Champions Trophy 2025: चैंपियंस ट्रॉफी के लिए हाइब्रिड मॉडल अपनाने को तैयार पीसीबी, आईसीसी के सामने रखी ये शर्तें

नई दिल्ली : Champions Trophy 2025: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान आखिरकार शनिवार को एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी को लेकर पाकिस्तान ने ‘हाइब्रिड मॉडल’ को स्वीकार कर लिया है, लेकिन इसके साथ ही पीसीबी ने अपनी कुछ शर्तें भी रखी हैं। इससे पहले, पीसीबी ने टूर्नामेंट के बहिष्कार की धमकी देते हुए अपनी मेजबानी के अधिकारों को लेकर अड़ियल रुख अपनाया था।

पाकिस्तान की धमकी और आईसीसी का सख्त रुख

आईसीसी बोर्ड ने शुक्रवार को एक संक्षिप्त बैठक के दौरान इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। इसके बाद, आईसीसी ने पीसीबी को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वह या तो ‘हाइब्रिड मॉडल’ स्वीकार करे या टूर्नामेंट से बाहर हो जाए। इस अल्टीमेटम के बाद पाकिस्तान ने अपनी स्थिति में बदलाव किया और ‘हाइब्रिड मॉडल’ पर सहमति जताई।

क्या है ‘हाइब्रिड मॉडल’?

‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह तय किया गया है कि भारत अपनी चैंपियंस ट्रॉफी के सभी मैच तटस्थ स्थान दुबई में खेलेगा। इसमें पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबला भी शामिल है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 फरवरी-मार्च में होने वाली है, और इसे लेकर लंबे समय से अनिश्चितता बनी हुई थी।

पीसीबी ने रखीं नई शर्तें

हालांकि, ‘हाइब्रिड मॉडल’ स्वीकार करने के साथ ही पीसीबी ने आईसीसी के सामने कुछ नई मांगें रखी हैं। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, पीसीबी ने स्पष्ट किया है कि यदि इस मॉडल पर सहमति बनती है, तो भविष्य में 2031 तक आयोजित होने वाले सभी आईसीसी टूर्नामेंट भी इसी प्रणाली के तहत खेले जाएंगे।

इसके अतिरिक्त, पीसीबी ने आईसीसी के वार्षिक राजस्व चक्र में अधिक हिस्सेदारी की मांग की है। इसका मतलब है कि पीसीबी को आईसीसी से मिलने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि चाहिए। पीसीबी अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान अपने मैच खेलने के लिए भारत नहीं जाएगा, भले ही 2031 तक भारत में आईसीसी के तीन प्रमुख टूर्नामेंट आयोजित होने हैं।

पाकिस्तान का बदला रुख: दबाव का नतीजा

पीसीबी का यह बदला हुआ रुख स्पष्ट रूप से आईसीसी के दबाव का परिणाम है। इससे पहले, पीसीबी ने धमकी दी थी कि अगर उसे मेजबानी के पूर्ण अधिकार नहीं दिए गए, तो वह चैंपियंस ट्रॉफी का बहिष्कार करेगा। लेकिन आईसीसी के सख्त अल्टीमेटम के बाद पाकिस्तान को नरमी दिखानी पड़ी।

पीसीबी ने इस बदलाव को अपनी शर्तों के तहत स्वीकार किया है। हालांकि, अब देखना यह है कि आईसीसी पाकिस्तान की इन शर्तों को किस हद तक स्वीकार करता है।

2031 तक भारत में होने वाले प्रमुख टूर्नामेंट

भारत को 2031 तक तीन प्रमुख आईसीसी पुरुष टूर्नामेंटों की मेजबानी करनी है। इनमें 2026 का टी20 विश्व कप (श्रीलंका के साथ संयुक्त मेजबानी), 2029 की चैंपियंस ट्रॉफी, और 2031 का वनडे विश्व कप (बांग्लादेश के साथ संयुक्त मेजबानी) शामिल हैं। पीसीबी ने यह शर्त रखी है कि इन टूर्नामेंटों के दौरान पाकिस्तान की टीम भी ‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत ही खेलेगी। इसका मतलब है कि पाकिस्तान अपने मैच भारत में न खेलकर किसी तटस्थ स्थान पर खेलेगा।

आईसीसी के लिए नई चुनौती

 

आईसीसी को अब पाकिस्तान की इन नई शर्तों पर विचार करना होगा। यदि आईसीसी पीसीबी की मांगों को मानता है, तो इससे अन्य क्रिकेट बोर्ड भी इसी तरह की व्यवस्था की मांग कर सकते हैं। इससे आईसीसी के लिए भविष्य में टूर्नामेंट आयोजित करना जटिल हो सकता है।

पाकिस्तान और भारत के बीच क्रिकेट संबंधों का इतिहास
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंध लंबे समय से राजनीतिक तनाव के चलते प्रभावित हुए हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय श्रृंखला लगभग एक दशक से बंद है, और वे केवल आईसीसी टूर्नामेंटों या एशिया कप में ही एक-दूसरे का सामना करते हैं।

सुरक्षा चिंताओं के कारण भारत ने पाकिस्तान में खेलने से इनकार कर दिया है, जबकि पाकिस्तान ने भी भारत में खेलने को लेकर अपनी असहमति व्यक्त की है। चैंपियंस ट्रॉफी के लिए ‘हाइब्रिड मॉडल’ इस तनाव का सीधा परिणाम है।

पाकिस्तान का वित्तीय हित
पीसीबी की वार्षिक राजस्व हिस्सेदारी की मांग को उसकी वित्तीय स्थिति के संदर्भ में देखा जा सकता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) आईसीसी के सबसे बड़े वित्तीय योगदानकर्ताओं में से एक है, जबकि पाकिस्तान को अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी मिलती है। ‘हाइब्रिड मॉडल’ को स्वीकार करते हुए पीसीबी ने आईसीसी के वित्तीय चक्र में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की है।

आगे का रास्ता

अगले कुछ दिनों में आईसीसी कार्यकारी बोर्ड पीसीबी की नई मांगों पर चर्चा करेगा। यदि इन मांगों को स्वीकार किया जाता है, तो यह चैंपियंस ट्रॉफी के आयोजन को लेकर अनिश्चितता को समाप्त कर सकता है।

हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अन्य क्रिकेट बोर्ड और बीसीसीआई इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। ‘हाइब्रिड मॉडल’ के लागू होने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि आईसीसी अपने सदस्यों के बीच संतुलन कैसे बनाता है।

नई चुनौतियां

पाकिस्तान का ‘हाइब्रिड मॉडल’ स्वीकार करना एक बड़ा कदम है, लेकिन इसने आईसीसी के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। यह मामला सिर्फ एक टूर्नामेंट की मेजबानी का नहीं है, बल्कि इससे जुड़े कई अन्य मुद्दों का भी है, जो आने वाले समय में क्रिकेट की राजनीति और प्रशासन को प्रभावित कर सकते हैं।

 

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