Chandigarh News: गर्दन के नीचे का हिस्सा पैरालाइज्ड फिर भी अंजली बनीं बोशिया चैंलेंजर्स चैंपियनशिप में वर्ल्ड चैंपियन, जानें उनके बारे में

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : सच ही कहते हैं मंजिलें उन्हें ही मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इन शब्दों को यर्थाथ कर दिखाया अंजली देवी ने। अंजली का पूरा शरीर पैरालाइज्ड है, सिर्फ उसकी गर्दन से ऊपर का हिस्सा काम करता है। मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की रहने वाली अंजली अभी सेक्टर-27 स्थित स्पाइनल रिहैब सेंटर में रहती है। अंजली ने अपने हौसले और जज्बे से इजिप्ट की राजधानी काहिरा में आयोजित वर्ल्ड बोशिया चैंलेंजर्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। अंजली ने यह टूर्नामेंट बीसी-3 कैटेगरी में जीता है। इस प्रतियोगिता का आगाज 16 जुलाई को हुआ था, और 22 जुलाई को समापन होगा।

10 साल पहले सड़क हादसे में टूट गई थी रीढ़ की हड्डी

 

अंजली ने बताया कि 10 साल पहले वह अपने चाचा के साथ जा रही थी, तभी रास्ते में उनकी कार अनियंत्रित होकर खड्ड में गिर गई, जिस वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और गर्दन के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से पैरालाइज्ड हो गया, दो तीन साल तक मैं यही सोचती रही कि मुझे ईश्वर ने क्यों बचाया लेकिन आज मेरे होने का मुझे गर्व है। मैं खुश हूं कि मैंने व्हीलचेयर पर बैठे हुई तिरंगे की शान बढ़ाकर करोड़ों भारतीयों को गौरवांवित किया है।

खिलाड़ियों की तरह ही हम भी करते हैं सालभर मेहनत

अंजली ने बताया कि बोशिया खेल छह रंगों की गेंद का खेल है। इसमें सफेद रंग की गेंद टारगेट गेंद होती है। हम अपनी ठोड़ी ने एक एक कर इन गेंदों को धक्का देते हैं, ऐसे में सफेद गेंद के नजदीक जितनी गेंदें होंगी, उतने ही प्वाइंटस आपको मिलेंगे। अंजली ने बताया कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए यह खेल रोचक नहीं हो सकता है, लेकिन जिन लोगों का पूरा शरीर पैरालाइज्ड होता है, उनके लिए गर्दन हिलाकर गेंद को धक्का देना भी बड़ी चुनौती होता है। इसलिए हम अन्य खिलाड़ियों की तरह साल भर मेहनत करते हैं ताकि देश के लिए पदक जीत सकें।

पैरा एशियाई खेलों में प्रतिनिधित्व कर चुकी है अंजली

 

अंजली ने बताया कि इस साल भोपाल के ग्वालियर में आयोजित नेशनल बोशिया गेम्स में उसने स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले दिल्ली में आयोजित नेशनल बोशिया गेम्स में भी उसका स्वर्ण पदक था। इसी के आधार पर उनका चयन इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ था। वहीं इससे पहले वह चीन के हांगझोऊ प्रांत में आयोजित पैरा एशियाई खेल- 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं लेकिन उस खेल में मैं पदक जीतने में कामयाब नहीं हो सकी थी।

हिम्मत और जुनून से ये पदक जीते

 

नेशनल फेडरेशन आफ बोशिया के अध्यक्ष जसप्रीत सिंह धालीवाल ने कहा कि वर्ल्ड फेडरेशन आफ बोशिया की तरफ से आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में विश्व के 15 देशों ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत के चार अंजली देवी ने गोल्ड, सचिन ने सिल्वर, गोविंद भाई और सरिता ने कांस्य पदक जीता है। इन सभी खिलाड़ियों के गर्दन के नीच के हिस्सा पैरालाइज्ड है, फिर भी इन्होंने अपनी हिम्मत और जुनून से ये पदक जीते हैं।

 

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