज पोर्टल के दो पत्रकारों के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल हुई।

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