केंद्र सरकार ने हरियाणा के दो बिलों को सुझावों के साथ वापस लौटाया, राज्य सरकार करेगी संशोधन

हरियाणा के लाडवा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा सरकार के दो महत्वपूर्ण विधेयकों को केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिली है। राष्ट्रपति के पास भेजे जाने से पहले ही इन विधेयकों को केंद्र सरकार ने आवश्यक संशोधन के सुझाव के साथ हरियाणा सरकार को लौटा दिया। अब राज्य सरकार इन विधेयकों को हरियाणा विधानसभा में वापस लेगी। इन विधेयकों में हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 और हरियाणा आनरेबल डिस्पोजल ऑफ डेड बॉडी बिल 2024 शामिल हैं।

संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक पर विवाद

हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 का उद्देश्य राज्य में संगठित अपराधों पर सख्त नियंत्रण स्थापित करना था। इस विधेयक में अपराधियों और गैंगस्टरों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई के प्रावधान शामिल थे। लेकिन, विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया था। विधानसभा में जब यह विधेयक पेश किया गया था, तब तत्कालीन कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने इसका विरोध किया था।

यह विधेयक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बजट सत्र के अंतिम दिन पेश किया गया था, जहां तीखी बहस और हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। मुख्यमंत्री खट्टर ने तब कांग्रेस से सवाल किया था कि क्या वे राज्य में शांति चाहते हैं या गैंगस्टरों का समर्थन कर रहे हैं। सरकार का मानना था कि यह विधेयक न केवल अपराधियों बल्कि उनके सहयोगियों और संगठित गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।

शव प्रदर्शन बिल पर तीखी प्रतिक्रिया

दूसरा विवादित विधेयक हरियाणा आनरेबल डिस्पोजल ऑफ डेड बॉडी बिल 2024 है। इस विधेयक के अनुसार, किसी भी शव को लेकर प्रदर्शन, धरना, या रोड जाम करने पर छह माह से लेकर पांच साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया था। कांग्रेस ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया।

कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने सदन के भीतर इस विधेयक का विरोध किया, जबकि सदन के बाहर कांग्रेस नेता और सांसद कुमारी सैलजा ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस विधायक बीबी बतरा ने भी इस विधेयक का समर्थन नहीं किया। सैलजा ने कहा कि यह विधेयक उन परिवारों के अधिकारों का हनन करता है जो न्याय की मांग के लिए शव के साथ प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि कई बार अस्पताल में गलत इलाज या पुलिस हिरासत में हुई मौतों के खिलाफ प्रदर्शन करना ही एकमात्र उपाय होता है जिससे सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई जा सके।

विरोध के कारण और राजनीतिक तकरार

विपक्ष का तर्क है कि यह कानून उन लोगों के खिलाफ है जो सरकारी तंत्र की लापरवाही से हुई मौतों पर न्याय के लिए प्रदर्शन करते हैं। कांग्रेस ने भाजपा और उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पर भी सवाल उठाए थे। कांग्रेस का कहना था कि यह विधेयक सरकार की आलोचना और जवाबदेही की मांग को दबाने का प्रयास है। पार्टी के नेताओं ने कहा कि कई बार पीड़ित परिवारों के पास अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का यही एकमात्र तरीका होता है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ जाकर शवों को जबरदस्ती अंतिम संस्कार के लिए ले जाने का प्रविधान अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून उन लोगों के अधिकारों का हनन करता है जो अपने प्रियजनों की मौत के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों के खिलाफ प्रदर्शन कर न्याय मांगते हैं।

बिलों में बदलाव या संभावित वापसी

हरियाणा सरकार अब इन दोनों विधेयकों में आवश्यक संशोधन करेगी। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि संशोधित विधेयक को दोबारा पेश किया जाएगा या नहीं। राज्य सरकार ने अभी तक इन विधेयकों के भविष्य को लेकर अपनी स्थिति साफ नहीं की है।

इन दोनों विधेयकों को पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में विधानसभा से पारित किया गया था। अब केंद्र सरकार के सुझावों के बाद राज्य सरकार की ओर से इन्हें विधानसभा में वापस लेने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। संशोधन के बाद इन विधेयकों को दोबारा पेश करने का फैसला सरकार की रणनीति और राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करेगा।

 

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