महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता निरस्त करने की सिफारिश, जानिए अब आगे क्या होगा
नई दिल्ली, एजेंसीः लोकसभा की आचार समिति ने पैसे लेकर प्रश्न पूछने के आरोप में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता निरस्त करने की सिफारिश की है। छह-चार के बहुमत से समिति में स्वीकार की गई रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए लोकसभा अध्यक्ष के पास भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन चार दिसंबर को इस बाबत सदन में प्रस्ताव आएगा और मोइत्रा की सदस्यता रद कर दी जाएगी। इसके पहले
वर्ष 2005 में पैसे के लेकर प्रश्न पूछने के आरोप में 11 सांसदों की सदस्यता जा चुकी है। महुआ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह कंगारू कोर्ट का पूर्व निर्धारित मैच था। अगर वे मुझे निष्कासित करते हैं तो मैं अगली लोकसभा में बड़े जनादेश से वापस आऊंगी।’
सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दियाः निशिकांत
पैसे लेकर प्रश्न पूछने के आरोप जितने गंभीर हैं, कार्रवाई की अनुशंसा भी उतनी तेजी से आई। भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे की औपचारिक शिकायत के 25 दिनों के अंदर समिति ने सिफारिश दे दी। कई दौर की बैठक हो चुकी थीं जिसमें सभी संबंधित पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दिया। 479 पन्नों की रिपोर्ट में उन सभी के बयानों को शामिल किया गया है।
गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की जांच रिपोर्टें भी शामिल
गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की जांच रिपोर्टें भी इसमें शामिल की गई हैं जिसमें कहा गया है कि पैसे लेकर मोइत्रा ने न सिर्फ संसद, बल्कि देश की सुरक्षा के साथ भी समझौता किया। कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के साथ अपनी लागइन साझा करने के संबंध में महुआ को दोषी ठहराने के लिए समिति ने देश के समक्ष साइबर खतरों का हवाला दिया है। साथ ही कहा है कि हीरानंदानी को दुबई में निवास का अधिकार है और उनके करीबी रिश्तेदार विदेशी नागरिक हैं। इससे विदेशी एजेंसियों को संवेदनशील जानकारियां लीक होने का गंभीर खतरा है। ऐसी लीक से पूरी प्रणाली पर साइबर हमलों का खतरा बढ़ जाता है और पूरी प्रणाली अक्षम बन सकती है, यहां तक कि संसद का कामकाज भी बाधित हो सकता है। समिति ने कहा कि विधेयकों के मसौदे समेत ऐसे कई दस्तावेज सांसदों को अग्रिम रूप से उनकी लागइन में उपलब्ध होते हैं जो सार्वजनिक नहीं होते। इनके लीक होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। समिति ने अपने निष्कर्ष में कहा कि हीरानंदानी से रिश्वत लेने के आरोप पूरी तरह स्थापित हुए।
कांग्रेस सांसद परणीत कौर ने मोइत्रा की सदस्यता रद करने के पक्ष में
गुरुवार को जब यह रिपोर्ट समिति के समक्ष रखी गई तो विभाजन स्पष्ट दिखा। विपक्षी दलों के चार सांसदों ने असहमति में वोट दिया और कांग्रेस सांसद परणीत कौर ने मोइत्रा की सदस्यता रद करने के पक्ष में। हालांकि वह फिलहाल कांग्रेस से निलंबित हैं। परणीत कौर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं, जो भाजपा में शामिल हो चुके हैं। समिति के कुछ सदस्य व्यक्तिगत कारणों से समिति की बैठक में उपस्थित नहीं हो पाए, जिनमें तीन भाजपा के सदस्य थे।
विपक्षी सदस्यों ने कहा कि समिति की सिफारिश पूर्वाग्रहपूर्ण और गलत
गुरुवार को बैठक महज 20 मिनट में खत्म हो गई। चारों विपक्षी सदस्यों ने कहा कि समिति की सिफारिश पूर्वाग्रहपूर्ण और गलत है। उन्होंने कहा कि मोइत्रा को रिश्वत देने का आरोप लगाने वाले हीरानंदानी को समिति के समक्ष पेश होने के लिए कहा जाना चाहिए था। हीरानंदानी ने सिर्फ हलफनामा ही दाखिल किया। अब समिति के अध्यक्ष यह रिपोर्ट आगामी शीतकालीन सत्र में सदन में पेश करेंगे। माना जा रहा है कि सदन में विपक्षी दल भी इसका विरोध करने से शायद बचेंगे। 2005 में भी जब इस तरह का प्रस्ताव आया था तो सदन ने एकमत से उसे स्वीकार किया था। अगर असहमति बनी तो सदन में मतदान भी कराया जा सकता है।
महुआ पर महंगे गिफ्ट और पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप
उल्लेखनीय है कि निशिकांत दुबे ने अपनी शिकायत में महुआ पर कारोबारी हीरानंदानी से महंगे गिफ्ट और पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था। जांच के दौरान यह साफ हो गया कि मोइत्रा ने एक सांसद के रूप में मिली आइडी और पासवर्ड को हीरानंदानी के साथ शेयर किया था। मोइत्रा के सांसद के अकाउंट के 41 बार दुबई से लागइन किए जाने के भी सुबूत मिले हैं। जबकि इसे गोपनीय रखने और निजी उपयोग तक सीमित रखने का नियम है। बुधवार को निशिकांत दुबे ने इस मामले में सीबीआइ जांच शुरू होने का भी दावा किया था। दुबे के अनुसार, उन्होंने इसकी शिकायत लोकपाल से की थी और लोकपाल ने जांच के लिए इसे सीबीआइ को भेज दिया है।
दानिश अली को भी चेतावनी
बसपा सदस्य दानिश अली के व्यवहार पर भी समिति ने गहरा रोष जताया है। दरअसल, मोइत्रा के साथ खड़े दानिश ने पिछली बैठक के बाद आचार समिति के अध्यक्ष विनोद सोनकर के बयानों को तोड़-मरोड़ कर बाहर पेश किया था। समिति ने कहा कि उनका यह आचरण बहुत खेदजनक है और उन्हें भविष्य के लिए चेतावनी दी जानी चाहिए। जाहिर है कि शीतकालीन सत्र में उन्हें भी कठघरे में खड़ा किया जाएगा। वहीं, बैठक से पहले दानिश अली ने समिति के अध्यक्ष विनोद सोनकर और भाजपा सदस्यों पर कार्यवाही की जानकारी लीक करने और समिति के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
पहली बार की निष्कासन की सिफारिश
लोकसभा सचिवालय के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने बताया कि यह संभवत: पहली बार है जब लोकसभा की आचार समिति ने किसी सांसद के निष्कासन की सिफारिश की है। उन्होंने बताया कि 2005 में 11 सांसदों का निष्कासन राज्यसभा की आचार समिति और लोकसभा की जांच समिति की सिफारिश पर किया गया था।
अब आगे क्या होगा?
- लोकसभा आचार समिति की रिपोर्ट अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजी जाएगी। स्पीकर इसे प्रकाशित करने का आदेश दे सकता है।
- नियमानुसार, समिति अध्यक्ष संसद के अगले सत्र के दौरान रिपोर्ट सदन में पेश करेंगे।
- इसके बाद सदन रिपोर्ट के निष्कर्षों पर बहस करेगा। बहस के बाद सरकार सदस्य के निष्कासन पर वोटिंग के लिए प्रस्ताव ला सकती है।
- यदि पक्ष में वोट दिया गया तो सदस्य को सदन से निष्कासित कर दिया जाएगा।
- महुआ इस फैसले को अदालत में चुनौती दे सकती है